आलेख : जानलेवा बना “सर्वाइकल कैंसर“ बचाव ही इलाज - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 19 सितंबर 2024

आलेख : जानलेवा बना “सर्वाइकल कैंसर“ बचाव ही इलाज

भारत में ग्रीवा कैंसर के लगभग 1,22,000 नए मामले सामने आते हैं, जिसमें लगभग 67,500 महिलाएं होती हैं. कैंसर से संबंधित कुल मौतों का 11.1 प्रतिशत कारण ससर्वाइकल कैंसर ही है. यह स्थिति और भी खराब इसलिए हो जाती है कि देश में मात्र 3.1 प्रतिशत महिलाओं की इस हालत के लिए जांच हो पाती है, जिससे बाकी महिलाएं खतरे के साए में ही जीती हैं. हाल के आंकड़े बताते हैं कि 15 से 44 वर्ष की आयु में भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का दूसरा सबसे आम कारण गर्भाशय-ग्रीवा या सर्वाइकल कैंसर के रूप में उभरा है. अगर समय पर इलाज शुरू हो जाए, तो इस रोग से मुक्ति पाई जा सकती है. सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स की लाइनिंग, यानी यूटरस के निचले हिस्से को प्रभावित करता है. सर्विक्स की लाइनिंग में दो तरह की कोशिकाएं होती हैं- स्क्वैमस या फ्लैट कोशिकाएं और स्तंभ कोशिकाएं. गर्भाशय ग्रीवा के क्षेत्र में जहां एक सेल दूसरे प्रकार की सेल में परिवर्तित होती है, उसे स्क्वेमो-कॉलमर जंक्शन कहा जाता है. यह ऐसा क्षेत्र है, जहां कैंसर के विकास की सबसे अधिक संभावना रहती है. गर्भाशय-ग्रीवा का कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ पूर्ण विकसित हो जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि ये एचपीवी वाइरस से होने वाला कैंसर है इसलिए पुरुषों में भी पीनाइल कैंसर, ओरल कैंसर या जननांग में मस्से होना इसके संकेत हो सकते हैं


Cervical-cancer
सर्वाइकल कैंसर जैसी घातक बीमारी इन दिनों सुर्खियों में है। सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में धीमी गति से बढ़ने वाला कैंसर है. इस कैंसर में एक प्रीकैंसर स्टेज भी होती है जो कैंसर से पहले की स्टेज होती है. इसे प्रीकैंसर स्टेज से कैंसर तक बढ़ने में सालों लग जाते हैं. आसान शब्दों में समझें तो सर्वाइकल कैंसर आम कैंसर की तरह ही होता है जिसमें कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगी हैं। ये कोशिकाएं जब सर्विक्स एरिया में बढ़ती हैं तो सर्वाइकल कैंसर की शुरूआत होती है। सर्विक्स को गर्भाशय का ऊपरी हिस्सा यानि गर्भाशय ग्रीवा भी कहते हैं। ये शरीर का वो हिस्सा होता है जो वेजाइना को गर्भाशय से जोड़ता है। सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स में वायरस के कारण पैदा होता है। ये वायरस यौन संपर्क के वक्त शरीर में प्रवेश करता है और कैंसर का कारण बन सकता है। जरूरी नहीं है कि सभी के शरीर में ये वायरस कैंसर को पैदा करे। क्योंकि लाइफ में कभी न कभी सभी लोग इस वायरस के संपर्क में जरूर आते हैं, लेकिन कुछ लोगों का शरीर वायरस से लड़कर इसे खत्म कर देता है। कमजोर लोगों के शरीर में ये वायरस सर्विक्स एरिया की कोशिकाओं को कैंसरस बना देता है यही सर्वाइकल कैंसर बनता है।


