श्रम अधीक्षक के द्वारा दिनांक 01.04.24 से निर्धारित न्यूनतम मजदूरी की दर जो 69 अनुसूचित नियोजन तथा अन्य नियोजन में निर्धारित न्यूनतम मजदूरी के संबंध में जानकारी दी गई. उन्होंने बताया कि सामान्य अनुसूचित नियोजन में अकुशल कामगार के लिए 410 रुपये प्रतिदिन प्रति 08 घंटे के लिए निर्धारित की गई है. जबकि अर्द्धकुशल कामगार के लिए यह दर 426 रुपये है तथा कुशल कामगार के लिए 519 रुपये है, अतिकुशल कामगार के लिए 634 रुपये प्रतिदिन है जबकि पर्यावेक्षकीय और लिपिकीय कार्य के लिए यह दर 11736 रुपये प्रतिमाह है। यदि इससे कम दर से किसी नियोजक के द्वारा कामगार को भुगतान किया जाता है तो इसकी लिखित शिकायत जिला में श्रम अधीक्षक के पास तथा प्रखंड में श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के पास कर सकते हैं. सर्वप्रथम जिला पदाधिकारी महोदय ने जिला के सभी श्रमिक बंधुओं एवं बहनों को ढेर सारी शुभकामनाएं दिए. उन्होंने कहा कि मधुबनी जिला सरकार द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं को तत्परता के साथ क्रियान्वयन कर रहा है. श्रम विभाग के सभी पदाधिकारी एवं कर्मियों को धन्यवाद दिया कि तत्परता के साथ सभी योजनाओं में जरूरतमंदों को समय के साथ लाभ पहुंचाते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर रैंकिंग मधुबनी जिला टॉप फाइव में रहता ही रहता है, कई बार पहले एवं दूसरा स्थान पर भी रहता है। वे श्रमिक बंधुओं के सहयोग के बिना संभव नहीं है, श्रम विभाग की जो उपलब्धि है वे मधुबनी जिला के श्रमिक बंधुओं की उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि कई सारी योजनाएँ है जो श्रम के महत्व को समर्पित है, चाहे बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड, बिहार शताब्दी असंगठित कार्यक्षेत्र कामगार एवं शिल्पकार हो, सामाजिक सुरक्षा बिहार राज्य प्रवासी मजदूर स्कीम हो, न्यूनतम मजदूरी की बात हो या बाल श्रम उन्मूलन के लिए बनाए गए कानूनी की बात हो, ये सारी योजनाएं इस बात के लिए है कि हमारा समाज अच्छा बने, हमारी आने वाली पीढ़ी पहले सक्षमता हासिल करें. चाहे स्वास्थ्य, शिक्षा, उम्र, स्किल्ड के मापदंड पर हो. साथ ही यह भी बताया गया कि बाल श्रम जो कि एक शिक्षित समाज का कलंक हैं, उसे भी दूर करने का प्रयास सामूहिक रूप से किया जाए तथा यह भी सुनिश्चित किया जाए की 14 वर्ष की उम्र के बच्चे बाहर नहीं जाए तथा इसका नामांकन शत-प्रतिशत विद्यालय में होना चाहिए.
अगर हम आने वाले पीड़ी को सक्षम और सामर्थ्य नहीं बना पाएंगे तो हमारा भविष्य, हमारे राज्य का भविष्य, देश का भविष्य अंधेरे में होगा। अगर उसके भविष्य को सुनहरा बनाना चाहते हैं, उसके भविष्य को गौरवशाली बनाना चाहते हैं, जिस पर हम सभी भारतवासी को गर्व की बात हो तो हम सब लोगों को मिलकर प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि कोई भी काम अगर हम करते हैं तो हमारे देश के विकास में, हमारी जीडीपी में, हमारी इकोनॉमी में ताकत के रूप में प्रदर्शित होता है। श्रमिक बन्धु के द्वारा मेहनत करके जितना भी काम किया जाता है वो बिहार की अर्थव्यवस्था में राज्य की जीडीपी के रूप में दिखलाया जाता है और भारतवर्ष की जीडीपी में भी शामिल होता है। हर आदमी का इस देश के विकास में योगदान है, इस बात को समझना चाहिए। जहां भी पूंजी होगी उसका फल तभी मिलेगा जब उसमें श्रम शामिल होगा, सिर्फ अकेले पूंजी परिणाम नहीं देगी और अकेले श्रम भी बड़ा परिणाम नहीं दे पाएगा, दोनों ही इस विकास के रथ के पहिए हैं और दोनों का घूमना जरूरी है तभी हमारा देश आगे की दिशा में अग्रसर होगा। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में सभी योजनाओं की जानकारी दी जाए। साथ ही अगर किन्ही को कोई समस्या है कुछ और जानकारी चाह रहे हैं तो उसका भी निदान किया जाए। श्रम से जुड़े हुए लोग हैं और उनका अगर स्कीम में लाभ मिल रहा है तो बिना कोई रुकावट के, बिना कोई समय लगे हुए उस प्रक्रिया को शीघ्र से शीघ्र पूरा कर ले तथा लाभ लाभुकों को दिया जाए जाए। बाल श्रम जो एक सभ्य समाज के लिए अभिशाप है हम सब सामूहिक प्रयास से इस कुप्रथा को दूर कर सकते हैं अन्यथा यह बच्चा जिंदगी भर अकुशल श्रमिक ही रह जाएगा। श्रम हर किसी का अधिकार भी है, हर किसी को श्रम के हिसाब से काम मिले इसी बात को ध्यान में रखकर मनरेगा जैसी योजनाएं चलाई गई।
