- सर्पदंश की घटना को कम करने के लिए रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं. सर्पदंश के उपरांत सर्वप्रथम सांप की पहचान कर लें और शीघ्र ही निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. झाड़ फूंक के चक्करों से बचें.
सूचना एवं जनसंपर्क तथा आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा उपलब्ध स्क्रिप्ट के आलोक में हुई प्रस्तुति के दौरान सर्पदंश की घटना एवं उसके प्रभाव को कम से कम करने के लिए जन सामान्य को स्थानीय भाषा में 'क्या करें' व 'क्या न करें' के बारे में जागरूक किया गया. नुक्कड़ टीम ने प्रस्तुति के दौरान बताया कि सर्वप्रथम तो सर्पदंश से बचने का प्रयास करें. भारत में सर्पदंश का सर्वाधिक मामला करैत सांप के काटने से होता है. यह सांप अंधेरे में घर में घुसकर भी काटता है. इसलिए सोते समय हमेशा मच्छरदानी का उपयोग करें. अंधेरे में कभी खाली पैर न निकलें. बहुत दिनों से बंद पड़े कमरे को खोलने व पुराने रखे कबाड़ में हाथ लगाने से पहले सावधानी बरतें. बरसात के मौसम में जूते या हेलमेट आदि पहनने से उसको अच्छे से जांच लें. सर्पदंश की घटना होने पर काटे हुए जगह को साबुन से धोएं. दांत के निशान की जांच करें. कटे हुए स्थान को स्थिर करें. पीड़ित व्यक्ति को चलने फिरने न दें. घाव के ऊपर बैंडेज बांधे. पीड़ित का धैर्य बंधाएं, घबराहट से बचने को कहें. सांप की पहचान कर शीघ्र नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचे. झाड़ फूंक के चक्करों से बचें. जिलाधिकारी के निर्देशानुसार जिला सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में सूचीबद्ध छह नुक्कड़ टीम जिले के विभिन्न पंचायतों की जनता को सड़क दुर्घटना, बाढ़, सर्पदंश तथा वज्रपात से संबंधित घटनाओं के बारे में अपने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूक कर रही है. उप निदेशक परिमल कुमार ने बताया कि सभी छह टीमों द्वारा प्रतिदिन दो निर्धारित स्थानों पर नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन किया जाएगा. प्रस्तुति की मॉनिटरिंग हेतु ट्रेनी जिला जनसंपर्क पदाधिकारी अमन कुमार आकाश की अध्यक्षता में एक टीम गठित की गई है.
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