पटना : सरकार की मनमानी के खिलाफ विश्वविद्यालय शिक्षक हो रहे एकजुट : डॉ. संदीप सौरभ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 31 अगस्त 2024

पटना : सरकार की मनमानी के खिलाफ विश्वविद्यालय शिक्षक हो रहे एकजुट : डॉ. संदीप सौरभ

  • बिहार प्रोग्रेसिव यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (बीपूटा) का स्थापना सम्मेलन कल
  • 1 सितंबर को आइएमए हॉल में होगा स्थापना सम्मेलन, विभिन्न विश्वविद्यालयों से शिक्षक होंगे शामिल

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पटना 31 अगस्त (रजनीश के झा), माले विधायक डॉ. संदीप सौरभ ने कहा कि विश्वविद्यालय के नवनियुक्त शिक्षकों ने प्रशासनिक मनमानी के खिलाफ कैंपसों के लोकतांत्रिकीकरण, पठन-पाठन के माहौल को पुनर्बहाल करने, महिला शिक्षिकाओं के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराने, ध्वस्त आधारभूत संरचनाओं को पुनर्बहाल करने, खाली पदों पर अविलंब भर्ती आदि सवालों पर एक नया विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन बनाया जाए. उन्होंने कहा कि पहले से कार्यरत शिक्षक संगठन लगभग निष्प्रभावी हो चुके हैं. जिन शिक्षकों ने बड़ी उम्मीदों के साथ बिहार के कॉलेजों को ज्वाइन किया था आज बेहद निराशा की स्थिति झेल रहे हैं. कॉलेजों में कहीें से भी पठन-पाठन का माहौल नहीं है. इसलिए तय किया गया है कि बिहार प्रोग्रेसिवत यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोएिसशन (बीपूटा) के नाम से एक नया शिक्षक संगठन बनाया जाए जिसका स्थापना सम्मेलन कल 1 सितंबर को पटना के आइएमए हॉल में आयोजित किया गया है.


स्थापना सम्मेलन में बिहार के कई विश्वविद्यालय के शिक्षक मौजूद रहेंगे. इनमें पटना, पाटलिपुत्र, भीमराव अंबेडकर (मुजफ्फरपुर,) मगध, एलएनएमयू (दरभंगा) आदि विश्वविद्यालयों से शिक्षकों की उल्लेखनीय भागीदारी होगी. माले विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि शिक्षक समुदाय की मांगों से संबंधित एक चार्टर तैयार कर लिया गया है. अब हम संगठन निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. हम बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के प्रति प्रतिबद्ध हैं. आए दिन हमारे पास शिक्षकों की कई समस्याएं आती हैं, जिन्हें विभिन्न मंचों से उठाया जाता रहा है, लेकिन एक सशक्त संगठन के अभाव में बहुत प्रभावी हस्तक्षेप संभव नहीं हो पा रहा था. इसलिए हमलोग इस दिशा में बढ़ रहे हैं. उन्होंने बिहार की गिरती शिक्षा व्यवस्था पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया. विवि व कॉलेज प्रशासन की मनमानी पर सवाल उठाए तथा इस स्थिति में बदलाव हेतु एक एक सकारात्मक हस्तक्षेप के उपकरण के बतौर शिक्षक संगठन के निर्माण पर जोर दिया. महिला शिक्षिकाओं ने आधारभूत संरचनाओं की खस्ता हाल के साथ-साथ मातृत्व अवकाश के सवाल को उठाया.

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