Cervical-cancer
लेकिन ये एक ऐसे तरह का कैंसर भी है जिससे बचाव और समय पर पता लगने पर इलाज दोनों संभव हैं। हालांकि, आमतौर पर महिलाएं इस बीमारी के बारे में जागरुक नहीं होती हैं। आंकड़ों के अनुसार समय पर इलाज न मिलने पर 15 से 44 वर्ष की आयु की महिलाओं में ये कैंसर उनकी मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन रहा है, जबकि इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। साल 2018 में पूरे भारत से एक साल में सर्वाइकल कैंसर के एक लाख मामले सामने आए और 60-62 हज़ार महिलाओं की मौत हुई थी. डॉक्टर मानते हैं कि अगर अर्ली स्टेज या शुरुआती चरण में ही कैंसर का पता चल जाता है तो कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है और इसमें 95 से 97 प्रतिशत सर्वाइवल रेट यानी जीवित रह सकने की दर होती है. चिंता की बात यह है कि देश में 15 वर्ष से ऊपर की 50 करोड़ से ज्यादा महिलाओं पर इसका खतरा मंडरा रहा है। जबकि, हर साल 77 हजार महिलाओं की इस बीमारी से मौत हो रही है। यानी हर दिन करीब 211 महिलाएं दम तोड़ रही हैं। वैश्विक नजरिये से देखें, तो 2020 में पूरी दुनिया में 6,04,000 मामले सामने आए, जबकि 3,42,000 की मौत हुई। आमतौर पर महिलाओं में 30 वर्ष की उम्र से पहले सर्वाइकल कैंसर के लक्षण सामने नहीं आते हैं। लड़कियों के यौन रूप से सक्रिय होने से पहले ही 9 से 14 वर्ष की उम्र में अगर टीकाकरण हो जाए, तो वयस्क होने पर कैंसर होने का जोखिम लगभग नगण्य हो जाता है। एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में सर्वाइकल के 25 फीसदी मामले और मौतें भारत में ही होती हैं। लगभग हर 47 मिनट में एक महिला को सर्वाइकल कैंसर का पता चलता है और भारत में हर 8 मिनट में एक महिला की इससे मौत होती है। इसके पीछे की बड़ी वजह लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरुकता का अभाव है। सर्वाइकल कैंसर ज्यादातर मानव पैपीलोमा वायरस या एचपीवी के कारण होता है. लगभग सभी ग्रीवा कैंसर एचपीवी में से एक के साथ दीर्घकालिक संक्रमण के कारण होता है. एचपीवी संक्रमण यौन संपर्क या त्वचा संपर्क के माध्यम से फैलता है. कुछ महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा की कोशिकाओं में एचपीवी संक्रमण लगातार बना रहता है और इस रोग का कारण बनता है. इन परिवर्तनों को नियमित ग्रीवा कैंसर स्क्रीनिंग (पैप परीक्षण) द्वारा पता लगाया जा सकता है. पैप परीक्षण के साथ, गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं का एक सतही नमूना नियमित पेल्विक टैस्ट के दौरान एक ब्रश से लिया जाता है और कोशिकाओं के विश्लेषण के लिए एक प्रयोगशाला में भेजा जाता है. मतलब साफ है सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाली दूसरा सबसे आम कैंसर है। ऐसे में इस बीमारी के प्रति जागरुकता बेहद जरूरी है। हालांकि सर्वाइकल कैंसर के खात्मे को लेकर भारत में जंग शुरू हो चुकी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 24 में 9 साल से 14 साल की लड़कियों को मुफ्त सर्वाइकल कैंसर टीका लगाए जाने की घोषणा की है। पूरे देश में सर्वाइकल कैंसर को लेकर बड़े पैमाने पर टीकाकरण का अभियान शुरू किया गया है।


