अब ना बनाना है मुझे माता,
ना देना जवाब मुझे किसी को आता,
क्यों डरूँ मैं इस दुनिया से?
न कातिल मैं, ना ये काम मेरा,
क्यों दुनिया के अंधेरों में,
छुपा बैठा है गुनहगार,
करता बातें सबकी है,
न बताता अपना नाम,
कैसे सुधारे भविष्य अपना,
जहां सुरक्षित नारी ही नहीं है॥
पार्वती
गुलेरा, कपकोट
बागेश्वर, उत्तराखंड
चरखा फीचर्स
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