पटना : कृषि अनुसंधान परिसर में तीन दिवसीय अभिविन्यास प्रशिक्षण का समापन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 19 सितंबर 2024

पटना : कृषि अनुसंधान परिसर में तीन दिवसीय अभिविन्यास प्रशिक्षण का समापन

Aggriculture-training-patna
पटना (रजनीश के झा)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में दिनांक 19 सितम्बर 2024 को “नवनियुक्त तकनीकी और प्रशासनिक कर्मियों के लिए अभिविन्यास प्रशिक्षण : तत्पर, दक्ष एवं समृद्ध” विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ | यह प्रशिक्षण कार्यक्रम संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। इस अवसर पर संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. अशुतोष उपाध्याय ने सभी नवनियुक्त तकनीकी और प्रशासनिक कर्मियों को संघर्ष, धैर्य और विनम्रता का ज्ञान देते हुए उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी | । इस कार्यक्रम की शुरुआत में वैज्ञानिक डॉ. बंदा साईनाथ ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें प्रमुख गतिविधियों और उनके परिणामों पर विस्तृत चर्चा की गई । सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार प्रभाग के प्रमुख एवं कार्यक्रम के सह-अध्यक्ष डॉ. उज्ज्वल कुमार ने नए कर्मियों के करियर को दिशा देने और संस्थान की समग्र दक्षता में सुधार के लिए इस प्रशिक्षण के महत्व को रेखांकित किया। पीएमई प्रकोष्ठ प्रभारी और कार्यक्रम के संयोजक, डॉ. अभय कुमार ने बताया कि यह प्रशिक्षण प्रतिभागियों के करियर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन प्रभाग के प्रमुख डॉ. कमल शर्मा ने बताया कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए जिज्ञासा का होना बहुत ही आवश्यक है । इस अवसर संवाद सत्र का भी आयोजन किया गया | कार्यक्रम में डॉ. आरती कुमारी, वैज्ञानिक ने स्वागत भाषण दिया एवं डॉ. अनिर्बाण मुखर्जी, वैज्ञानिक ने धन्यवाद ज्ञापन दिया |

कोई टिप्पणी नहीं: