सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर जारी सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 26 अगस्त 2024

सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर जारी सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन

  • सैकड़ों श्रद्धालुओं भगवान श्री कृष्ण व रुक्मणी जी की झांकी के दर्शन किये

Kubereshwar-dham-sehore
सीहोर। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में छठे दिन श्री कृष्ण और रुक्मणि का विवाह बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। विवाह उत्सव के दौरान प्रस्तुत किए गए भजनों के दौरान श्रद्धालु अपने आप को रोक नहीं पाए और जमकर नाचे। सोमवार को पंडित शिवम मिश्रा ने भगवान श्रीकृष्ण और माता रुकमणी के विवाह का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि रुक्मणि ने मन ही मन यह निश्चित कर लिया था कि भगवान श्री कृष्ण ही मेरे लिए योग्य पति हैं लेकिन रुक्मिणी का भाई रूकमी श्रीकृष्ण से द्वेष रखता था इससे उसने उस विवाह को रोक कर, शिशुपाल को रुक्मिणी का पति बनाने का निश्चय किया, इससे रुक्मिणी को दु:ख हुआ। उन्होंने अपने एक विश्वासपात्र को भगवान श्री कृष्ण के पास भेजा साथ ही अपने आने का प्रयोजन बताया। इसके बाद श्री कृष्ण जी विदर्भ जा पहुंचे। उधर रुक्मणी का शिशुपाल के साथ विवाह की तैयारी हो रही थी। परंतु उनकी प्रार्थना का असर हुआ और श्री कृष्ण का विवाह रुक्मणी के साथ हुआ। कथा सुनने आए सैकड़ों श्रद्धालुओं भगवान श्री कृष्ण व रुक्मणी जी की झांकी के दर्शन किये कथा में सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ रही।


कथा के छठवे दिवस पंडित श्री मिश्रा ने बताया कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने कुब्जा का उद्धार किया। श्री कृष्ण जब कंस के वध के लिए मथुरा गए, तब वहां उन्हें कुब्जा मिली। जिसे श्रीकृष्ण ने सुंदर कहकर बुलाया। ये सुनकर कुब्जा श्री कृष्ण को देखती रह गई। कुब्जा ने श्रीकृष्ण से कहा कि क्या वह उसका उपहास उड़ा रहे हैं। श्रीकृष्ण ने कुब्जा से कहा कि नहीं आप बहुत सुंदर हैं। श्रीकृष्ण ने कुब्जा से कहा कि ये चंदन व फूल किस लिए, तब कुब्जा ने बताया कि वह कंस की दासी है और यह चंदन व फूल कंस के लिए हैं। श्रीकृष्ण ने कहा कि यह चंदन मुझे लगा दो, पर कुब्जा ने पहले इंकार कर दिया। फिर श्रीकृष्ण के आग्रह करने पर कुब्जा ने चंदन लगाना चाहा पर कुबड़ी होने से ऐसा न कर पाई, तब श्रीकृष्ण ने कुब्जा को रोग मुक्त किया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने कंस के हाथी को उसकी सूंड से पकड़ जमीन पर पटक दिया और उसके शरीर पर चढ़ गए। श्रीकृष्ण ने हाथी एक दांत तोड़ दिया। मृत हाथी को एक तर$फ छोड़कर श्रीकृष्ण दांत को थामे रखा और कुश्ती के मैदान में प्रवेश किया। जहां उन्होंने कंस का वध किया और वासुदेव व देवकी को कारागार से मुक्त किया। कथा के अंत में विठलेश सेवा समिति की ओर से पंडित दीपक मिश्रा, विनय मिश्रा, समीर शुक्ला, आकाश शर्मा आदि ने यहां पर आए श्रद्धालुओं को प्रसादी का वितरण किया। 

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