- ज्ञान की भाषा है हिन्दी : प्रो अंजू श्रीवास्तव
दिल्ली (रजनीश के झा)। 'हिन्दी देश की राजभाषा है और संविधान के निर्देशों के अनुसार हिन्दी का अधिकाधिक उपयोग हो रहा है तब भी इसे वास्तविक अर्थों में राष्ट्रभाषा बनाए जाने के लिए बहुत कार्य करना होगा। विशेष तौर पर विज्ञान तथा सामाजिक ज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।' हिन्दू महाविद्यालय में चल रहे हिन्दी सप्ताह के अंतर्गत 'हिन्दी में हस्ताक्षर अभियान' का शुभारम्भ करते हुए प्राचार्य प्रो अंजू श्रीवास्तव ने युवा पीढ़ी का आह्वान किया कि हस्ताक्षर से शुरुआत कर हिन्दी को अपने ज्ञान की भाषा बनाएं। अभियान में महाविद्यालय केविद्यार्थियों, शिक्षकों और कार्मिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उप प्राचार्य प्रो रीना जैन ने कार्यालयी कामकाज में हिन्दी के उपयोग को और अधिक बढ़ाकर सौ प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य बताया। उन्होंने कहा कि हमारा महाविद्यालय राजभाषा के निर्देशों की अनुपालना में अपना सम्पूर्ण कामकाज हिन्दी में करने के लिए संकल्पबद्ध है। आयोजन की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ आचार्य प्रो रामेश्वर राय ने कहा कि हमें हिन्दी को अनुष्ठान तक सीमित नहीं कर देना चाहिए अपितु वे सभी काम भी हिन्दी में करने के लिए तैयार होना चाहिए जिन्हें हिन्दी में करना मुश्किल माना जाता है। इससे पहले हिन्दी विभाग के प्रभारी प्रो विमलेन्दु तीर्थंकर ने विद्यार्थियों को बताया कि 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 43 प्रतिशत लोग हिन्दी को अपनी मातृभाषा बताते हैं। अगर इसमें उन लोगों की संख्या जोड़ दी जाए जो अपनी दूसरी या तीसरी भाषा के रूप में हिन्दी का जिक्र करते हैं तो यह आंकड़ा 57 प्रतिशत तक हो जाता है। प्रो तीर्थंकर ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या बताती है कि अब हिन्दी के सम्बन्ध में हमें और अधिक गंभीरता के साथ काम करना होगा। हिन्दी सप्ताह की संयोजक डॉ नीलम सिंह ने सप्ताह की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी और बताया कि 'हिन्दी में वीडियो निर्माण' कार्यक्रम में विद्यार्थी उत्साह से भाग ले रहे हैं। आयोजन में डॉ वरुणेन्द्र रावत, डॉ अनन्या बरुआ, डॉ मेहा ठाकौर, डॉ नौशाद अली सहित अनेक शिक्षकों ने भाग लिया। अंत में विभाग की तरफ से डॉ पल्लव ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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