कविता : "नफरत क्यों जज्बात से " - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 13 अगस्त 2024

कविता : "नफरत क्यों जज्बात से "

(देश प्रेम कहने से आडंबर से या जबरदस्ती नहीं होता ) 


कदम बढ़ाओ ध्यान से

खेल भी खेलें शान से 


उच्च  हिमालय शान हमारा 

प्रहरी है सौ साल से 


दुश्मन ना टिकने पाए 

ऐसी हिम्मत प्राण से 


है तिरंगा सबसे प्यारा 

मर मिटते हम आन से 


है विश्व में नाम हमारा 

डरते न हम काल से 


झूठ मूठ के आडंबर का 

करो वहिष्कार आज से 


आपस में जुटकर रहना है 

करो सामना ढाल से 


वीरों की धरती कहलाती 

देश भी उनके नाम से 


पाहन भी पूजे जाते हैं 

नफरत क्यों जज्बात से 






Kusum-thakur


-कुसुम ठाकुर -

प्रधान संपादक 

लाइव आर्यावर्त 

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