उन्होंने कहा कि धम अगर स्किलड हो जाते हैं तो श्रम का मूल्य बढ़ जाता है, थम की ताकत बढ़ जाएगी और अपने परिवार का, समाज का बेहतर तरीके से सेवन कर पाएंगे और बेहतर धन अर्जन कर पाएंगे तथा अर्थव्यवस्था में आपका योगदान का अधिक मूल्य होगा। उन्होंने कहा की जरूरत इस बात की है कि हम श्रम के मूल्य को समझे, समाज श्रमिक के मूल्य को समझे और जो हमारा श्रम की गुणवत्ता है जिसका मूल्य है, महत्व है वो बड़े ये गुण आएगा प्रशिक्षण से। श्रम संसाधन विभाग द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना पर फोकस करते हुए बताया कि वे मेहनतकश जो राज्य की जीडीपी में अहम योगदान देता है यदि इसकी दुर्घटना मृत्यु हो जाती है तो उसे भी सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत 200000 रुपये का अनुदान सरकार द्वारा दिया जाता है। माथ ही साथ हुए श्रमिक जो निर्माण क्षेत्र में काम करते हैं उनका भी विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लाभ दिया जाता है। यह राशि सरकार प्रदत्त नहीं है बल्कि वह निर्माण श्रमिकों के द्वारा जो बड़े-बड़े प्रतिष्ठान बना रहे हैं, उनकी उपकार मद में काटी गई राशि से भुगतान की जा रही है। इस शिविर में उपस्थित सभी पंचायत से आए हुए अमिकों को आह्वान किया गया कि ऊंचे इमारत की नींव मजबूत तभी होगा, जब ऊँची इमारत बनाने वाले श्रमिकों का नीव मजबूत होगा। तत्पश्चात जिला पदाधिकारी महोदय के द्वारा योजनाओं के अंतर्गत लाभुकों के बीच सांकेतिक चेक का वितरण किया गया जो इस प्रकार है। बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अंतर्गत श्री खुश मोहम्मद को विवाह के लिए वित्तीय सहायता हेतु सांकेतिक चेक, श्रीमती वीणा देवी को बिहार शताब्दी से स्वाभाविक मृत्यु लाभ, श्रीमती नासरा प्रवीण को नकद पुरस्कार, श्रीमती नासिरा खातून को विवाह के लिए वित्तीय सहायता, बिन्देश्वर राम को पेंशन योना के तहत सांकेतिक चेक का वितरण किया गया.
शिविर में पंचायत से आए हुए श्रमिकों को श्रम प्रवर्तन पदाधिकारियों के द्वारा विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई।
श्री राजेश कुमार, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी बाबूबरही के द्वारा बिहार शताब्दी और संगठित कार्यक्षेत्र कामगार एवं शिल्पकार सामाजिक सुरक्षा योजना 2011 एवं बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना 2008 से संबंधित योजनाओं की जानकारी, श्री अभिषेक कुमार श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी पंडौल के द्वारा बाल एवं किशोर श्रम अधिनियम 1986 एवं बंधुआ श्रमिक योजनाओं से संबंधित जानकारी, श्री चिदभवानंद शुक्ल श्रम परिवर्तन पदाधिकारी कलुआही के द्वारा बिहार भवन एवं अन्य का निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अंतर्गत निबंध नवीकरण एवं विभिन्न योजनाओं से संबंधित जानकारी, श्री अभय कुमार श्रम परिवर्तन पदाधिकारी बासोपट्टी के द्वारा न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 एवं मजदूरी भुगतान अधिनियम 1936 संबंधित योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई. साथ ही श्री हामिद गफूर श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, विस्फी एव श्री बसंत कुमार, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, खुटौना के द्वारा सर्वप्रथम निबंधन किया गया तथा उन्हें श्रम संसाधन विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के पम्पलेट, फोल्डर के साथ दिया गया तथा कार्यक्रम के दौरान सभी श्रमिकों को अतिरिक्त एक दिन की न्यूनतम मजदूरी और आने जाने का किराया दिया गया। कार्यक्रम के समापन के पश्चात आगंतुक श्रमिक बंधुओं में एक बिशेष तरह का उत्साह देखा गया। वे लोग श्रम संसाधन विभाग की विभिन्न योजनाओं के संबंध में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर काफी खुश थे। श्रमिकों ने बताया कि यहां आकर हमें अपने श्रमिक अधिकारों की जानकारी प्राप्त हुई।
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