बैंगलोर, 11 सितंबर (विजय सिंह)। 12 नवंबर को विस्तारा और एयर इंडिया का प्यार परवान चढ़ जाएगा , जब विस्तारा और एयर इंडिया विलय कर दो जिस्म एक जान बन जायेंगे। एक दूसरे के साथ "स्थायी बंधन" के परिणामतः विस्तारा एयरलाइन्स का कोड नाम अब "यूके" के बजाय "एआई" फ्लाइट ही होगा और दोनों ही हवाई यात्रा की बुकिंग भी एयर इंडिया के बुकिंग माध्यम से ही होगी। हवाई यात्रियों को संभवतः जानकारी होगी कि 3 सितंबर 2024 विस्तारा के प्लेटफार्म से टिकट बुक करने कि अंतिम तिथि थी ,जहाँ 11 नवंबर तक विस्तार एयरलाइन्स से यात्रा किया जा सकेगा। 12 नवंबर के बाद विस्तारा की उड़ानों में पहले से बुक किए गए सभी ग्राहकों के आरक्षण स्वचालित प्रणाली से एयर इंडिया की उड़ानों में बदल जाएंगे। कंपनी ने ग्राहकों को व्यक्तिगत रूप से इस स्थानांतरण के बारे में सूचित करने की बात कही है। बताया जाता है कि भारत सरकार द्वारा एयर इंडिया में सिंगापुर इंटरनेशनल एयरलाइंस के प्रस्तावित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट) की मंजूरी मिलने के तुरंत बाद ही विस्तारा और एयर इंडिया ने अपने इस महत्वपूर्ण एकीकृत उपक्रम को अमली जामा पहनाने की राह में कदम बढ़ा दिया। हमारे पाठकों को जानकारी होगी कि विस्तारा एयरलाइंस टाटा घराने और सिंगापुर इंटरनेशनल एयरलाइन्स का साझा उपक्रम रहा है और अपनी प्रचलित सुविधाओं के कारण मौजूदा हवाई यात्रा के क्षेत्र में यात्रियों का पसंदीदा भी रहा है। विस्तार एयरलाइन्स कंपनी ने लाइव आर्यावर्त को जानकारी दी कि 9 जनवरी 2015 से भारत में टाटा संस और सिंगापुर इंटरनेशनल एयरलाइन्स के साझा सौजन्य से परिचालित 70 एयरक्राफ्ट ( 53ए320,10ए321 और 7बोइंग समेत) बेड़े वाले "विस्तार एयरलाइन्स" ने अपने परिचालन के प्रारम्भ से अब तक लगभग 65 लाख हवाई यात्रियों को अपनी सेवा से लाभान्वित किया है । सिंगापुर एयरलाइंस, जिसके पास टाटा संस के साथ 70 विमानों वाली मजबूत विस्तारा में 49% हिस्सेदारी थी, अब 285 विमानों के कुल बेड़े के आकार वाली संयुक्त इकाई में 25.1% हिस्सेदारी रखेगी, जिसके बदले में 2,058.5 करोड़ का निवेश किया जाएगा। संयुक्त इकाई में एयर इंडिया,एयर इंडिया एक्सप्रेस और विस्तारा शामिल हैं। विस्तारा और एयर इंडिया का विलय एयर इंडिया के निजीकरण का परिणाम है, जिसे जनवरी 2022 में भारत सरकार ने निजी औद्योगिक घराने टाटा समूह को हस्तांतरित कर दिया था। निजीकरण में एयर इंडिया के साथ-साथ एयर इंडिया एक्सप्रेस भी शामिल थी, जो उस समय कम लागत वाली अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन थी। चूंकि टाटा घराने के पास पहले से ही एयर एशिया और विस्तारा का सह-स्वामित्व था, इसलिए उसने सभी एयरलाइनों को सिंगापुर एयरलाइन्स के सहयोग से एकीकृत व्यापार मॉडल के रूप में परिचालित करने का फैसला किया।
मुख्य परिचालन अधिकारी श्री विनोद कन्नन ने कहा कि "हम इस बात पर हमारे ग्राहकों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि यह विलय ग्राहकों को एक बड़े बेड़े और सुविधायुक्त नेटवर्क के साथ अधिक बेहतर हवाई यात्रा विकल्प प्रदान करने में सक्षम है। विस्तारा और एयर इंडिया यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि यह परिवर्तन सुचारू और परेशानी मुक्त हो। " एयर इंडिया विस्तारा के वैश्विक मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक कैम्पबेल विल्सन ने इन दोनों हवाई सेवा प्रदाता कंपनियों के विलय को समय की मांग बताते हुए यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बेहतरीन यात्री सुविधा उपलब्ध कराने का भरोसा दिया है।
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