- एडवाइजरी जारी करते हए तटवर्तियों से सजग रहने की हिदायत
- शाम 08ः00 बजे गंगा नदी का जलस्तर 66.82 मीटर रहा
बाढ़ से पूर्व की चेतावनी
ऽ ऊंचे स्थानों को पहले से चिन्हित करें।
ऽ जरूरी कागजात जैसे-राशन कार्ड, बैंक पासबुक, मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड इत्यादि का वॉटरप्रुफ बैग में सम्भाल कर रखें।
ऽ आवश्यकतानुसार खाद्य सामग्री जैसे-बिस्किट, लाई, भुना चना, गुड़, चूड़ा, नमक, चीनी, सत्तू इत्यादि एकत्र करें।
ऽ बीमारी से बचाव हेतु क्लोरिन, ओ0आर0एस0 तथा आवश्यक दवाईया प्राथमिक उपचार किट में रखें।
ऽ सूखे अनाज एवं मवेसियों के चारे को किसी ऊँचे स्थान पर सुरक्षित रखें।
ऽ जैरीकैन, छाता, तिरपाल, रस्सी, हवा से भरा ट्यूब, प्राथमिक उपचार किट, मोबाईल व चार्जर, बैटरी चालित रेडियों, टार्च, इमरजेन्सी लाईट, माचिस इत्यादि पहले से तैयार रखें।
ऽ पशुओं में होने वाली बिमारियों के रोकथाम हेतु पशुओं को समय से टीकाकरण करायें।
ऽ जर्जर भवन में न रहें।
’बाढ़ के दौरान’
ऽ बाढ़ की चेतावनी मिलते ही गर्भवती महिलाओं बच्चों, वृद्धों, दिव्यांगजनों एवं बीमार व्यक्तियों को तुरन्त सुरक्षित स्थान पर पहुचायें।
ऽ घर छोड़ने से पूर्व बिजली का मुख्य स्विच व गैर रेगुलेटर को अनिवार्य रूप से बन्द करें एवं शौचालय सीट को बालू से भरी बोरी से ढकें।
ऽ बाढ़ में डूबे हैंडपम्प के पानी का सेवन न करें।
ऽ उबला हुआ या क्लोरीनयुक्त पानी का उपयोग करें।
ऽ बाढ़ के पानी के सम्पर्क में आयी खाद्य सामग्रियों का सेवन न करें।
ऽ गर्भवती महिलाओं को आशा एवं ए0एन0एम0 की मदद से सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था करें।
ऽ बिजली के तार, पोल एवं ट्रान्सफार्मर से दूर रहें।
ऽ डंडे से पानी की गहराई की जांच करें, गहराई पता न होने पर उसे पार करने का प्रयास न करें।
ऽ विशैले जानवरों जैसे-सांप, बिच्छू आदि से सतर्क रहें।
ऽ सांप काटने पर पीड़ित व्यक्ति को तुरन्त नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र ले जाएं।
बाढ़ के बाद की चेतावनी
ऽ बाढ़ से क्षतिग्रस्त घरों एवं संरचनाओं में प्रवेष न करें।
ऽ क्षतिग्रस्त बिजली के उपकरणों का प्रयोग न करें।
ऽ क्षतिग्रस्त पुल या पुलिया को वाहन द्वारा पार करने का प्रयास न करें।
ऽ स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा सुरक्षित घोषित करने पर ही बाढ़ में डूबे हैंडपम्प के पानी का उपयोग करें।
ऽ महामारी की रोकथाम के लिए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों एवं घरों के आसपास ब्लीचिंग पॉउडर का छिड़काव करें।
ऽ संक्रामक बीमारियों से बचाव हेतु मरे हुए पषुओं एवं मलबों को एक जगह एकत्र कर जमीन में दबाए।
ऽ सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
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