कविता : पहाड़ी बोलने में शर्माते - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 18 अगस्त 2024

कविता : पहाड़ी बोलने में शर्माते

पहाड़ों से दूर क्या गए,

पहाड़ी बोलने में शर्मा गए,

कोई पूछता तुम कहां से हो?

कह तो देते उत्तराखंड से हैं,

लेकिन भाषा नहीं आती वहां की,

अपनी ही भाषा बोलने में शर्माते हो,

मगर दूसरों की भाषा अपना लेते हो,

बोलने की जब बात आए तो टाल देते हो,

मगर इंस्टाग्राम पर खुद को पहाड़ी बताते हो,

फिर भी न जाने क्यों पहाड़ी बोलने में शर्मा जाते हो।।





Bhawna-charkha-feature

भावना

कक्षा-12

कन्यालीकोट, कपकोट

उत्तराखंड

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