पटना : बदलती जलवायु में पूर्वी भारत लिए धान की सीधी बुवाई तकनीक है कारगर : डॉ. गैरी एटलिन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 24 सितंबर 2024

पटना : बदलती जलवायु में पूर्वी भारत लिए धान की सीधी बुवाई तकनीक है कारगर : डॉ. गैरी एटलिन

Rice-seeding-bihar
पटना (रजनीश के झा)। अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलीपींस और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, वाशिंगटन, अमेरिका के वैज्ञानिकों की भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वैज्ञानिकों की टीम के साथ दिनांक 24 सितंबर 2024 को “धान की सीधी बुवाई तकनीक” विषय पर एक संवाद बैठक आयोजित की गई। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. गैरी एटलिन, वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी, बीएमजीएफ-इंडिया ने अपने संबोधन में सीधी बुवाई वाली धान में खरपतवार प्रबंधन के लिए प्रतिरोधी किस्मों के विकास पर जोर दिया। उन्होंने संस्थान में धान प्रजनन कार्यक्रम के लिए जीनोमिक प्रेडिक्शन तकनीक के महत्व पर भी जोर दिया। डॉ. एटलिन ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के साथ सहयोग के सार्थक परिणामों की सराहना की। डॉ. संकल्प भोसले, अनुसंधान प्रमुख-उत्पाद विकास एवं किस्म विकास, आईआरआरआई, फिलीपींस ने संस्थान के साथ अनुसंधान कार्य के दौरान विकसित की गई 11 जलवायु अनुकूल धान की किस्मों के विकास पर खुशी जाहिर की और किसानों द्वारा इन्हें अपनाए जाने पर जोर दिया । इससे पहले, संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने सभी विदेशी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और संस्थान की उपलब्धियों और किस्म विकास और कृषि प्रबंधन पद्धतियों के माध्यम से धान अनुसंधान की दिशा में इसके प्रयासों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी। उन्होंने आईआरआरआई, फिलीपींस के सहयोग से संस्थान में धान प्रजनन के लिए सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस बनाने का प्रस्ताव रखा। डॉ. संतोष कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक, पौध प्रजनन और धान प्रजनन कार्यक्रम के टीम लीडर ने कार्यक्रम की उपलब्धियों को प्रस्तुत किया और चर्चा के दौरान प्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए कई प्रश्नों के उत्तर भी दिए। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना वर्ष 2011 से अपने धान प्रजनन कार्यक्रम में आईआरआरआई के साथ कार्य कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप 11 जलवायु अनुकूल धान की किस्में विकसित हुई हैं। इनमें से कुछ किस्में जैसे स्वर्ण श्रेया, स्वर्ण समृद्धि, स्वर्ण शक्ति पूर्वी भारतीय राज्यों के कृषक समुदायों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें बीएमजीएफ-इंडिया की ओर से डॉ. श्रीवल्ली कृष्णन, वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी, श्री किशोर राव, वरिष्ठ सलाहकार, एवं सुश्री राधिका ढांड, सलाहकार, बीएमजीएफ सहित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलीपींस  से डॉ. विकास कुमार सिंह, क्षेत्रीय प्रजनन प्रमुख, डॉ. शलभ दीक्षित, वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्लांट ब्रीडर, डॉ. अमेलिया हेनरी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. जे दामिनन प्लैटन, वैज्ञानिक, डॉ. स्वाति नायक, वैज्ञानिक,  सुश्री मिग्नॉन ए. नतिविदाद, सहायक वैज्ञानिक शामिल थे| टीम ने संस्थान और सबजपुरा स्थित पौध अनुसंधान फार्म का भी भ्रमण किया तथा धान की सीधी बुवाई और आईआरआरआई, फिलीपींस द्वारा प्रायोजित प्लांट डायरेक्ट परियोजना पर चल रहे धान के प्रायोगिक परीक्षणों की सराहना की। डॉ. सोनका घोष, वैज्ञानिक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ |

कोई टिप्पणी नहीं: