- मनौरी में करबला की शहादत पर मनाया गया यौमे गम, शब्बर साहब की सरपरस्ती में हुआ जुलूस
- साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष शहंशाह आब्दी ने किया शिरकत
- भारी तादाद में अकीदतमंद हुए शामिल, नौहा पढ़ने दूर-दूर से आईं अंजुमनें
इमाम हुसैन की उम्र 57 वर्ष थी और उनके हाथों से कत्ल होने वाले यजीदी सिपाहियों की संख्या 1950 तक बताई जाती है।इमाम हुसैन की मदद की वजह से शहीद होने वाले कूफियों की संख्या एक सौ अड़तीस थी जिसमें से पंद्रह गुलाम भी शामिल थे।इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनके बदन पर भाले के 33 घाव और तलवार के 34 घाव थे। तीरों की संख्या अनगिनत बताई गई है। शहादत तक इमाम हुसैन के बदन पर कुल उन्नीस सौ तक घाव थे। करबला की जंग में इमाम हुसैन हक़ पर थे इसलिए आज चौदह सौ साल बाद भी दुनिया के लोग हुसैन का गम मनाते हैं और यजीद पर लानत भेजते हैं। यजीद के अत्याचारों का बयान हो रहा है और हुसैन जिंदाबाद के नारे देश विदेश में गूंज रहे हैं। इस मौके पर जिला सुल्तानपुर, रायबरेली, फतेहपुर, कौशांबी (मंझनपुर एवं करारी), बनारस आदि जनपदों से आई अंजुमनों ने करबला की शान में कलाम पेश करते हुवे इमाम हुसैन को पुरसा पेश किया। जिला कौशांबी बड़ा गांव से उस्मान अली नोहाखान ने बेहतरीन कलाम पेश किया। इस मौके पर हिंदुस्तान के मशहूर शायर जफर अड़हेरवी भी मौजूद रहें साथ ही फतेहपुर की अंजुमन अब्बासिया के साहिबे बयाज इतरत अली ने बेहतरीन कलाम पेश किए। इस कार्यक्रम में साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष शहंशाह आब्दी ने भी शिरकत करते हुए कार्यक्रम में किरदार निभाने वालों का खूब हौसला अफजाई किया। इस दौरान थाना मनौरी का पुलिस बल भी मौजूद रहा, जुलूस के आयोजक शब्बर अली ने आए हुवे मेहमानों का आभार व्यक्ति किया।
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