महामंडलेश्वर योगिनी गुरु मां राधा सरस्वती जी महाराज ने जश्न-ए-आजादी के मौके पर अब भिक्षा नहीं सिर्फ शिक्षा, के नारों के अभियान की शुरुवात की है। उनका मानना है बच्चों को भिक्षा नहीं, शिक्षा देकर उन्हें सशक्त बनाने की जरुरत है। भिक्षा मांगने वाले बच्चे मजबूरी में नहीं, किसी गैंग का शिकार भी हो सकते हैं। इसलिए विकास की कड़ी में अब राह चलते मासूम बच्चों को शिक्षा से जोड़ना ही असली आजादी होगी। चट्टी-चौराहों पर भिक्षा मांगने वाले बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त कराकर शिक्षा से जोड़ने ही अब देश की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आह्वान करना चाहिए। हालांकि यह अभियान सालों से चल रहा है, लेकिन यह अभियान ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। दरअसल, भिखारी भीख मांगने के लिए अपने बच्चों की मासूमियत को सहारा बना रहे हैं। सड़कों-चौराहा के अलावा देवस्थानों में भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। भिखारी देवस्थानों के बाहर खुद बैठ जाते है और बच्चों को दर्शनार्थियों के पीछे लगवाकर भीख मंगवाते हैं
योगिनी गुरु का कहना है भिक्षावृत्ति देश व समाज के लिए हानिकारक है। हम सभी को इसके विरुद्ध आगे आना होगा। हमें बच्चों को भिक्षा नहीं, बल्कि उनको शिक्षा देनी होगी। तभी देश व समाज सशक्त बन सकेगा। भिक्षा व्यवसाय देश व समाज के लिए कलंक है। इससे बच्चों को दूर रखना होगा। लोगों को बच्चों से मंगाई जा रही भिक्षा, बच्चों के साथ होने वाले अपराधों की रोकथाम और उनको अपराध में संलिप्त होने से रोकने एवं उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित करना होगा। स्वतंत्रता दिवस के 78 वे अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर परम पूज्य अंतराष्ट्रीय संत महामंडलेश्वर योगिनी गुरु मां राधा सरस्वती जी महाराज ने कहा कि सर्वप्रथम बलदानी वीर सपूतों के माता-पिता को नमन करती हूं। जो भारत माता की लाज बचाने के लिए बलिदान हो गए, उन सभी बहन भाइयों को भी मैं नमन करती हूं। और राष्ट्र के पहले गद्दारों के लिए आत्मशांति और आज के गद्दारों के लिए सद्बुद्धि की ईश्वर से प्रार्थना करती हूं। सनातन धर्म के अंतर्गत भारतवर्ष में मुझे जन्म मिला है मैं बड़ी सौभाग्यशाली हूं। इस स्वतंत्रता दिवस को स्पेशल बनाने के लिए योगिनी गुरु मां सभी देशवासियों का साथ चाहती हैं। उन बच्चों के लिए जो भीख मांग रहे हैं, जिन्हें शिक्षा की आवश्यकता है, उनके लिए हम सबको मिलकर एक कदम बढ़ाना है। इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी संकल्प लें महामंडलेश्वर परम पूज्य अंतर्राष्ट्रीय संत योगिनी गुरु मां राधा सरस्वती जी महाराज के साथ भिक्षा से शिक्षा की ओर। उनका कहना है कि जिस समय हमारा राष्ट्र पराधीन था उस समय राष्ट्र के हर धर्म हर जाति के हर एक नागरिक ने परिस्थितियों के साथ एक जुट होके लोहा लिया। विदेशियों से राष्ट्र को सुरक्षित किया। लेकिन बड़े दुख की बात है आज राष्ट्र स्वतंत्र है लेकिन सुरक्षित नहीं है। हम भारतीय तो हैं लेकिन धर्म और जातियों में बट गए हैं। आज भारत माता फिर से कहती है मेरे प्यारे बच्चों एकजुट हो जाओ नहीं तो मेरी लाज फिर से लूट ली जाएगी। आज देश देशवासियों के हाथ में है लेकिन दोगली राजनीति देश को अंदर से खोखला किए जा रही हैं। इसके पीछे का कारण सनातनियों की आपसी फूट और लूट है। वह कविताओं के जरिए कहती है --
उठो जवान देश के वसुंधरा पुकारती ।
देश है पुकारता, पुकारती मां भारती पुकारती।
जाति की लड़ाई, धर्म, क्षेत्रवाद भारी,
स्वार्थ फिर से खड़ा है इतिहास दोहराने को,
अब भी लाचार पोरस, दाहिर, राणा और चौहान,
मान, जयचंद फिर अड़े हैं सब मिटाने को।
जात-पात की ये जंग, क्षेत्र, धर्म मे हैं
अंध, भूल गए बेड़ियां लगी सहस्त्रों साल की,
