कविता : मेरी भोली भोली माँ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 17 सितंबर 2024

कविता : मेरी भोली भोली माँ

माँ तुम कितनी भोली हो,

समझती मेरी हर बोली हो,

तुम क्यों नहीं हंसती रहती हो?

क्यों हरदम उदास रहती हो?

तुम अपनी दुखभरी कहानी,

मुझे क्यों नहीं सुनाती हो?

क्यों छुपाती हो मुझसे हर बात,

क्यों समझती हो मुझे नादान?

माना कि मैं नादान हूँ,

पर समझती आपकी हर बात हूँ,

मेरी नस नस में तुम घुली हो,

माँ, तुम कितनी भोली हो॥





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तनीषा मिश्रा

कक्षा-10

सैलानी, उत्तराखंड

चरखा फीचर्स

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