कविता : लड़कियां कमजोर नहीं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 29 सितंबर 2024

कविता : लड़कियां कमजोर नहीं

आखिर क्यों बोझ समझते हो?

एक लड़की ही तो हूँ मैं,

जितना प्यार बेटे को देते हो,

उतना हमसे भी करके देखो कभी,

आख़िर मैं भी तो एक इंसान हूँ,

तुम्हारी तरह प्रकृति की संतान हूँ,

बहुत रुलाया इस जिंदगी ने,

कांटों भरी राहों में अकेला ख़ुद को पाया हमने,

माँ बाप के प्यार के लिए तरसते हम,

पर कभी वो प्यार न पाया हमने,

खुले आसमां में उड़ने की चाह है हमारी,

मगर ये चाह कभी पूरी ना हो पाई हमारी,

समय आ गया है अब आवाज उठाने की,

लोगों की बातों को पीछे छोड़ आगे बढ़ जाने की॥






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चित्रा जोशी

उत्तारोडा, कपकोट

बागेश्वर, उत्तराखंड

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