गाजियाबाद : ’कविता अविराम-6’ और ‘झरोखे एहसास के’ का देहरादून में लोकार्पण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 24 सितंबर 2024

गाजियाबाद : ’कविता अविराम-6’ और ‘झरोखे एहसास के’ का देहरादून में लोकार्पण

  • देवप्रभा प्रकाशन ने दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर में किया लोकार्पण समारोह

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गाजियाबाद। देवप्रभा प्रकाशन ने देहरादून स्थित मॉडर्न दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर में पुस्तक लोकार्पण एवं उत्तराखंड के 46 रचनाकारों का सम्मान समारोह आयोजित किया। साझा काव्य संग्रह ‘कविता अविराम-6’ एवं सुविख्यात कवयित्री अलका शर्मा के गजल संग्रह ‘झरोखे एहसास के’ का लोकार्पण पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी, मुख्य अतिथि सीएल बरेजा, अति विशिष्ट अतिथि पंकज बिजल्वाण, विशिष्ट अतिथि अनूप वाजपेयी, वीरेंद्र डंगवाल ‘पार्थ’, आकाशवाणी केन्द्र दिल्ली की उद्घोषिका व कवयित्री डॉ. नीरजा चतुर्वेदी और प्रकाशक डॉ. चेतन आनंद ने किया। ‘कविता अविराम-6’ में उत्तराखंड के 46 कवियों की कविताएं संकलित हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। डॉ. नीरजा चतुर्वेदी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। देवप्रभा प्रकाशन की ओर से प्रकाशक डॉ. चेतन आनंद और सह-प्रकाशक संगीता आनंद ने सभी अतिथियों का सम्मान शॉल, मोतियों की माला और स्मृति चिह्न देकर किया। प्रकाशक की ओर से संग्रह में शामिल सभी कवियों को ‘देवप्रभा साहित्य गौरव सम्मान’ प्रदान किया गया। सभी को शॉल, स्मृति चिह्न, मोतियों की माला और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि देवप्रभा प्रकाशन का देहरादून में आयोजन करना सराहनीय है। उन्होंने कहा कि भौतिक होना सबसे बड़ी बात है, हमने लकड़ी, पत्थर व पानी को नहीं जाना तो कुछ नहीं जाना। मुझे सरल भाषा में बोलना है। लेकिन, सरल बोलना बहुत कठिन है। उन्होंने कहा कि हमारा नामकरण हमारे काम के आधार होना चाहिए, जो हमारा नाम पैदा होने पर रखा जाता है वह हमारा नाम नहीं होता, वह किसी और का नाम होता है, जिसको लेकर हम जीवन भर चलते हैं। कार्यक्रम में श्री जगूड़ी ने अपनी दो कविताओं का पाठ भी किया।


मुख्य अतिथि रज्जू भैया सैनिक विद्या मंदिर बुलंदशहर के चेयरमैन सीएल बरेजा ने कहा कि कई सालों से समाज के कर्णधारों ने हिंदी भाषा को उचित स्थान नहीं दिया है। लेकिन, 70 साल बाद अब वह समय आ गया है, जब हिंदी को उसका असली दर्जा मिल रहा है और हिंदी को सम्मान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लायंस क्लब समाज में जरूरतमंद लोगों को मदद देता है। कहीं पर भी आपदा हो या अन्य जरूरतमंद हो तो लायंस क्लब की ओर से उन्हें सहयोग किया जाता है। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से भी कहा कि यदि कोई जरूरतमंद हो तो उनसे संपर्क करवाएं, उनकी मदद की जाएगी। अति विशिष्ट अतिथि लायंस क्लब के मल्टीपल प्रेसिडेंट पंकज बिजल्वाण ने कहा कि समाज में संस्कार बहुत जरूरी हैं, युवा पीढ़ी संस्कारित हो इसलिए अभिभावकों को अपने बच्चों को श्रीमद्भागवत गीता पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। गीता के अध्ययन से संस्कारित पीढ़ी समाज को मिलेगी जो देश के निर्माण में अपना योगदान देगी। उन्होंने कहा कि देवप्रभा प्रकाशन ने उत्तराखंड के कवियों को एक मंच पर लाकर सराहनीय प्रयास किया है, उनका यह प्रयास भविष्य में भी जारी रहेगा, ऐसी मुझे उम्मीद है।


विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार अनूप वाजपेयी ने कहा कि देवप्रभा प्रकाशन ने पहाड़ की प्रतिभाओं को समुचित स्थान देकर उन्हें समाज से रूबरू करवाया है। विशिष्ट अतिथि वीरेंद्र डंगवाल ‘पार्थ’ ने कहा कि देवप्रभा प्रकाशन साहित्य के संवर्द्धन में निरंतर प्रयासरत है। अल्प समय में ही प्रकाशन ने बहुत सी पुस्तकें प्रकाशित की हैं, इसी क्रम में उत्तराखंड के साहित्यकारों का संयुक्त काव्य संग्रह ‘कविता अभिराम भाग-6’ आया है, जिसमें गढ़वाल और कुमाऊं के 46 साहित्यकारों को स्थान दिया गया है। काव्य संग्रह को लेकर साहित्यकारों में उत्साह है और इसी का परिणाम है कि देहरादून में भव्य लोकार्पण एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया। डंगवाल ने ‘कविता अविराम भाग-6’ के लिए प्रकाशक डॉ. चेतन आनंद और संगीता आनंद को बधाई और शुभकामनाएं दीं। डंगवाल ने कहा कि हिंदी भाषा को शुद्ध रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। लेकिन, आजादी के बाद से ही हिंदी भाषा की शुद्धता पर ध्यान नहीं दिया गया। हिंदी वर्णमाला में ही हिंदी के शब्द नहीं पढ़ाए जा रहे हैं, उसमें सुधार होना चाहिए। डंगवाल ने घनाक्षरी ’धड़के है दिल मत भारती के नाम से ही देश भावना का यश गान लिख दीजिए, और ’राधा रानी नैनो से बोलता है प्रीत जब मोहन सम्मोहन में चित हार जाते हैं’ सुनाई। विशिष्ट अतिथि कवयित्री व आकाशवाणी उद्घोषिका डॉ नीरजा चतुर्वेदी ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने माहिये सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के अंत में देवप्रभा प्रकाशन की ओर से चेतन आनंद ने सभी आमंत्रित अतिथियों और रचनाकारों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ‘कविता अविराम-6’ हमारे लिए विशिष्ट है। पहाड़ के इतनी बड़ी संख्या में रचनाकारों को संग्रह में शामिल कर उन्हें सुखद अनुभूति हो रही है। उन्होंने कहा कि संग्रह की संपादक कुसुम लता कुसुम के अथक प्रयास से संग्रह का प्रकाशन संभव हो पाया। उन्होंने कहा कि संग्रह में जितने रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई हैं, उनको वह सुनना भी चाहेंगे और इसके लिए जल्द ही उत्तराखंड में एक और कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। समारोह में संगीता आनंद, नरेंद्र उनियाल, पुष्पलता ममगाई, पीतांबर महंत आदि मौजूद रहे।


इन्हें मिला देवप्रभा साहित्य गौरव सम्मान

डॉ. मनोज जोशी कामदेव, कुसुम लता पुंडोरा कुसुम, आचार्य कृष्णानंद नौटियाल, सुरेंद्र सिंह रावत, भगत सिंह, राणा, नंदन राणा नवल, राजेश जोशी, सुरेंद्र जोशी, अंशी कमल, सुरेश सेमवाल, संगीता बहुगुणा, सुभाष सेमेल्टी, रोशनी पोखरियाल, कमला उनियाल, सुनीता सेमवाल, युद्धबीर सिंह बिष्ट, सन्नू नेगी, ममता जोशी स्नेहा, विनीता भट्ट, राकेश असवाल, अनीता जोशी, ज्योति बिष्ट, सिद्धि डोभाल, बिमला राणा, सरोज डिमरी, ज्योति कपरवान, सुमन किमोठी, नीलम डिमरी, अंजना कंडवाल नैना, साइनी कृष्ण उनियाल, गीता मैंदोली, संगीता बिष्ट, आशा नेगी, दीप लता झिंक्वाण, पूनम तिवारी, दीपा बिष्ट, प्रियंका भट्ट प्रिया, रश्मि पैन्यूली, आशा भट्ट, कुमारी वर्णी पाल, वीरेंद्र डंगवाल ‘पार्थ’, मधुरवादिनी तिवारी, वीणावादिनी उनियाल, दीपिका वल्दिया, कविता बिष्ट, मणि अग्रवाल ‘मणिका’।

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