प्रोफेसर (डॉ.) पी.के. मिश्रा ने अपने भाषण का विषय "परिवर्तन बनो: स्थिरता और उद्यमिता" रखा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज मानव जाति अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन कर रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार नदियों और पहाड़ों का विनाश किया जा रहा है और पशुओं की खाल का उपयोग चमड़े के बैग, जैकेट और अन्य सामान बनाने के लिए हो रहा है। प्रो. मिश्रा ने कहा कि हमें इन संसाधनों का उपयोग प्राकृतिक कानूनों के अनुरूप करना चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम भी प्रकृति का हिस्सा हैं। उन्होंने छात्रों को सतत विकास और उद्यमिता के महत्व पर भी जोर दिया, ताकि वे समाज और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें। प्रोफेसर (डॉ.) पी.के. चौधरी ने कॉलेज के विकास और उसकी शैक्षणिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार कॉलेज अपने छात्रों को विभिन्न विदेशी भाषाओं का प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है, जिससे उन्हें वैश्विक स्तर पर भी रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकें। कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ.) संदीप तिवारी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए इस कार्यक्रम को कॉलेज के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बताया। उन्होंने कहा कि ये दोनों महान हस्तियां उनके पीएचडी के दिनों से ही उनके मार्गदर्शक रहे हैं और आज भी उनका मार्गदर्शन करते हैं। प्रो. तिवारी ने इस अवसर पर प्रो. एस.एन. उपाध्याय से DCE के प्रोफ़ेसर ऑफ़ प्रैक्टिस बनने का अनुरोध किया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया और कॉलेज को हर प्रकार की सहायता देने का वादा किया। कार्यक्रम का समापन प्रोफेसर चंदन कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस महत्वपूर्ण अवसर पर DCE के कई अन्य प्राध्यापक एवं संकाय सदस्य उपस्थित रहे।
दरभंगा (रजनीश के झा)। दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (DCE) में 2024 बैच के नवप्रवेशी छात्रों के लिए एक प्रेरणा और संवाद सत्र का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर (डॉ.) एस.एन. उपाध्याय (पूर्व निदेशक, IIT BHU) और प्रोफेसर (डॉ.) पी.के. मिश्रा (प्रोफेसर HAG, IIT BHU एवं पूर्व कुलपति, AKTU लखनऊ और JUT रांची) थे। कार्यक्रम का उद्देश्य नए छात्रों को उच्च शिक्षा के प्रारंभ में प्रेरणा देना और उन्हें जीवन में सफलता के लिए आवश्यक गुणों से अवगत कराना था। प्रोफेसर (डॉ.) एस.एन. उपाध्याय ने अपने वक्तव्य में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर प्रकाश डाला और बताया कि शिक्षा का आधार मजबूत करने के लिए मातृभाषा में शिक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा में ऐसे कई सिद्धांत मौजूद हैं जो आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की समस्याओं के समाधान के लिए सहयोगात्मक और अंतःविषय दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने छात्रों को सामान्य ज्ञान (कॉमन सेंस) और हाज़िरजवाबी (तत्काल उत्तर देने की क्षमता) के महत्व को समझाया।प्रो. उपाध्याय ने छात्रों को बताया कि किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत, और आत्मविश्वास जरूरी होते हैं। उन्होंने यह संदेश दिया कि जीवन में अवसर आते-जाते रहते हैं, लेकिन सही दिशा में निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंजी है। उन्होंने कहा कि किसी भी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कठिनाइयों का सामना करना अनिवार्य है, लेकिन आत्मविश्वास और संकल्प से आप हर चुनौती को पार कर सकते हैं।
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