पटना : सुप्रसिद्ध कवि बोधिसत्व के काव्य पाठ का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 30 अगस्त 2024

पटना : सुप्रसिद्ध कवि बोधिसत्व के काव्य पाठ का आयोजन


  • अयोध्या में रहकर क्यों उदास रहते हैं पागलदास
  • प्रलेस, जलेस  और जसम का संयुक्त आयोजन

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पटना,  30 अगस्त। प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ एयर जन संस्कृति मंच की पटना इकाई की कोर से संयुक्त रूप से मुंबई से आए कवि बोधिसत्व का काव्य पाठ का आयोजन माध्यमिक शिक्षक संघ भवन में किया गया। इस अवसर पर पटना शहर के कवि, साहित्यकार, रंगकर्मी, संस्कृतिकर्मी, समाजिक कार्यकर्ता आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन युवा कवि चंद्रबिंद सिंह ने किया। बोधिसत्व ने  अपने कई संकलनों से कई कविताओं  का पाठ किया। 'अयोध्या में कालपुरुष ' संग्रह सेअयोध्या में रहकर पखावज बजाने वाले  पागलदास पर केंद्रित अपनी चर्चित कविता 'पागलदास' का पाठ करते हुए बोधिसत्व ने कहा  " अयोध्या में रहकर उदास रहते थे पागलदास/मैंने पूछा कि अयोध्या में रहकर भी क्यों उदास रहते थे?/ मैने  पुछा अयोध्या में रहकर भी क्यों उदास रहते थे /लोग उनका नाम सुनते ही चुप हो जाते थे/ पूछने पर कहते क्या करेंगे जानकार कि क्यों उदास रहते थे पागलदास?  कपिलवस्तु में क्यों उदास रहते थे बुद्ध/ लोग दिल्ली, पटना में क्यों उदास हैं?" 


एक और प्रमुख कविता में बोधिसत्व ने कहा 

"वहां कई स्त्रियां थीं/जो नाच रही थी गाते हुए/ एक मटमैले वितान की ओर नाच रही थी/ कुछ देर बाद मां की बारी आई/ ऐसे गीत जिसे मां ने सुना था नानी से/ उनकी नानी ने भी सुना था अपनी नानी से" 'छोटा आदमी' कविता में कहते बोधिसत्व कहते हैं " छोटा आदमी हूं/ बड़ी बातें कैसे करूं/ छोटे छोटे दुखों से उबर नहीं पाता हूं/ कमीज पर नन्हीं खरोज देह के घाव से ज्यादा दुख देता है/  सौ ग्राम हल्दी जीरा, पचास ग्राम जीरा छींट जाने से उदास हो जाता हु/ एक छोटा सा ताना, काफी है मुझे मिटाने के लिए/ छोटा हूं पर रहने दो/ छोटी छोटी बातें कहता हूं, रहने दो।" अपनी  'हे राम' कविता में कहते हैं "  जब दुर्दिन दूर हो जाता है/ पैदल चलना छोड़ पुष्पक विमान में चढ़ जाते हैं " बोधिसत्व ने और जिन कविताओं का पाठ किया उनमें प्रमुख है भदोई में एक आदमी, 'शांता', 'मगध डूब रहा है', 'गिरना',  तमाशा, उनकी खातिर, 'वृक्षों की कोई विनय पत्रिका नहीं', 'ताजिए की लकड़ी मैं', 'सुख सूचक शिलालेख' आदि। काव्य पाठ के बाद उनकी कविताओं पर टिप्पणी करते हुए चर्चित कवि विनय कुमार ने बोधिसत्व की कविताओं पर अपनी राय प्रकट करते हुए कहा " भदोई वाली कविता में कई स्तर है। उसमें देश, समय तथा समय से पार जाती है। यह कविता एक कोलाज की तरह है। कविता अपना आकाश पाती है। मैं भदोई नहीं गया पर कविता के कारण वहां खुद को पाता हूं। सूचनाओं के जमाने में आजकल एक किस्म की कविता के कवि है। वे भारतीय परंपरा के कवि हैं। कहीं-कहीं वे पैलीतिकले करेक्ट होना चाहते हैं।"


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साहित्य अकादमी से सम्मानित कवि अरुण कमल ने अपनी टिप्पणी में कहा " बोधिसत्व के साथ रहने का मौका मिला।  पटना में पहली बार सुनने का मौका मिला।एक लंबे समय के बाद इन तीनों संगठनों ने काम किया। ऐसे ही हमेशा मिलकर बड़े बड़े काम करें।  बोधिसत्व  इतिहास के विद्यार्थी हैं। इन्होंने विवेकानंद पर काम किया। साहसी और निर्भीक कविताएं लिखीं। एक खास तरह का रसायन रचा। कविताओं की दुनिया में कोई  आशीर्वाद का सवाल नहीं उठता। किसी को भी लगे की काश यह कविता मैं लिखता। " प्रख्यात कवि आलोकधन्वा ने  अपने संबोधन में कहा " बोधिसत्व से मेरी मुलाकात मुंबई में हुई है। ये प्रकाश झा से काम करते थे। मैने प्रकाश झा से कहा था कि वे मेरे अनुज हैं। कविता का अंत नहीं है। इनकी कविता में कई आयाम है और कोई भी कविता कहीं से भी उठ जाती है। पखावज बजाने वाली कविता पागलदास झकझोरने वाली कविता है। सचमुच का जो कविता का बाहर का चेहरा समकालीनता के सारे डायमेंशन को सामने लाता है। ये भले खुद को राजनीतिक कवि नहीं कहते हैं लेकिन ये राजनीतिक हैं। कोई कविता निर्जन नहीं है।  कविता लिखना कोई आसान काम नहीं है। कविता से ज्यादा संश्लिष्ट कोई दूसरी विधा नहीं है। अच्छी कहानी कविता बन जाती है।  कथावाचक की तरह कविता नहीं होनी चाहिए।" 


धन्यवाद ज्ञापन पुनीत ने किया। 

इस काव्य पाठ में  मौजूद प्रमुख लोगों में थे   शहंशाह आलम, अरविंद श्रीवास्त्व, लेखक अरुण सिंह, शायर संजय कुमार कुंदन,  मजदूर नेता अरुण मिश्रा, राजेश कमल, अभ्युदय,  नवीन,  पुष्पेंद्र शुक्ला, अंचित, शिरीष पाठक,  गौतम गुलाल, प्रमोद यादव, कुंजन उपाध्याय, जितेंद्र कुमार, वेंकटेश, राजीव रंजन, निखिल कुमार झा, डॉ अंकित, नवीन भंडारी, प्राच्य प्रभा के संपादक विजय कुमार सिंह, सुजीत कुमार, साकेत कुमार, अभिषेक विद्रोही, निखिल कुमार, विनीत राय, रविकिशन, हेमंत दास हिम, बी.के राय, पृथ्वी राज पासवान,  अविनाश बंधु, मीर सैफ अली, अभय पांडे, राजेश ठाकुर , राजन आदि ।

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