कैसे कह दे आजाद हैं हम,
कैसे कह दे सुरक्षित हैं हम,
कैसे कहें बाहर जाते हुए डर लगता है,
कैसे कहें कि अब सब चंगा है,
अब तो घर के अंदर भी डर लगता है,
कैसे कह दे सुरक्षा में भी डर लगता है,
कैसे कहूं आजाद देश की नागरिक हूं मैं,
कैसे सुनाऊं अपनी जिंदगी की दास्तां मैं,
कैसे कहूं समाज में सुरक्षित हूं मैं।।
भावना
कक्षा-12
छत्यानी,गरुड़
बागेश्वर,उत्तराखंड
चरखा फीचर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें