- भाकपा-माले जांच दल ने किया घटनास्थल का दौरा, प्रशासनिक लापरवाही के कारण हुई घटना
- मृतक आश्रितों को 10-10 लाख रुपया मुआवजा, सरकारी नौकरी व घायलों को एक लाख रु. दे सरकार
जांच दल ने कहा कि घटना की जानकारी मिलते ही पार्टी विधायक, नेता और कार्यकर्ता सहयोगी भूमिका में सक्रिय रहे. सिद्धेश्वर मंदिर में सावन महीने में श्रद्धालुओं की काफी आवाजाही रहती है. सोमवार के दिन भीड़ और बढ़ जाती है. हाल के वर्षों में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ी है. मगर प्रशासनिक तैयारी, श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं व भीड़ नियंत्रण पर ध्यान नहीं दिया गया. जांच दल ने गौघाट (हथिया बोड) से होते हुए सिद्धेश्वर मंदिर परिसर पहुंचकर लोगों से बात की. लोगों ने बताया कि सोमवार के कारण रविवार शाम से ही भीड़ बढ़ रही थी. रात तक काफी भीड़ हो गई. जिसके कारण मंदिर परिसर में व्यवधान उत्पन्न हुआ मगर पुलिस प्रशासन के नहीं होने के कारण विवाद बढ़ गया, जिसके कारण भगदड़ हो गई. लोगों ने कहा कि अगर पुलिस प्रशासन सक्रिय रहता तो यह घटना नहीं होती. जांच दल ने पाया कि मंदिर परिसर के चारों ओर की रेलिंग मजबूत नहीं है. साथ ही जगह भी बहुत कम है जिसके कारण अधिक भीड़ हो जाने से अफरा-तफरी की स्थिति मच गई. जिला प्रशासन का पूरा जोर मृतकों का पोस्टमार्टम कराने में ही रहा. घायलों को समय पर समुचित इलाज नहीं मिल पाया. यहां तक कि सदर अस्पताल में सीटी स्कैन भी काम नहीं कर रहा था. इस घटना ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल कर रख दी है. पहाड़ की ऊंचाई पर स्थित मंदिर तक श्रद्धालु तीन रास्ते से आते हैं. प्रशासन को इनसब बातों का ख्याल रखना चाहिए था, लेकिन इसकी पूरी तरह से अनदेखी की गई.
जांच दल ने मांग की है कि
1. घटना की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच हो!
2. घटना के लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो!
3. मृतक के आश्रितों को 10-10 लाख रुपया मुआवजा व सरकारी नौकरी और घायलों को एक लाख रुपया मुआवजा दिया जाए।
4. सिद्धेश्वर मंदिर में बुनियादी सुविधाएं का विकास हो!
5. मंदिर तक आने जाने के लिए सुरक्षित व सुगम रास्ते का निर्माण करवाया जाए!
जांच दल में जहानाबाद ग्रामीण प्रखंड सचिव मो. हसनैन अंसारी और गया जिला कमेटी सदस्य रवि कुमार भी शामिल थे.
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