- पीड़ित की तहरीर पर मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव को दिया जांच का आदेश
- प्रमुख सचिव ने प्राथी के तहरीर को मंडलायुक्त व जिलाधिकारी वाराणसी को जांच का निर्देश देते हुए यथोचित कार्रवाई की अपेक्षा की है
मुख्यमंत्री को सौंपे गए पत्र में रमेश पाल का आरोप है कि वाराणसी के तहसील पिंडरा स्थित ग्रामसभा बाबतपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे सरकारी चकरोड का स्थान परिवर्तन कर तहसील कर्मियों द्वारा भू माफियाओं को लाभ पहुंचाने व अवैध कराने की नियत से पुराने अभिलेखों व नक्शे में हेरफेर किया है। आरोप है कि तहसील अफसरों ने भूमाफियाओं की मिलीभगत से ग्रामसभा बाबतपुर के आराजी संख्या 614, रकबा 0.045 हेक्टेयर की पक्की पैमाइश वर्ष 2011 में दर्ज चकरोड को 20 मीटर दूर खिसकाकर बदल दिया है। जबकि तत्कालीन जिलाधिकारी वाराणसी के आदेश के उपरांत ग्रामसभावासियों के आने-जाने हेतु राजस्व की टीम द्वारा इस चकरोड़ का निर्माण कराया गया था। खास यह है कि मनरेगा योजना के तहत इस चकरोड का दो दो बार मरम्मत भी कराया गया है। बावजूद इसके वर्तमान तहसील अफसरों द्वारा स्थानीय भूमाफियाओं व प्रॉपर्टी डीलरों से लेनदेन करके सालों पुरानी चकरोड की जमीन को हड़पने व अवैध कब्जे की नीयत से चकरोड का स्थान परिवर्तन किया जा रहा है। आरोप है कि पूर्व में जौनपुर वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के अंतर्गत चकरोड़ के किनारे के खातेदारों को केंद्र सरकार द्वारा उनके रकबे के हिसाब से मुआवजा भी दिया गया है। जिसमें नक्शा सहित चकरोड व सभी खातेदारों का रकबा स्पष्ट किया जा चुका है। वर्तमान समय में तहसील कर्मियों द्वारा उच्च अधिकारियों को गलत व भ्रामक सूचना देकर अवैध तरीके से रुपए लेकर पुनः मापी कराई गई और चकरोड का स्थान बदलकर दूसरे खातेदारों के जमीन में चकरोड का हिस्सा बढ़ा दिया गया है। आरोप है कि यह सब भूमाफियाओं व प्रापर्टी डीलरों को लाभ पहुंचाने के लिए जा रहा है। आरोप है कि अफसरों के साथ क्षेत्रीय प्रधान की भी इस मामले में भूमिका संदिग्ध है। 15 वर्ष पुराने चकरोड की दशा एवं दिशा को बदलने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे ग्रामसभावासियों एवं खातेदारों में रोष व्याप्त है। रमेश पाल ने प्रकरण की जांच कराकर मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाया है।
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