- सैकड़ों श्रद्धालुओं भगवान श्री कृष्ण व रुक्मणी जी की झांकी के दर्शन किये
कथा के छठवे दिवस पंडित श्री मिश्रा ने बताया कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने कुब्जा का उद्धार किया। श्री कृष्ण जब कंस के वध के लिए मथुरा गए, तब वहां उन्हें कुब्जा मिली। जिसे श्रीकृष्ण ने सुंदर कहकर बुलाया। ये सुनकर कुब्जा श्री कृष्ण को देखती रह गई। कुब्जा ने श्रीकृष्ण से कहा कि क्या वह उसका उपहास उड़ा रहे हैं। श्रीकृष्ण ने कुब्जा से कहा कि नहीं आप बहुत सुंदर हैं। श्रीकृष्ण ने कुब्जा से कहा कि ये चंदन व फूल किस लिए, तब कुब्जा ने बताया कि वह कंस की दासी है और यह चंदन व फूल कंस के लिए हैं। श्रीकृष्ण ने कहा कि यह चंदन मुझे लगा दो, पर कुब्जा ने पहले इंकार कर दिया। फिर श्रीकृष्ण के आग्रह करने पर कुब्जा ने चंदन लगाना चाहा पर कुबड़ी होने से ऐसा न कर पाई, तब श्रीकृष्ण ने कुब्जा को रोग मुक्त किया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने कंस के हाथी को उसकी सूंड से पकड़ जमीन पर पटक दिया और उसके शरीर पर चढ़ गए। श्रीकृष्ण ने हाथी एक दांत तोड़ दिया। मृत हाथी को एक तर$फ छोड़कर श्रीकृष्ण दांत को थामे रखा और कुश्ती के मैदान में प्रवेश किया। जहां उन्होंने कंस का वध किया और वासुदेव व देवकी को कारागार से मुक्त किया। कथा के अंत में विठलेश सेवा समिति की ओर से पंडित दीपक मिश्रा, विनय मिश्रा, समीर शुक्ला, आकाश शर्मा आदि ने यहां पर आए श्रद्धालुओं को प्रसादी का वितरण किया।
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