- अयोध्या में रहकर क्यों उदास रहते हैं पागलदास
- प्रलेस, जलेस और जसम का संयुक्त आयोजन
एक और प्रमुख कविता में बोधिसत्व ने कहा
"वहां कई स्त्रियां थीं/जो नाच रही थी गाते हुए/ एक मटमैले वितान की ओर नाच रही थी/ कुछ देर बाद मां की बारी आई/ ऐसे गीत जिसे मां ने सुना था नानी से/ उनकी नानी ने भी सुना था अपनी नानी से" 'छोटा आदमी' कविता में कहते बोधिसत्व कहते हैं " छोटा आदमी हूं/ बड़ी बातें कैसे करूं/ छोटे छोटे दुखों से उबर नहीं पाता हूं/ कमीज पर नन्हीं खरोज देह के घाव से ज्यादा दुख देता है/ सौ ग्राम हल्दी जीरा, पचास ग्राम जीरा छींट जाने से उदास हो जाता हु/ एक छोटा सा ताना, काफी है मुझे मिटाने के लिए/ छोटा हूं पर रहने दो/ छोटी छोटी बातें कहता हूं, रहने दो।" अपनी 'हे राम' कविता में कहते हैं " जब दुर्दिन दूर हो जाता है/ पैदल चलना छोड़ पुष्पक विमान में चढ़ जाते हैं " बोधिसत्व ने और जिन कविताओं का पाठ किया उनमें प्रमुख है भदोई में एक आदमी, 'शांता', 'मगध डूब रहा है', 'गिरना', तमाशा, उनकी खातिर, 'वृक्षों की कोई विनय पत्रिका नहीं', 'ताजिए की लकड़ी मैं', 'सुख सूचक शिलालेख' आदि। काव्य पाठ के बाद उनकी कविताओं पर टिप्पणी करते हुए चर्चित कवि विनय कुमार ने बोधिसत्व की कविताओं पर अपनी राय प्रकट करते हुए कहा " भदोई वाली कविता में कई स्तर है। उसमें देश, समय तथा समय से पार जाती है। यह कविता एक कोलाज की तरह है। कविता अपना आकाश पाती है। मैं भदोई नहीं गया पर कविता के कारण वहां खुद को पाता हूं। सूचनाओं के जमाने में आजकल एक किस्म की कविता के कवि है। वे भारतीय परंपरा के कवि हैं। कहीं-कहीं वे पैलीतिकले करेक्ट होना चाहते हैं।"
धन्यवाद ज्ञापन पुनीत ने किया।
इस काव्य पाठ में मौजूद प्रमुख लोगों में थे शहंशाह आलम, अरविंद श्रीवास्त्व, लेखक अरुण सिंह, शायर संजय कुमार कुंदन, मजदूर नेता अरुण मिश्रा, राजेश कमल, अभ्युदय, नवीन, पुष्पेंद्र शुक्ला, अंचित, शिरीष पाठक, गौतम गुलाल, प्रमोद यादव, कुंजन उपाध्याय, जितेंद्र कुमार, वेंकटेश, राजीव रंजन, निखिल कुमार झा, डॉ अंकित, नवीन भंडारी, प्राच्य प्रभा के संपादक विजय कुमार सिंह, सुजीत कुमार, साकेत कुमार, अभिषेक विद्रोही, निखिल कुमार, विनीत राय, रविकिशन, हेमंत दास हिम, बी.के राय, पृथ्वी राज पासवान, अविनाश बंधु, मीर सैफ अली, अभय पांडे, राजेश ठाकुर , राजन आदि ।
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