Cervical-cancer
विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि उनके पास 50 साल के ऊपर की ऐसी कई महिलाएं आती हैं जो ब्लीडिंग, ब्रेस्ट से डिस्चार्ज यानी स्तन से पानी निकलने या सफ़ेद पानी (व्हाइट डिस्चार्ज) जैसी दिक्कतों को किसी से साझा नहीं करतीं. वे सालों तक इस समस्याओं के प्रति लापरवाह रहती हैं या शर्म के मारे नहीं बताती है. जब समस्या बढ़ जाती है तब वे डॉक्टर के पास आती हैं और उसका नतीजा ये होता है कि उनका कैंसर एडवांस स्टेज पर पहुंच जाता है. ’’इस कैंसर का कारण वायरस होता है जिसे ह्यूमन पेपिलोमा वायरस कहते हैं जो यौन संबंधों के कारण शरीर में प्रवेश करता है. और अगर बार-बार कोई इस वायरस से संक्रमित होता है तो बाद में जाकर ये सर्वाइकल कैंसर का रूप ले लेता है.’’ विश्व स्वास्थ्य संगठन या डब्लयूएचओ के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर के 95 फ़ीसदी से ज्यादा मामलों का कारण ह्यूमन पेपिलोमा वायरस या एचपीवी होता है.एचपीवी वायरस ज्यादातर यौन संबंध बनाने पर फैलता है और ज्यादातर मामलों में लोग यौन क्रियाओं की शुरुआत होने के बाद ही इससे संक्रमित हो जाते हैं. वहीं 90 फ़ीसद से ज्यादा में संक्रमण अपने आप ख़त्म भी हो जाता है. डब्लयूएचओ के मुताबिक एक महिला के शरीर में अगर सामान्य प्रतिरोधक क्षमता है उसमें सर्वाइकल कैंसर को विकसित होने में 15 से 20 साल लगते हैं. और अगर किसी महिला की प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर है जैसे किसी एचआईवी संक्रमित महिला का इलाज नहीं हुआ है तो इस कैंसर को ऐसी महिला में विकसित होने में पांच से दस साल का समय लगता है. वहीं टीबी जैसी बीमारी से कोई महिला पीड़ित है, तो उसे भी ये कम समय में हो सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन या डब्लयूएचओ के अनुसार सर्वाइकल कैंसर विश्व में महिलाओं में होने वाला चौथा आम कैंसर है और आकलन के मुताबिक साल 2020 में इस कैंसर के 6,04,000 नए मामले सामने आए थे और इससे 3,42,000 महिलाओं की मौत हुई थी. संस्था के मुताबिक 90 फ़ीसद नए मामले और मौत मध्यमवर्गीय आमदनी वाले देशों में दर्ज की गई. डब्लयूएचओ के अनुसार जिस महिला को एचआईवी नहीं है, उसकी तुलना में एचआईवी से पीड़ित महिला को सर्वाइकल कैंसर होने की आशंका छह गुना बढ़ जाती है. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल करीब 1.30 लाख मामले सर्वाइकल कैंसर के डिटेक्ट होते हैं और हर साल करीब 74 हजार महिलाओं को इसके कारण जान गवांनी पड़ी है.सर्वाइकल कैंसर को ह्यूमन पेपिलोमा वायरस भी कहते हैं. यौन संबंधों के कारण शरीर के अंदर पहुंचता है. बार-बार संक्रमित होने से सर्वाइकल कैंसर का रूप ले लेता है. हालांकि सर्वाइकल कैंसर फैलने में 15-20 साल लगते हैं. जिन महिलाओं की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उनमें ये जल्दी फैलता है.


लक्षण

पैर में दर्द या पीठ के निचले हिस्से में दर्द इसके लक्षण हो सकते हैं और ये आमतौर पर सर्वाइकल कैंसर के बाद के लक्षणों में देखे जाते हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में योनि से असामान्य रूप से खून बहना, रजोनिवृत्ति या यौन संपर्क के बाद योनि से रक्तस्राव, सामान्य से अधिक लंबे समय मासिक धर्म, अन्य असामान्य योनि स्राव, यौन संसर्ग के दौरान दर्द के बीच रक्तस्राव, वज़न कम होना, थकान और भूख ना लगना, बदबूदार सफेद पानी आना और वजाइना में असहज महसूस करना, पैरों में सूजन व हड्डियों में दर्द शामिल है। सर्वाइकल कैंसर को अक्सर टीकाकरण और आधुनिक स्क्रीनिंग तकनीकों से रोका जा सकता है, जो गर्भाशय ग्रीवा में पूर्वकाल परिवर्तन का पता लगाता है. गर्भाशय-ग्रीवा के कैंसर का उपचार कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कैंसर की अवस्था, अन्य स्वास्थ्य समस्याएं. सर्जरी, विकिरण, कीमोथेरेपी या तीनों को मिलाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है.


सुझाव

- कंडोम के बिना कई व्यक्तियों के साथ यौन संपर्क से बचें।

- हर तीन वर्ष में एक पेप टेस्ट करवाएं,क्योंकि समय पर पता लगने से इलाज में आसानी होती है।

- धूम्रपान छोड़ दें, क्योंकि सिगरेट में निकोटीन और अन्य घटकों को रक्त की धारा से गुजरना पड़ता है और यह सब गर्भाशय-ग्रीवा में जमा होता है, जहां वे ग्रीवा कोशिकाओं के विकास में बाधक बनते हैं. धूम्रपान प्रतिरक्षा तंत्र को भी दबा सकता है.

- फल, सब्जियों.और पूर्ण अनाज से समृद्ध स्वस्थ आहार खाएं, मगर मोटापे से दूर रहे

- मूत्राशय और मल त्याग में परिवर्तनः बार-बार पेशाब आना या ऐसा महसूस होना कि आपको हमेशा जाना है, इस बीमारी से जुड़े लक्षण हैं. यदि यह लक्षण एक सप्ताह से अधिक समय तक रहता है तो आपको अपने डॉक्टर को देखना चाहिए.

- मूत्राशय और मल त्याग में परिवर्तन

- बार-बार पेशाब आना या ऐसा महसूस होना कि आपको हमेशा जाना है, इस बीमारी से जुड़े लक्षण हैं. यदि यह लक्षण एक सप्ताह से अधिक समय तक रहता है तो आपको अपने डॉक्टर को देखना चाहिए.

