नालंदा : गुरु पद्मसंभव के जीवन और जीवंत विरासत की खोज पर आयोजित सम्मेलन संपन्न - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 29 अगस्त 2024

नालंदा : गुरु पद्मसंभव के जीवन और जीवंत विरासत की खोज पर आयोजित सम्मेलन संपन्न

Guru-padmnabh-seminar-nalanda
नालंदा/पटना, 29 अगस्त (रजनीश के झा), नव नालंदा महाविहार, नालंदा में गुरु पद्मसंभव के जीवन और जीवंत विरासत की खोज पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन गुरुवार (29.8.2024) को महत्वपूर्ण और सार्थक चर्चा व विमर्श के साथ संपन्न हो गया। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी), नई दिल्ली द्वारा नव नालंदा महाविहार, नालंदा के सहयोग से नालंदा में 28 और 29अगस्त  को  सम्मेलन का आयोजन नव नालंदा महाविहार में किया गया। 


गुरु पद्मसंभव सम्मेलन के अंतिम सत्र में गुरु पद्मसंभव के जीवन, यात्रा और प्रकट रूपों के विभिन्न पहलुओं पर विद्वानों ने चर्चा की। सम्मेलन की समाप्ति अतिथि खेंपो चीमेद द्वारा एक समापन टिप्पणी के साथ हुई, जिन्होंने गुरु पद्मसंभव से संबंधित ऐतिहासिक और पुरातात्त्विक साक्ष्यों की खोज में प्रयासों को तीव्र करने का आह्वान किया। आईबीसी के महानिदेशक  अभिजीत हलदर महानिदेशक धन्यवाद ज्ञापन किया।उन्होंने उल्लेख किया कि यह कार्यक्रम गुरु पद्मसंभव पर एक विद्वत्तापूर्ण संवाद की शुरुआत भी है। सम्मेलन में उनके बारे में कई कम ज्ञात तथ्यों पर पहली बार चर्चा की गई। उन्होंने  सम्मेलन को सफल बनाने में सभी आयोजकों, वालंटियर और नव नालंदा महाविहार को उनकी निरंतर मेहनत के लिए धन्यवाद दिया। दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में  लुम्बिनी विकास ट्रस्ट के उपाध्यक्ष खेंपो चिमेड और भूटान के केंद्रीय मठ निकाय के रॉयल भूटान मंदिर के सचिव/मुख्य भिक्षु परम खेंपो उग्येन नामग्याल सहित कई देश के बौद्ध विचारक  शामिल हुए।

कोई टिप्पणी नहीं: