- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उल्लास, बाबा विश्वनाथ धाम से लेकर स्कॉन मंदिर व पुलिस लाइन तक के मंदिरों में विशेष आयोजन
वाराणसी। हाथों में सजे-धजे भगवान लड्डू गोपाल, और मस्तक पर राधे-कृष्ण नाम का तिलक लगाएं श्रीकृष्ण नाम संकीर्तंन करते भक्त। मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण की एक झलक के लिए मौजूद जन सैलाब...। घंटे घड़ियाल... शंख की ध्वनि... मृदंग... मंजिरों की धुन... भक्ति माहौल में बधाई गीतों के बीच दोनों हाथ ऊपर उठाकर भगवान श्रीकृष्ण का जयघोष करते श्रद्धालु, जन्मे कृष्ण कन्हाई, बधाई हो बधाई। फिर हाथी-घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की गूंज। जन्माष्टमी पर शहर में तड़के से रात को शयन झांकी तक मंदिरों एवं घरों में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। कई श्रद्धालु कई श्रद्धालु बच्चों को भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप में सजाकर मंदिर पहुंचे व सेल्फी क्लिक की।
इस दौरान कहीं मथुरा-वृंदावन तो कहीं नंदगांव साकार हो उठा। समूची काशी भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में रंगी नज़र आई। चाहे पुलिस लाइन हो या बाबा विश्वनाथ धाम या इस्कॉन मंदिर सहित अन्य श्रीकृष्ण मंदिरों में मध्यरात्रि हवाई गर्जनाओं के साथ श्री कृष्ण प्रकट हुए। जन्म के साथ ही भगवान कृष्ण का अभिषेक कर उन्हें पंचमेवा, माखन मिश्री व पंजीरी आदि का भोग लगाया। प्रभु की बलाइयां लेने के लिए हजारों हाथ एक साथ उठे। घरों में भी श्रद्धालुओं ने भगवान का अभिषेक कर नवीन पोशाक पहनाई व पूजन आरती की। साथ ही व्रत भी रखा। दर्शन के लिए भक्तों का ताता देर रात तक लगा रहा। मंदिरों में तड़के झांकी से पूर्व ही श्रद्धालुओं का जूटना शुरू हो गया था। दोपहर तक विभिन्न मंदिरो के बाहर लंबी लाइन लग गई। मंदिर में मध्य रात्रि 12ः00 बजे श्री कृष्ण का जन्म हुआ। पंचामृत अभिषेक व शालिग्राम पूजन के बाद ठाकुर जी को पंजीरी लड्डू खीर, सावा, रबड़ी आदि का भोग लगाया गया। उन्हें नवीन पीली पोशाक और विशेष अलंकार धारण कराए गए। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर श्री काशी विश्वनाथ धाम स्थित मंदिर चौक में सांस्कृतिक संध्या का विशेष आयोजन किया गया। इस दौरान “श्री राधा कृष्ण लीला संस्थान, श्री धाम बरसाना, मथुरा“ संस्था से पधारे कलाकारों द्वारा रासलीला कार्यक्रम की मनमोहक प्रस्तुति की गयी। कलाकारों द्वारा श्रीकृष्ण लीला का आकर्षक मंचन किया। एक से बढ़कर एक वेशभूषा धर कर कलाकारों ने सभी का मन मोह लिया। राधा-कृष्ण के प्रेम की झलक दिख रही थी।
आइआइटी-बीएचयू के जय श्रीकृष्ण... के उद्घोष से पूरा परिसर गूंज उठा। लगभग 30 फीट ऊपर मटकी बांधकर उसे तोड़ा गया। मटकी के फूटते ही छात्रों ने बोला- गोविंदा आला रे...। सैकड़ों छात्रों ने एक दूसरे के ऊपर चढ़कर पिरामिड बना मटकी फोड़ी। छात्र बर्तन में पानी लेकर एक-दूसरे पर फेक रहे थे। कुछ छात्राओं ने श्रीकृष्ण और राधा का मंचन किया। उनके मंचन पर खूब तालियां बजीं। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में श्रीकृष्णजन्मोत्सव की धूम रही। मालवीय भवन में आयोजित झूलनोत्सव व छात्रावासों में सजी आकर्षक झांकियां लोगों के आकर्षण का केन्द्र रही। कमच्छा स्थित विद्यालयों के अलावा विभिन्न छात्रावासों विशेषकर महिला महाविद्यालय, त्रिवेणी महिला छात्रावास, रुईया छात्रावास, न्यू इंटरनेशनल गर्ल्स हास्टल (सूची संलग्न) आदि में लीलाधर भगवान श्री कृष्ण की आकर्षक झांकी सजाकर पूजा अर्चना की गयी। विश्वविद्यालय परिसर स्थित श्री विश्वनाथ मंदिर में भी झांकी सजाकर भजन-कीर्तन गाया गया। विश्वविद्यालय में अनेक स्थानों पर आधारित झांकियों में भगवान कृष्ण के जीवन के विभिन्न पक्षों व उनकी लीलाओं का सुन्दर प्रस्तुतिकरण किया गया, जिनका बड़ी संख्या में विद्यार्थियों, दर्शनार्थियों व विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने भावपूर्वक अवलोकन किया।
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