- सर्वाइकल कैंसर, कई अन्य विकृतियों की तरह, भूख में कमी का कारण बन सकता है. इसके अलावा, वजन कम करना मुश्किल हो सकता है चाहे कितना भी खाना खाया जाए.

- यदि आप पर्याप्त मात्रा में सेवन करने के बावजूद अचानक वजन कम करते हैं और ऊपर बताए गए कुछ अन्य लक्षण हैं, तो यह सर्वाइकल कैंसर के कारण हो सकता है. यह महत्वपूर्ण है कि आप मेडिकल चेक-अप करवाएं.

- महिलाओं में ये ओरल कैंसर या वजाइनल कैंसर की शक्ल में भी हो सकता है और उन्हें भी जननांग में मस्से आ सकते हैं.

- सर्जरी के माध्यम से इसका इलाज किया जा सकता है. इसमें हाई-एनर्जी एक्स-रे बीम का इस्तेमाल करके कैंसर कोशिकाओं को हाटाया जाता है.

- कीमोथेरेपी से शरीर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है.


सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन

सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ भारत में पहली स्वदेसी वैक्सीन तैयार की गई है जिसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया है। सर्वाइकल कैंसर के वैक्सीन का नाम एचपीवी है। ये वैक्सीन एचपीवी के चारों वैरिएंट्स 16, 18, 6 और 11 से लड़ने की क्षमता प्रदान करेगा। वैक्सीन के ट्रायल के दौरान ये सभी उम्र की महिलाओं को असरदार साबित हुई थी। सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए लगवाई जाने वाली वैक्सीन को एचपीवी वैक्सीन कहते हैं. यह वैक्सीन ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचएचपीवी) से बचाव करती है, जिसे गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के ज़्यादातर मामलों के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है. रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के मुताबिक, 11 या 12 साल की उम्र के बच्चों को 6 से 12 महीने के अंतराल पर दो खुराकें लगवानी चाहिए. 15 साल या उससे ज़्यादा उम्र में पहली खुराक लगवाने वाले लोगों को 6 महीने के अंदर तीन खुराकें लगवानी चाहिए. यह वैक्सीन 9 साल से 45 साल की उम्र तक लगवाई जा सकती है. यह वैक्सीन जननांग मस्सों और गर्भाशय-ग्रीवा के कैंसर से सुरक्षा प्रदान करती है. यह वैक्सीन योनि, लिंग, या गुदा के कैंसर से भी सुरक्षा देती है. यह वैक्सीन मुंह, गले, सिर, और गर्दन के कैंसर से भी सुरक्षा देती है. भारत में एचपीवी टीके केवल निजी चिकित्सकों द्वारा दिए जाने वाले पर्चे के तहत उपलब्ध हैं. भारत में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से बचाव के लिए दो टीके लाइसेंस प्राप्त हैं। पहला गार्डासिल, जो चतुर्भुज टीका है और दुसरा सर्वारिक्स, जो द्विसंयोजक टीका है। गार्डासिल-9 के विपरीत, मूल गार्डासिल अतिरिक्त एचपीवी उपभेदों से सुरक्षा नहीं करता है जो 20 फीसदी गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का कारण बनते हैं। जबकि गार्डासिल-9 गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के आपके जोखिम को कम कर सकता है। इसका मकसद सिर्फ़ जानकारी देना है. स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह या जांच के लिए, किसी पेशेवर डॉक्टर से बात करें. जनरेटिव एआई की सुविधा फ़िलहाल एक्सपेरिमेंट के तौर पर उपलब्ध है.


सर्वाइकल कैंसर का टेस्ट

रेगुलर स्क्रीनिंग के जरिए सर्वाइकल कैंसर का पता लगाया जा सकता है। सर्वाइकल कैंसर की जांच का लक्ष्य आपके गर्भाशय ग्रीवा पर कोशिका परिवर्तनों का पता लगाना है, इससे पहले कि वे कैंसर बन जाएं। पैप टेस्ट या पैप स्मीयर में माइक्रोस्कोप के नीचे आपके गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं को देखना शामिल है। इन कोशिकाओं की जांच प्रीकैंसर या अन्य अनियमितताओं के संकेतों के लिए की जाती है। ये कैंसर बहुत धीमी गति से बढ़ता है। खतरनाक स्थिति में पहुंचने से पहले ही इसका पता लगाया जा सकता है। इसे आप किसी भी हॉस्पिटल में करवा सकते हैं। 30 साल के बाद महिलाओं को नियमित रूप से इस टेस्ट को करवाना चाहिए।


