सीहोर। हर साल की तरह शहर के अवधपुरी स्थित भगवान पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में सावन महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान पूरे सावन के मास में भगवान शिव का पंचामृत सहित अन्य पदार्थों से अभिषेक किया गया और अब सोमवार को 11 फलों के रस से विशेष अभिषेक किया जाएगा। सुबह पांच बजे से अभिषेक आरंभ होगा जो सुबह आठ बजे हवन किया जाएगा। इसके पश्चात सहस्त्रार्चन की जाएगी। यहां पर सुबह महामृत्युंजय मंत्रों का आधा दर्जन से अधिक विप्रजनों के द्वारा पाठ और पंचामृत से अभिषेक किया जा रहा है। पशुपतिनाथ महादेव मंदिर के पुजारी पंडित अखिलेश रजोरिया के मार्गदर्शन में आधा दर्जन विद्वान पंडितों के द्वारा सुबह पांच बजे पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक किया गया था, वहीं शाम को हवन पूजन और महा आरती का आयोजन किया गया। इस मौके पर पंडित श्री रजोरिया ने कहा कि रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। मन निर्मल हो जाने पर भगवान शिव की कृपा भक्तों पर होती है यदि कोई भक्त इस पवित्र माह में सच्चे मन से शिव की उपासना करता है तो उसे उस भक्ति का लाभ अवश्य ही मिलता है। मनुष्य की रचना पांच तत्वों से मिलकर हुई है जो इस प्रकार हैं। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु तथा आकाश। इनके अलावा पांच ज्ञानेन्द्रियां तथा पांच कर्मेन्द्रियां भी उसमें समावेशित हैं। इन सबमें सर्वाधिक शक्तिशाली मन को माना गया है जिसकी गति अत्यधिक तीव्र होती है मन की इसी चंचलता के कारण मात्र मनुष्यों को ही नहीं अपितु देवताओं के साथ-साथ दैत्यों को भी दु:ख झेलने पड़े थे। इसी क्रम में मन के पांच विकार बताये गये हैं। काम, क्रोध, लोभ, मोह तथा अहंकार इन पांचों के कारण ही मनुष्य सदा ही दुख पाता है।
महामृत्युंजय मंत्रों का जाप का प्रभाव
उन्होंने बताया कि महामृत्युंजय मंत्रों का जाप किया जा रहा था। शिव की पूजा और अर्चना कभी भी निष्फल नहीं जाती है, देवता मंत्र के अधीन रहते हैं, मंत्र शक्ति का व्यापक प्रभाव है। शिव पुराण में मंत्रों की साधना व सिद्धि का विशेष उल्लेख किया गया है। मंत्रों का अनुष्ठान व वाचन ठीक ढंग से किया जाए तो त्वरित फल दिखाई पड़ता है। महादेव देवों के देव के नाम से जाने जाते हैं। महादेव के बारे में यह कहा जाता है कि वह भक्तों की पुकार जल्द सुनकर उनके दुख दर्द दूर करते हैं। भगवान शिव अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। जटाधारी शिव शंकर को प्रसन्न करने में किसी भी मनुष्य को कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है। शास्त्रों में कहा गया है कि महादेव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और इसके सामने यमराज को भी हार माननी पड़ती है। उन्होंने कहा कि शिवजी के महामृत्युंजय मंत्र को महामंत्र कहा जाता है। इसमें भगवान शिव के महामृत्युंजय रूप से लंबी आयु की प्रार्थना की जाती है। यह मंत्र कई तरह से प्रयोग में लाया जाता है। शास्त्रों और पुराणों में असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय जप करने का विशेष उल्लेख मिलता है। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को खुश करने का महामंत्र है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें