- स्वदेशी जीवन शैली अपनाकर राष्ट्र विकास में करें योगदान : लेशी सिंह
- संस्कार भारती भाषाई कला उत्सवों का आयोजन कर लोक कला क्षेत्र में एक प्रतिमान खड़ा करेगी : संजय पासवान
संवाद सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित भारत के पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री संजय पासवान ने संस्कार भारती को इस महत्वपूर्ण आयोजन के आभार देते हुए कहा कि संस्कार भारती द्वारा आंचलिक भाषा आधारित कला उत्सवों का आयोजन कला क्षेत्र में एक प्रतिमान खड़ा करेगी। संस्कार भारती पंच प्राण विषयों द्वारा गाँव-समाज को जोड़ने का कार्य कर रही है। माता सीता मिथिला की बहन बेटी है, उनके जीवन दर्शन में मैथिली संस्कार का भाव दिखता है। आगे उन्होंने कहा कि राजनीति तोड़ती है जबकि संस्कृति जोड़ती है, इसलिए अपने लोक भाषा, साहित्य, संस्कृति के साथ आगे बढ़ें। सामाजिक समरसता के बारे में समझाते हुए उन्होंने कहा कि समानता, ममता, रमता, समता और तारतम्यता से मिलकर बना है समरसता। मिथिला के कला संस्कृति में 16 संस्कार है। यहाँ के स्थानीय कुल देवी देवताओं के कथाओं और पूजन में भी पंच प्राण के विषय शामिल है। संवाद सत्र में उपस्थित प्रसिद्ध संगीत गुरु पंडित योगेंद्र नारायण यादव ने कहा कि मिथिला का लोक संगीत सबसे ज्यादा प्रभावी है। मैथिली लोक गीत का हमेशा से पर्यावरण से जुड़ाव रहा है। मैथिली लोक गीतों में नागरिक कर्तव्य, सामाजिक समरसता और परिवार प्रबोधन का भाव दिखता है। मैथिली लोक गीत मिथिला के सांस्कृतिक चेतना के परिचायक है। संवाद सत्र में उपस्थित सामाजिक उद्यमी व फिल्म निर्मात्री मनोरमा मैथिल ने कहा कि संस्कार भारती लोक भाषा के माध्यम से सामाजिक जीवन के महत्वपूर्ण विषयों को साथ लेकर चल रही है। पंच प्राण के विषयों पर कला के हर विधाओं द्वारा कार्य करने की जरूरत है। इन विषयों पर भी मैथिली फिल्म बननी चाहिए। मिथिला क्षेत्र के हर घर में गीत, संगीत, साहित्य का जुड़ाव है। संवाद सत्र में शिक्षाविद् राहुल शांडिल्य ने कहा कि बच्चों को शिक्षा के साथ साथ नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी जीवन, परिवार भाव तथा सामाजिक समरसता जैसे विषयों पर भी जानकारी देना होगा, तब ही आने वाले समय में हमारा ध्येय पूर्ण होता दिखेगा। संवाद सत्र का मंच संचालन रितेश पाठक एंव धर्मेंद्र पांडेय ने किया।
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