सावधानियां

अगर लड़की नौ से 15 साल की है तो उसे एचपीवी के दो टीके दिए जाएंगे और 15 साल के बाद टीका लगता है तो लड़की को टीके के तीन डोज लगेंगे. ये टीके एक नियमित अंतराल पर दिए जाएंगे. 11-13 साल में सेक्शुएल एक्टिवीटी शुरू नहीं हुई होती है. साथ ही इस उम्र में रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनीटि सिस्टम विकसित हो रहा होता है तो इससे एंटीबॉडी और मजबूत हो जाती हैं. और ये टीका लड़कों को भी दिया जाना चाहिए. हर महिला को हर पांच साल में पेपस्मीयर और एचपीवी टेस्ट करवाना चाहिए. अगर किसी महिला की सेक्शुएल एक्टिविटी शुरू हो जाती है तो ऐसे में उन्हें इस एक्टिवीटी के दो साल बाद ये जांच करवाना शुरू कर देना चाहिए चाहे वो शादीशुदा हो या न हो.


एक मेडिकल वेबसाइट बॉयो मेड सेंट्रल या बीएमसी के अनुसार अनुसार कई देशों कनाडा, यूके, आयरलैंड, इटली और फ्रांस कुछ ऐसे देश हैं जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं हर तीन साल में 25-65 उम्र की सेक्शुएली एक्टिव महिलाओं में पेपस्मीयर टेस्ट की सिफारिश करते हैं. इस वेबसाइट पर मेडिकल, विज्ञान या तकनीक के क्षेत्र में हुए शोध प्रकाशित किए जाते हैं. अगर जांच समय पर होती रहे और लड़कियों का टीकाकरण समय से हो तो इस कैंसर से शत प्रतिशत बचा जा सकता है. सर्वाइकल कैंसर को एचपीवी वैक्सीनेशन और आधुनिक स्क्रीनिंग टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से कम किया जाता है. 9 से 26 साल की लड़कियों के लिए इसकी वैक्सीन उपलब्ध की गई है. अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी इस गंभीर बीमारी को काफी हद तक कम किया जा सकता है. सर्वाइकल इंट्राएपिथेलियल नियोप्लाजिया टेक्निक। दरअसल, एम्स ने एक स्वदेशी कोलोनोस्कोपी टेक्निक बनाया है. जो स्वास्थ्य कर्मचारी को सर्वाइकल इंट्राएपिथेलियल नियोप्लाजिया (सीआईएन) के जरिए कैंसर के शुरुआती चरण यानि फर्स्ट स्टेज में आसानी से पता लगाया जा सकता है. 40 सेकंड में थर्मल एब्लेशन के जरिए इसका इलाज किया जाएगा. प्रारंभिक आयु में यौन संबंध बनाना, एक से अधिक यौन साथी होना, धूम्रपान करना, कमजोर इम्यून सिस्टम


एचपीवी वायरस के करीब 100 प्रकार

एचपीवी वायरस दुनियाभर में काफी आम है. इसके करीब 100 प्रकार हैं. इनमें से कुछ कैंसर फैलाते हैं. सर्वाइकल कैंसर के लक्षण काफी देरी से नजर आते हैं. इस वजह से अधिकतर केस एडवांस स्टेज में रिपोर्ट किए जाते हैं. सर्वाइकल कैंसर की कुल पांच स्टेज होती हैं. इनमें पहली स्टेज को स्टेज 0 कहते हैं इनमें शरीर में प्रीकैंसरस सेल्स मौजूद होती है. इसके बाद अन्य स्टेज में कैंसर सेल्स महिला के यूटरस और लिम्फ नोड्स में पनपने लगता है. इसके बाद स्टेज 2 और 3 में ये कैंसर यूरिन ट्रैक्ट में फैलता है. स्टेज चार में कैंसर लिवर, हड्डियों और दूसरे हिस्सों में फैलने लगता है. इस स्टेज में इलाज करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है. जिन महिलाओं की इम्यूनिटी कम होती है और जिनको एचआईवी या कोई अन्य खतरनाक बीमरी होती है तो उन्हें सर्वाइकल कैंसर का खतरा अधिक होता है.


इलाज

सर्वाइकल कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी की जाती है. सर्जरी में कैंसर कारक ट्यूमर को निकाला जाता है. रेडिएशन थेरेपी में हाई-एनर्जी एक्स-रे बीम का यूज करके कैंसर सेल्स को खत्म किया जाता है. वहीं, कीमोथेरेपी में कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए दवाएं दी जाती हैं.


 






Suresh-gandhi

सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार 

वाराणसी

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