कविता : मेरी अभिलाषा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 29 सितंबर 2024

कविता : मेरी अभिलाषा

अब ना बनाना है मुझे माता,

ना देना जवाब मुझे किसी को आता,

क्यों डरूँ मैं इस दुनिया से?

न कातिल मैं, ना ये काम मेरा,

क्यों दुनिया के अंधेरों में,

छुपा बैठा है गुनहगार,

करता बातें सबकी है,

न बताता अपना नाम,

कैसे सुधारे भविष्य अपना,

जहां सुरक्षित नारी ही नहीं है॥





Parwati-charkha-feature

पार्वती

गुलेरा, कपकोट

बागेश्वर, उत्तराखंड

चरखा फीचर्स

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