जब हम उद्यमिता की बात करते हैं तो सबसे पहला नाम आता है पूर्व केंद्रीय मंत्री और अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के अध्यक्ष रहे रामलखन सिंह यादव का। वह उस समय शिक्षा की अलख जिलों में जगा रहे थे, जब पूरी व्यवस्था पर राजपूत-भूमिहारों का कब्जा था। उस माहौल में संयुक्त बिहार में उन्होंने तीन दर्जन से अधिक स्कूल और कॉलेज अपने नाम पर खोले थे। आज बिहार और झारखंड के हर बड़े शहर में रामलखन सिंह यादव के नाम पर स्कूल और कॉलेज मिल जाएंगे। यह उनकी सामर्थ्य का ही प्रमाण था कि उन्होंने औरंगाबाद में भूमिहार की जमीन पर अपने नाम पर कॉलेज की शुरुआत की। उनके नाम पर खुले दर्जन भर से अधिक स्कूल सरकारी हो गये, जबकि कम से कम चार कॉलेज सरकारी हो गये। इसमें रामलखन सिंह यादव के नाम पर रांची, औरंगाबाद, बख्तिायारपुर और बेतिया के कॉलेज को सरकारी मान्यता मिल गयी और ये चारों कॉलेज अलअ-अलग विश्वविद्यालयों के अंगीभूत कॉलेज हैं। 1993 में केंद्रीय मंत्री रहने के दौरान उन्होंने हमसे बातचीत में कहा था कि उनके नाम पर 36 स्कूल और कॉलेज संचालित हो रहे हैं।
शिक्षा का इतना बड़ा साम्राज्य कोई राजघराना भी खड़ा नहीं कर पाया था। जमींदारों के बूते भी यह संभव नहीं हो सका था। रामलखन सिंह यादव की दूरवर्ती सोच का परिणाम था कि आज पूरे गैरसवर्ण समाज के घरों में शिक्षा की रौशनी फैल रही है। रामलखन बाबू जब सभी जिलों में स्कूल और कॉलेज की स्थापना कर रहे थे, तब सामंतों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा था। उनके पीछे समाज की खड़ी ताकत ढाल बन जाता था और हर विरोध को पस्त कर देता था। उस समय वह दौर था, जब शिक्षा के मंदिर को सुरक्षित रखने के लिए लाठी का संरक्षण जरूरी था। इस काम को यादवों में बड़ी सहजता से किया। आप देखेंगे कि उसी दौर में अन्य पिछड़ी जातियों के नाम कई स्कूल-कॉलेज खोले गये। इसमें बनिया सबसे आगे थे। बनिया ने जमीन दान देकर सैकड़ों स्कूल और कॉलेज खुलवाये।
दरअसल रामलखन बाबू ने शिक्षा के सपना और स्वरूप को पूरी तरह बदल दिया था। उनकी प्रेरणा से ही शिक्षा को सर्वसुलभ और सर्वसुगम बनाने का अभियान हर समाज में चला। इस अभियान में सवर्ण भी शामिल थे। इसका असर हुआ कि शिक्षा को लेकर हर वर्ग में जागृति आयी। वीरेंद्र यादव न्यूज का मानना है कि रामलखन बाबू ने शिक्षा के क्षेत्र को एक मजबूत उद्यम का क्षेत्र बनाया। वे एक खुद भी उद्यमी बन गये और सैकड़ों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने। इसके लिए समाज उनका आभारी रहेगा।
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