- शैक्षिक कार्यक्रम के अंतर्गत हुआ विद्या संवाद
वक्ता राजीव ओबरॉय ने दसवीं व बारहवीं कक्षा के परीक्षार्थियों को बताया कि वे सकारात्मक सोच से परिपूरित होकर परीक्षा दें। उन्होंने कहा कि सफलता के मार्ग में उतार-चढ़ाव के साथ निराश करने वाली कठिनाइयों का सम्मुख आना स्वाभाविक है किन्तु हमें इस बात से प्रेरणा लेनी चाहिए कि दिक्कतें तो हर महान व्यक्ति तथा इतिहासपुरुष के मार्ग में हर बार आयी हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे विद्यालय में ऐसी प्रत्येक परिस्थिति में संकट का समाधान करने की असाधारण शक्तियों ने सामने आकर शिक्षार्थियों को अभूतपूर्व प्रेरणा प्रदान की है। श्री ओबरॉय ने काव्य की पक्तियाँ दोहरायीं, ‘‘माना कि अँधेरा घना है लेकिन दीपक जलाना कहाँ मना है।’’ अँधेरा जितना सघन होता है दीपशिक्षा का प्रभामण्डल उतना ही तीव्र व व्यापक होता है। इस संवाद यात्रा जिन विद्यालयों से होकर गुजरी उनके नाम हैं—डॉ० भीष्म सिंह कुसुम इण्टर कॉलेज, सराय अकिल, पं० यज्ञदत्त त्रिपाठी इण्टर कॉलेज, दानपुर अषाढ़ा, एम०आर०यू०एन० इण्टर कॉलेज, गोविन्दपुर गोरियों, आदर्श ग्राम सभा इण्टर कॉलेज, चरवा, कौशाम्बी। आर० एण्ड डी० प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ० जय शंकर आत्रेय ने मेधावी छात्र-छात्राओं को ट्राफियाँ व डायरियाँ प्रदान कर उत्साहित तथा प्रेरित किया। उन्होंने बच्चों की प्रशस्ति भी की। डॉ० आत्रेय ने विद्यालयों के गुरुजनों को सम्मान प्रतीक प्रदान करते हुए उनका हार्दिक अभिनंदन भी किया।
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