सीहोर : सात दिवसीय भागवत कथा में उमड़ा आस्था का सैलाब, हर रोज चल रहा भंडारा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 16 सितंबर 2024

सीहोर : सात दिवसीय भागवत कथा में उमड़ा आस्था का सैलाब, हर रोज चल रहा भंडारा

  • स्त्री की गोद और पुरुष की जेब कभी खाली नहीं रहनी चाहिए, अगर खाली रह जाए तो दुनिया जीने नहीं देती : पंडित प्रदीप मिश्रा

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सीहोर। हमें हर समय दूसरे की भलाई के लिए कामना करना चाहिए, भगवान की भक्ति करने वाला संकटों से मुक्त होता है। भक्ति हम भी प्रतिदिन करते है और भगवान से प्रार्थना करते है कि सभी के संकट दूर करें। स्त्री की गोद और पुरुष की जेब कभी खाली नहीं रहनी चाहिए, अगर खाली रह जाए तो दुनिया जीने नहीं देती है, ताने देती है। अगर आपकी जेब में कुछ नहीं है तो आपके रिश्तेदार, अपने वाले  सहित सब दूर हो जाऐंगे। उक्त विचार शहर के बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल धर्मशाला में जारी सात दिवसीय शिवमय श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिवस अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। कथा का श्रवण करने के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु शहर में पहुंच रहे है और जिनको जहां पर स्थान मिल रहा है, वहीं पर बैठकर पूरी आस्था के साथ कथा का श्रवण कर रहे है। विठलेश सेवा समिति, अग्रवाल समाज प्रबंधन समिति और नगर ईकाई के अलावा अन्य समाजसेवी यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजन-प्रसादी, पेयजल और बैठने आदि की व्यवस्था कर रहे है। शहर की अनेक होटल, धर्मशाला और लोगों के घरों पर भी श्रद्धालु ठहरे हुए है। सोमवार को कथा के दौरान गोवर्धन पूजन के अलावा छप्पन भोग की झांकी सजाई गई थी। पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि भगवान शिव की आराधना करने वाला भक्त कभी दुखी नहीं रहता। भगवान भोलेनाथ हर भक्त की सुनते हैं। भोले की भक्ति में शक्ति होती है। भगवान भोलेनाथ कभी भी किसी भी मनुष्य की जिंदगी का पासा पलट सकते हैं। बस भक्तों को भगवान भोलेनाथ पर विश्वास करना चाहिए और उनकी प्रतिदिन आराधना करनी चाहिए। यदि कर्म का फल तुरंत नहीं मिलता तो इससे यह नहीं समझ लेना चाहिए कि उसके भले-बुरे परिणाम से हम सदा के लिए बच गए। कर्मफल एक ऐसा अमिट तथ्य है कि जो आज नहीं तो कल भोगना पड़ेगा। कभी-कभी इन परिणामों में देर इसलिए होती है कि ईश्वर मानवीय बुद्धि की परीक्षा करना चाहता है कि व्यक्ति अपने कर्तव्य धर्म को समझ सकने और निष्ठापूर्वक पालन करने लायक विवेक व बुद्धि संचित कर सका है या नहीं। हमारे शास्त्रों में संचित कर्म का उल्लेख किया गया है। इसका मतलब यही है कि किसी व्यक्ति के पूर्व जन्म के कर्मो का फल उसे अगले जीवन में भुगतना होता है। इसीलिए हमारे यहां पुर्नजन्म की संकल्पना को विशेष महत्व दिया गया है।


मां के दूध का कर्ज और फर्ज अदा करे

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उन्होंने कहा कि मां के दूध का कर्ज और फर्ज दोनों अदा करना चाहिए। आपके जीवन में मां ने बहुत त्याग किया है। उसके समर्पण को हमेशा स्मरण रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में 20 सितंबर से होने वाली शिव महापुराण में वह श्रद्धा-पक्ष के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा के दौरान कहा कि काशी में एक भवन है, जहां लंबे समय से लोग मोक्ष की प्रत्याशा में वहां अपनी मृत्यु के लिए आते हैं, जिन्हें ये लगने लगता है कि उनकी मृत्यु करीब है तो वो अपने आखिरी कुछ दिन इस भवन में गुजारते हैं। चूंकि ये भवन काशी में है, लिहाजा ये माना जाता है कि यहां आने वाले लोगों को मोक्ष मिलेगा. ये मुक्ति भवन अपने आपमें खास है।


18 को किया जाएगा कथा का विश्राम

अग्रवाल महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने बताया कि बुधवार को कथा का विश्राम किया जाएगा। वहीं मंगलवार को भगवान श्री कृष्ण और माता रुक्मणी का मंगल विवाह का आयोजन और कथा का विस्तार से वर्णन किया जाएगा। महिला मंडल के द्वारा लगातार 24 सालों से पंडित श्री मिश्रा के सानिध्य में यहां पर आने वाले श्रद्धालु कथा का आनंद ले रहे है, यह 25 वां वर्ष है जिससे रजत जयंती महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। 

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