फिर से घमंड वही झूठी अहंकार,
स्वार्थ, दूसरे को नीच खुद श्रेष्ठतम दिखाने की।
भेद जाति, धर्म का मिटाने को खड़े सपूत,
तोड़ ना मिला जो तोड़ पाए पड़ी फुट को,
स्वार्थ की चढ़ी बुखार, मिटते दिलों से प्यार,
काटते भुजाएं जो झुलाए उस कुपूत को।
देखकर बेहाल मात भारती कराहती,
न दर्द का आभास है धिक्कार वैसे लाल को,
गुजरे हैं चंद साल, जुर्म की लिखी किताब,
भूल गए कैसे सारे आज उस काल को।
आज भी नालन्दा, विक्रमशिला की उजाड़ धरा,
हल्दीघाटी, पानीपत दिखाती है निशान को,
राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर के निशान कई,
बिखरी पड़ी है नहीं दिखती नादान को।
चीखती मां भारती, न भाए झूठी आरती,
पुकारती शिवाजी, वीर भगत, आजाद को,
गुम हो चाणक्य कहां जननी बेहाल तेरी,
एक बार फिर इस कुचक्र से निकाल दो,
एक बार फिर इस देश को संवार दो।
अक्सर देखा गया है प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक सिगनल पर वाहनों के रुकने पर बच्चे भीख मांगने के लिए जाते हैं। ऐसी कई घटनाएं हो चुकी जब बच्चे कार का शीशा साफ करते या भीख मांगते कार के डैश बोर्ड से मोबाइल उठा ले गए। बच्चे वाहनों पर हाथ मारते हुए दौड़ लगाते है जिससे दुर्घटना का अंदेशा भी रहता है। जिस उम्र में बच्चों को स्कूल जाना होता है, वे जीवन जीने के लिए अनैतिक तरीके अपनाने के लिए मजबूर होते हैं। खास यह है कि भीख मांगने वाले मासूमों के माता-पिता खुद को लाचार बताने के लिए बैशाखी का सहारा लेकर भीख मांगवाते है। जब उन्हें प्रशासन द्वारा पकड़ा जाता है तो वह बैशाखी छोड़कर भाग जाते है। जब कभी भी प्रशासन की कार्रवाई होती है तो ये एक या दो दिन के लिए छुप जाते है और भीख मांगने नहीं जाते थे।
बता दें, शहरों की सड़कों, फुटपाथों, मंदिर और दरगाहों के आसपास आमतौर पर मासूम बच्चे आपको भीख मांगते हुए नजर आते होंगे, लेकिन मासूमियत की आड़ में भीख मांगने का गोरखधंधा जोरों पर है। कुछ बच्चे पेट पालने की चाहत में भीख मांगते हैं तो कुछ को इस धंधे में जबरन धकेल दिया जाता है। यही वजह है कि इन दिनों धार्मिक स्थलों पर भी मासूमों को भीख मांगते हुए आसानी से देखा जा सकता है। दरअसल, बस स्टैंड, मुख्य बाजार, होटल, मॉल और भीड़भाड़ वाली जगहों पर हर वक्त मासूम खड़े नजर आते हैं। उनकी नजरें हमेशा होटल या दुकानों से निकलने वाले लोगों को तलाशती रहती हैं। जैसे ही कोई वहां से बाहर निकलता है तो उनसे भूख मिटाने के लिए पैसा या खाने की चीज मांगना शुरू कर देते हैं। भीख मांगने वाले बच्चों के साथ कुछ महिलाएं भी नजर आती हैं, लेकिन अफसोस ऐसे में न तो प्रशासन कोई अभियान चलाता है और न ही पुलिस। इसी वजह से इनकी संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और इन्हीं कारणों की वजह से मासूमियत की आड़ में बचपन सड़कों पर भीख मांग रहा है। खास यह है कि सड़कों पर भीख मांगने के धंधे में बच्चे ही नहीं, बल्कि कुछ ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो भीख में मिले कुछ रुपयों से शाम को नशा खरीद लेते हैं और एक स्थान पर जाकर उसे अपने बांडी में इंजेक्ट करते हैं। इससे उन्हें नशे का अहसास होता है। इस दौरान सड़क के किनारे नशा कर रहे कई मासूमों ने बताया कि दिन में भीख मांगते हैं और रात को सुकून से नशे की नींद सोते हैं। इसके अलावा प्लास्टिक बैग के साथ कूड़े के ढेर में प्लास्टिक बीनने वाले बच्चों की संख्या भी कम नहीं है। जब अधिकारियों से बातचीत की जाती हे तो उनका कहना होता है कि बाल संरक्षण का काम प्रोबेशन और श्रम विभाग का है और बच्चों के पुनर्वास के लिए कोई आश्रय गृह नहीं है, अगर अभियान चलाओ तो इनके माता-पिता कोई रुचि नहीं दिखाते। इसीलिए इन बच्चों के जीवन को सुधार पाना एक चुनौती जैसा है।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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