- स्वदेशी जीवन शैली अपनाकर राष्ट्र विकास में करें योगदान : लेशी सिंह
- संस्कार भारती भाषाई कला उत्सवों का आयोजन कर लोक कला क्षेत्र में एक प्रतिमान खड़ा करेगी : संजय पासवान
पूर्णिया। 22 सितंबर (रजनीश के झा)। मिथिला कला उत्सव के अंतिम दिन संवाद सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित बिहार के खाद्य एंव उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेशी सिंह ने कहा कि आज के परिवेश में सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य और स्वदेशी जीवन शैली जैसे विषयों पर कार्यक्रम करना अति आवश्यक है। संस्कार भारती सामाजिक उत्थान में सांस्कृतिक गतिविधियों द्वारा अनवरत कार्य कर रही है। हमें इन विषयों को समाज में ले जाना होगा, प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक करना होगा। मिथिला क्षेत्र पर्यावरण संपदा में परिपूर्ण है। पर्यावरण संरक्षण यहां के जीवन शैली में शामिल है। मैथिली भाषा के गीत, संगीत, साहित्य व चित्रकला में पंच प्राण विषय स्वत: निहित है। बच्चों को शिक्षा के साथ नागरिक कर्तव्य का भी बोध कराना होगा। हमें स्वदेशी जीवन शैली अपनाकर राष्ट्र विकास में योगदान देना चाहिए।
संवाद सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित भारत के पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री संजय पासवान ने संस्कार भारती को इस महत्वपूर्ण आयोजन के आभार देते हुए कहा कि संस्कार भारती द्वारा आंचलिक भाषा आधारित कला उत्सवों का आयोजन कला क्षेत्र में एक प्रतिमान खड़ा करेगी। संस्कार भारती पंच प्राण विषयों द्वारा गाँव-समाज को जोड़ने का कार्य कर रही है। माता सीता मिथिला की बहन बेटी है, उनके जीवन दर्शन में मैथिली संस्कार का भाव दिखता है। आगे उन्होंने कहा कि राजनीति तोड़ती है जबकि संस्कृति जोड़ती है, इसलिए अपने लोक भाषा, साहित्य, संस्कृति के साथ आगे बढ़ें। सामाजिक समरसता के बारे में समझाते हुए उन्होंने कहा कि समानता, ममता, रमता, समता और तारतम्यता से मिलकर बना है समरसता। मिथिला के कला संस्कृति में 16 संस्कार है। यहाँ के स्थानीय कुल देवी देवताओं के कथाओं और पूजन में भी पंच प्राण के विषय शामिल है। संवाद सत्र में उपस्थित प्रसिद्ध संगीत गुरु पंडित योगेंद्र नारायण यादव ने कहा कि मिथिला का लोक संगीत सबसे ज्यादा प्रभावी है। मैथिली लोक गीत का हमेशा से पर्यावरण से जुड़ाव रहा है। मैथिली लोक गीतों में नागरिक कर्तव्य, सामाजिक समरसता और परिवार प्रबोधन का भाव दिखता है। मैथिली लोक गीत मिथिला के सांस्कृतिक चेतना के परिचायक है। संवाद सत्र में उपस्थित सामाजिक उद्यमी व फिल्म निर्मात्री मनोरमा मैथिल ने कहा कि संस्कार भारती लोक भाषा के माध्यम से सामाजिक जीवन के महत्वपूर्ण विषयों को साथ लेकर चल रही है। पंच प्राण के विषयों पर कला के हर विधाओं द्वारा कार्य करने की जरूरत है। इन विषयों पर भी मैथिली फिल्म बननी चाहिए। मिथिला क्षेत्र के हर घर में गीत, संगीत, साहित्य का जुड़ाव है। संवाद सत्र में शिक्षाविद् राहुल शांडिल्य ने कहा कि बच्चों को शिक्षा के साथ साथ नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी जीवन, परिवार भाव तथा सामाजिक समरसता जैसे विषयों पर भी जानकारी देना होगा, तब ही आने वाले समय में हमारा ध्येय पूर्ण होता दिखेगा। संवाद सत्र का मंच संचालन रितेश पाठक एंव धर्मेंद्र पांडेय ने किया।
मिथिला कला उत्सव के अंतिम दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया, जिसमें नाट्य, नृत्य, समूह गायन, एकल गायन एंव वादन की प्रस्तुति की गई। कला उत्सव के अंतिम दिन की शुरुआत नारदी लोक गायन एंव भगैत लोक गायन से की गई। लोक गायन के बाद "बड़ा नटकिया कौन" नाटक की प्रस्तुति की गई, प्रस्तुति "शकुंतला सेवा सदन,पूर्णिया" के द्वारा रमाशंकर स्वर्णकार के निर्देशन में किया गया। दूसरा नाटक "संवादिया" का मंचन हुआ। प्रस्तुति भरत नाट्य कला केंद्र, पूर्णिया के रामभजन के निर्देशन में किया गया। नाट्य प्रस्तुति के बाद मिथिला लोक गीतों की प्रस्तुति हुई। जिसमें सुभाष भारती का एकल गीत, दीप्ति कुमारी का एकल गीत, कृष्णा कुमार का एकल गीत, त्रिपुरारी झा एंव मुरारी झा का संयुक्त गायन, संस्कार भारती, मधुबनी का समूह गान की प्रस्तुति हुई। मधुबनी की कलाकार विदिशा वैभवी एंव प्रीशा मिनाक्षी का संयुक्त लोक नृत्य की प्रस्तुति हुई। समूह गान में नेहा पांडेय, शिवानी भट्ट, कल्पना कुमारी, गीता मिश्रा, अभिश्री, आरती मल्लिक, कानु प्रिया, तन्नु प्रिया, सानवी झा, सुहानी भट्ट, सुरभि सुमन द्वारा समूह मैथिली लोक गायन की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम में कला उत्सव संयोजक अमित कुँवर, संस्कार भारती उत्तर बिहार की अध्यक्ष रंजना झा, संस्कार भारती बिहार के संगठन मंत्री वेद प्रकाश, उत्तर बिहार के महामंत्री सुरभित दत्त, दक्षिण बिहार के महामंत्री संजय पौद्दार, संदीप भगत, उषा किरण श्रीवास्तव, दिवाकर राय, डॉ. अमित रौशन, अभिजीत कुमार मुन्ना, राहुल यादव, रवि कुमार, आकृति झा, रितेश कुमार, अनमोल कुमार, नयन कुमार, चाँदनी शुक्ला, किशन कुमार विशेष रूप से उपस्थित थे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें