पटना : नवादा में दलित बस्ती पर हमले-आगजनी कांड में पुलिस संलिप्तता की जांच की जाए. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 19 सितंबर 2024

पटना : नवादा में दलित बस्ती पर हमले-आगजनी कांड में पुलिस संलिप्तता की जांच की जाए.

  • पूर्व विधायक का. मनोज मंजिल नवादा रवाना, स्थानीय माले टीम पहुंची गांव में, भाजपा-जदयू शासन में अपराधियों-दबंगों का मनोबल सर चढ़कर बोल रहा.
  • 80 में 34 घरों को जलाया, शस्त्रों से लैस अपराधियों ने हमला किया, थाना महज 1 किलोमीटर दूर,बच्चे-वृद्ध-महिलाएं खुले आसमान में रहने को विवश, पशु संपदा समेत पैसे की लूट

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पटना 19 सितंबर, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने नवादा जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ददौर स्थित कृष्णा नगर दलित बस्ती पर आग्नेयास्त्रों से लैस नंदू पासवान अपराधी गिरोह द्वारा हमले, आगजनी और पशु संपदा की लूट की भयावह घटना की कड़ी भर्त्सना की है. कहा कि भाजपा-जदयू शासन में दबंगों-ठेकेदारों का मनोबल लगातार बढ़ा हुआ है. गया से लेकर नवादा तक दलित समुदाय खासकर मुसहर लोगों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. यह विडंबना ही है कि उस इलाके के कद्दावर नेता माने जाने वाले श्री जीतनराम मांझी आज केंद्रीय मंत्री हैं लेकिन दलितों पर हमले की घटनाएं कम होने की बजाए लगातार बढ़ती ही गईं. घटना की जानकारी मिलते ही माले के पूर्व विधायक का. मनोज मंजिल नवादा रवाना चुके हैं. इस बीच स्थानीय पार्टी नेता का. भोला राम के नेतृत्व में एक जांच दल घटनास्थल पर पहुंचा जिसमें अजीत कुमार मेहता और सुदामा देवी शामिल हैं. माले नेताओं ने सबसे पहले पीड़ितों के भोजन की व्यवस्था करवाई. उन्होंने कल रात से ही कुछ नहीं खाया था. बच्चे-बूढ़े-महिलाएं खुले आसमान के नीचे हैं.


माले जांच दल ने कहा है कि उक्त गांव की 15 एकड़ 59 डिसमिल गैरमजरूआ जमीन पर कुल 80 परिवार (67 घर मुसहर, 12 घर रविदास व एक घर रमानी) बसे हुए हैं. ये लोग उक्त जमीन पर खेती का भी काम करते हैं. स्थानीय ठेकेदार और इलाके की सामंती ताकतों से गठजोड़ रखने वाला नंदू पासवान की लंबे समय से इस जमीन पर निगाह रही है. जमीन पर कब्जा करने के ही उद्देश्य से उक्त गिरोह ने आग्नेयास्त्रों से लैस होकर बीती रात दलित टोले पर हमला किया. बमबाजी की गई, कई राउंड गोलियां चलाई गईं, लोगों से मारपीट की गई और फिर पेट्रोल-डीजल छिड़ककर कई घरों में आग लगा दी गई. 80 में 34 घर पूरी तरह जलकर राख हो गए. 100 मुर्गियां, 26 बकरी सहित कई पशु जलकर मर गए. गायों को हमलावर उठाकर ले गए. पैसों की भी लूट की गई. भय व डर का माहौल ऐसा था कि 35 वर्षीय अनिल मांझी की हृदयाघात से मौत हो गई. माले जांच दल कहा कि मुफस्सिल थाना की घटनास्थल से दूरी महज 1 किलोमीटर की है. 112 नंबर पर फोन करने पर लगभग 2 घंटे बाद पुलिस पहुंची, तबतक अपराधी अपने कारनामे को अंदाज दे चुके थे. इस कारण इस घटना में पुलिस की संलिप्तता की संभावना दिख रही है. माले जांच दल ने यह भी पाया कि अनिल मांझी की मौत को स्थानीय प्रशासन रफा-दफा कर देना चाहता था. माले नेताओं के ने नंदू पासवान पर धारा 302 लगाने की मांग पुलिस से की है जिसमें वे आनकानी बरत रही है. भाकपा-माले ने बिहार सरकार को चेताया है कि दबंगों के बढ़े मनोबल पर रोक लगाए. कमजोर लोगों के हक-अधिकार व जीवन की रक्षा में सरकार व प्रशासन द्वारा बरती जा रही लापरवाही का करारा जवाब बिहार की जनता उन्हंे आने वाले दिनों में देगी.

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