आज देश अपना 78वां स्वाधीनता-दिवस मना रहा है। घर-घर और जगह-जगह राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगे फहराए जा रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में सबसे पहले हमारा राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) कब और कहां फहराया गया था? हम में से ज्यादातर लोग शायद इसके बारे में न जानते हों। लेकिन बता दें भारत की धरती पर सबसे पहले अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट-ब्लेयर में तिरंगा फहराया गया था और यह तिरंगा फहराया था भारत माता के सपूत प्रसिद्ध स्वतंत्रता-सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने। 29 दिसंबर 1943 को नेताजी सुभाष-चंद्र बोस अंडमान एंड निकोबार द्वीप के पोर्ट-ब्लेयर पहुंचे। वे तीन दिनों के लिए यहां आए थे। 30 दिसंबर 1943 को समुद्र के किनारे जिमखाना ग्राउंड(अब फ्लैग पॉइंट) पर नेताजी ने तिरंगा फहराया था और द्वीप-समूह को ब्रिटिश शासन से मुक्त क्षेत्र घोषित किया था। दरअसल,दूसरे विश्वयुद्ध में जापान ने इस द्वीप पर कब्जा कर लिया था। 1942 में जापान का इस पर कब्जा हुआ जो 1945 तक रहा। 29 दिसंबर को उन्होंने इसे सुभाषचंद्र बोस की ‘आजाद हिंद सरकार’ को सौंप दिया। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की कहानियों में पोर्ट-ब्लेयर के फ्लैग-पॉइंट में 150 फ़ीट की ऊँचाई पर पूरी शान से लहराता हमारे देश का यह ध्वज आज हमारी राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक बन चुका है। अपनी पोर्ट-ब्लेयर की यात्रा के दौरान आज पन्द्रह अगस्त २०२४ को इस तिरंगे को देखकर मन गर्व-मिश्रित आनंद से भर गया। हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में पोर्ट-ब्लेयर को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
(डॉ० शिबन कृष्ण रैणा)
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