वाराणसी : हिन्दी विभागाध्यक्ष वशिष्ठ द्विवेदी ने विद्यार्थियों से समाज सेवा के लिए आगे आने का आह्वान किया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 13 अगस्त 2024

वाराणसी : हिन्दी विभागाध्यक्ष वशिष्ठ द्विवेदी ने विद्यार्थियों से समाज सेवा के लिए आगे आने का आह्वान किया

  • बीएचयू के हिन्दी विभाग में नवप्रवेशी छात्र अभिन्यास कार्यक्रम का शुभारंभ किया 

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वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर हिंदी प्रथम वर्ष के नवागत विद्यार्थियों को हिन्दी विभाग और विश्वविद्यालय की परंपरा तथा अन्यान्य विषयों से परिचित कराने के लिए पांच दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर हिंदी विभागाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध ग़ज़लकार प्रोफेसर वशिष्ठ अनूप द्विवेदी ने हिन्दी विभाग और विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास का परिचय देते हुए अतिथियों और छात्र-छात्राओं का स्वागत करते हुए उन्हें इस श्रेष्ठ परंपरा से जुड़ने के लिए बधाई दी। श्री वशिष्ठ ने विद्यार्थियों से समाज सेवा के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि एक प्रतिष्ठित शोध केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में सफलतम प्रयास करने का यह सुनहरा मौका है। यूजीसी गाइड लाइन के अनुसार अपने शोध कार्य से पूर्व छह महीने का अभिविन्यास कार्यक्रम सफलतापूर्वक पूर्ण करना अनिवार्य है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आरक्षाधिकारी प्रो. एसपी सिंह ने  विश्वविद्यालय में सुरक्षा एवं स्वास्थ्य से संबंधित सुझाव देते हुए उनसे विश्वविद्यालय की महान परम्परा को आगे बढ़ाने का आग्रह किया।


विशिष्ट अतिथि प्रो. एमएस पांडेय, पूर्व विभागाध्यक्ष अंग्रेजी बीएचयू की अंग्रेज़ी एवं कला संकाय की वृहद विरासत से परिचय कराते हुए शैक्षणिक एवं अध्ययन- अध्यापन से जुड़े अनेक रोचक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए छात्रों को अपने विषय के अतिरिक्त अन्य विषयों, भाषाओं में डिप्लोमा कोर्स के साथ ही साथ सांस्कृतिक एवं अकादमिक संगोष्ठियों से जुड़े रहने का सुझाव दिया। प्रो श्रीप्रकाश शुक्ल ने नव प्रवेशी छात्रों को हिन्दी विभाग की विराट परंपरा में लाला भगवानदीन, बाबू श्यामसुंदर दास, रामचंद्र शुक्ल, हज़ारी प्रसाद द्विवेदी आदि आचार्यों का परिचय देते हुए कहा कि हिंदी के विद्यार्थियों को हीन भावना से ग्रसित नहीं होना चाहिए। प्रो राजकुमार ने छात्रों को भारतीय एवं पाश्चात्य चिंतकों एवं साहित्य को कैसे पढ़ा जाए, भाषा और साहित्य के किन बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी होता है, भाषा की व्यवहारिकता और साहित्य की उपादेयता आदि के विषय में संबोधित किया। कुल गीत  की प्रस्तुति शोध छात्राओं ने किया। डॉ. अशोक ज्योति ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अतिथियों एवं छात्रों का आभार प्रकट किया।संचालन डॉ. विंध्याचल यादव ने किया। इस ओरिएंटेशन प्रोग्राम में हिन्दी विभाग के शिक्षक  रहे। सभागार छात्र -छात्राओं से पूरी तरह भरा रहा।

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