मुख्य अतिथि के विचार:
इस महत्वपूर्ण अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री पी. एस. ओझा, जो उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व राज्य सलाहकार (एफपीओ) रहे हैं, ने "मूल्य संवर्धन श्रृंखला में आस्था के माध्यम से एफपीओ (कृषक उत्पादक संगठन) के आर्थिक स्वावलंबन" विषय पर गहन चर्चा की। उन्होंने कहा कि एफपीओ के माध्यम से किसानों को न केवल उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सकता है, बल्कि वे एक संगठित तरीके से अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में भी सक्षम हो सकते हैं। श्री ओझा ने कृषि अवसंरचना निधि (AIF) की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला, जो किसानों को आधुनिक कृषि उपकरण और संसाधनों तक पहुंच प्रदान करने में सहायक है। उन्होंने बताया कि कैसे कृषि और अन्य जीव अपशिष्टों से बायोकोल का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे न केवल पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित होती है बल्कि किसानों के लिए आय के नए स्रोत भी उत्पन्न होते हैं। उनके विचारों ने श्रोताओं को पर्यावरण संरक्षण और सतत कृषि के महत्व के बारे में जागरूक किया।
इस कार्यक्रम में श्री राज झा, जो राष्ट्रीय क्रिएटिव डायरेक्टर हैं, ने "इको टूरिज्म, ऑर्गेनिक फार्मिंग और किसानों के लिए विपणन रणनीतियों" पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि मिथिला क्षेत्र में इको टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं, जो न केवल इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता को प्रदर्शित कर सकती हैं, बल्कि स्थानीय समुदायों को आर्थिक रूप से भी सशक्त कर सकती हैं। उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग के लाभों पर जोर देते हुए कहा कि इस विधि से उपजे उत्पाद न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं, बल्कि उन्हें बेहतर बाजार मूल्य भी प्राप्त होता है। श्री संजय सैनी, जो संघर्ष बायो एनर्जी के डायरेक्टर हैं, ने शहद उत्पादन और इसके स्वास्थ्य लाभों पर एक विस्तृत सत्र का संचालन किया। उन्होंने श्रोताओं को बताया कि शहद उत्पादन न केवल एक लाभकारी कृषि उद्यम है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। उन्होंने कहा कि शहद का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है, जिससे इसे एक महत्वपूर्ण और सतत कृषि उत्पाद बनाया जा सकता है। Nisha निरंजन, जो वीएन ऑर्गेनिक की संस्थापक और सीईओ हैं, ने मशरूम उत्पादन और उसके स्वास्थ्य लाभों के साथ-साथ मिथिला क्षेत्र में इसके व्यवसायिक संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि मशरूम उत्पादन किसानों के लिए एक लाभकारी उद्यम साबित हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने मशरूम के विभिन्न प्रकारों और उनके स्वास्थ्य लाभों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मशरूम की खेती से मिथिला क्षेत्र में एक नए प्रकार के कृषि व्यापार की शुरुआत की जा सकती है, जो स्थानीय समुदायों को सशक्त करेगा।
इस कार्यक्रम के महत्वपूर्ण वक्ता श्री नवीन झा जो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सीनियर ALI फेलो हैं। उन्होंने अपने प्रेरणादायक संबोधन में भारत के युवाओं की अपार क्षमता और दृढ़ता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की युवा पीढ़ी में इतनी क्षमता है कि वे देश को विश्व स्तर पर एक नई ऊंचाई तक ले जा सकते हैं, बशर्ते वे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास करें। उनके संबोधन ने श्रोताओं को गहराई से प्रेरित किया और उन्हें अपने लक्ष्यों की दिशा में मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित किया। अजय सुमन शुक्ल, जो एक सोच फाउंडेशन के डायरेक्टर हैं, ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने अपना मंत्र "उठो, काम करो, और तब तक प्रयास करो जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए" साझा करते हुए श्रोताओं को प्रेरित किया। उनकी इस बात ने श्रोताओं को गहराई से प्रभावित किया और सभी ने उनकी नेतृत्व क्षमता और प्रतिभा को निखारने के समर्पण की सराहना की। सुमन सिंह (सचिव, सखी, बिहार) ने सामुदायिक स्तर पर मत्स्य पालन और मखाना की महत्ता पर चर्चा की। ये दोनों क्षेत्र बिहार की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, रोजगार प्रदान करते हैं और सतत कृषि को बढ़ावा देते हैं। मखाना और मछली पालन से स्थानीय किसानों और विशेषकर महिलाओं को सशक्तिकरण मिलता है। DCE दरभंगा के प्रिंसिपल डॉ. संदीप तिवारी ने कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों को उनके मूल्यवान समय और योगदान के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस सत्र से किसानों को महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा और मिथिला क्षेत्र में एक नए कृषि क्रांति की शुरुआत होगी। उन्होंने इस प्रकार के कार्यक्रमों के महत्व पर जोर दिया और कहा कि इससे क्षेत्र के युवाओं और किसानों को नई दिशा मिलेगी।
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