आख़िर ऐसा क्यों होता है?
हर बार ताना हमें सुनना पड़ता है ,
कोई गलती ना होने पर भी,
शिकार हमें ही बनाया जाता है,
नज़र उसकी गंदी है और,
रोका हमें ही क्यों जाता है?
घर के अंदर हो के या बाहर हो,
हर इल्जाम हम पर लगाया जाता है,
चुप रह कर मैं थक गई हूं,
अब और घुटा मुझ से नहीं जाता है,
आखिर ऐसा क्यों होता है?
हर बार ताना हमें ही सुनाया जाता है।।
योगिता
कक्षा-12,
गरुड़, बागेश्वर
उत्तराखंड
चरखा फ़ीचर
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