- वजह : रुस - यूक्रेन युद्ध का असर अब तक अंतरराष्ट्रीय बाजार पर भी पड़ने लगा है
- डोमोटेक्स निरस्त होने से देश के 16 सौ से अधिक कालीन निर्यातकों में हड़कंप
कारोबारियों के मुताबिक हर वर्ष जनवरी के महीने में डोमोटेक्स का आयोजन होता चला आ रहा है। इसमें विश्व के कोने-कोने से कालीन निर्यातक यहां पर अपनी अपनी कालीन की प्रदर्शनी लगाते रहे हैं, जिससे निर्यातकों को बड़ा बाजार और ऑर्डर भी मिलता रहा है। डोमोटेक्स फ्लोर कालीन और हैंड नोटेड कालीन के रूप में मशहूर भी है। भारत की हैंड नॉटेड कालीन यहां की शान होती है। खास यह है कि मेले के आयोजन से कालीन निर्यातकों को एक तरफ जहां नई-नई डिजाइनें देखने को मिलता है वहीं दुसरी तरफ सालभर तक के लिए बडा ऑर्डर भी मिलता है। लेकिन रुस युक्रेन युद्ध ने एक झटके में सब कुछ छीन लिया। कालीन निर्यातक व सीईपीसी के प्रशासनिक सदस्य रवि पाटौदिया, संजय गुप्ता व रोहित गुप्ता ने बताया कि पिछले दो साल से चल रहे वैश्विक घमासान ने कालीन उद्योग का बड़ा नुकसान किया है। रूस-यूक्रेन से लेकर इजरायल-फिलिस्तीन के बीच युद्ध से कालीन उद्योग को साल भर में करीब 5000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। अब डोमोटेक्स निरस्त होने से निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है। साल भर का आर्डर मिलना तो दूर अब निरस्त होने का खतरा मंडराने लगा है। स्थिति ठीक नहीं हुई तो कालीन उद्योग को तगड़ा झटका लगना तय है। जो कालीन उद्योग के सेहत के लिए ठीक नहीं है। निर्यातक डोमोटेक्स मेले का साल भर से इंतजार करते हैं. बड़े पैमाने पर इसकी तैयारी होती है. मेले का आयोजन होने से नई सैंपलिंग, नई डिजाइन, नए कलर, अगले दो साल में क्या होगा मेले के आधार पर तय होता है. कालीन कारोबारियों का कहना है कि स्थिति नहीं सुधरी तो हमारे लिए कारोबार चलाना मुश्किल होगा.
कई देशों के भाग लेते है कालीन निर्यातक
जनवरी महीने में डोमोटेक्स के मेले में देश के कोने-कोने से कालीन निर्यातक यहां पर अपनी कालीन की प्रदर्शनी लगाते हैं. विश्व के सभी छोटे-बड़े देश इस प्रदर्शनी में शामिल होते हैं. यहां से निर्यातकों को बड़ा बाजार और आर्डर मिलने की उम्मीद रहती है. भारत की हैंड नाटेड कालीन यहां की शान होती है. यहां से नए सैंपलिंग, नए डिजाइन, नए कलर डिसाइड होते हैं. इसको लेकर निर्यातक काम करते हैं और आर्डर लेते हैं. इस प्रदर्शनी में इंडिया नंबर वन पर रहता है और पार्टिसिपेशन में इंडिया की वैल्यू भी अधिक होती है.
5000 करोड़ का होगा नुकसान
कालीन मेले में मिर्जापुर भदोही के साथ पूर्वांचल की मखमली कालीन का जलवा हमेशा से चला रहा है. भारत से पूरे देश में 20000 करोड़ का कालीन एक्सपोर्ट किया जाता है. जिसमें से 60 से 70 प्रतिशत मिर्जापुर भदोही और वाराणसी क्षेत्र के लोगों का होता है. बाकी पानीपत, जयपुर, आगरा, दिल्ली नोएडा, कोलकाता जैसे शहरों से एक्सपोर्ट किया जाता है.
कारोबारियों में मायूसी
विश्व का सबसे बड़ा कालीन मेला रद्द हो जाने से कालीन कारोबारियों में मायूसी है. इस मेले के लिए कालीन कारोबारी अक्टूबर-नवंबर से ही तैयारी शुरू कर देते थे. दिसंबर के लास्ट तक सैंपल भेज दिया करते थे. सीईपीसी के सीनियर एवं पूर्व प्रशासनिक सदस्य उमेश कुमार गुप्ता मुन्ना ने बताया कि जनवरी महीने में लगने वाला डोमोटेक्स मेला निरस्त होने से कालीन कारोबारियों का सब कुछ छीन लिया है. मेले की वजह से कारोबारियों का बिजनेस बहुत अच्छा चलता था मगर अब 60 प्रतिशत तक रह गया है. जो पुराने आर्डर हैं मजबूरन उसी से काम चलाया जा रहा है.
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