- महालक्ष्मी कुंड व तालाबों पर उमड़ी जबरदस्त भीड़
वाराणसी (सुरेश गांधी)। मां और संतान के प्रेम का प्रतीक जीवित्पुत्रिका पर्व काशी में धूमधाम से मनाया गया। पुत्रों के दीर्घायु और सुखमय जीवन के लिए महिलाओं ने बुधवार को जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा। इस दौरान काशी के लक्ष्मीकुंड समेत विभिन्न लक्ष्मी मंदिरों में महिलाओं ने मां लक्ष्मी की विशेष पूजा आराधना कर परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। सनातन धर्म की परम्परा के अनुसार, यह पूजा तीन दिनों तक काशी में चलती है। प्रथम दिन नहाय खाय के साथ यह पूजा शुरू हुई। गरुवार को व्रत का पारण होगा। शाम के समय फल, मीठा आदि चढ़ाकर पूजा अर्चना की। टोकरी में फल, मिठाई और अन्य प्रसाद लेकर नजदीक के मंदिर और गोट पर पहुंच पूजा की।
सुबह स्नान करने के बाद सूर्यदेव का पूजनकर हर महिलाओं ने निर्जला व्रत का अनुष्ठान शुरू किया। शाम को महिलाएं पूजा के लिए एक स्थान पर एकत्रित हुई। गोट बनाकर जिउतिया माता की पूजा की। बड़ी संख्या में महिलाओं ने माता लक्ष्मी के दरबार मे पहुँच कर जय जय कार का उद्घोष किया। शहर के लक्ष्मी कुंड, ईश्वर गंगी, शंकुलधारा पोखरों पर महिलाओं की काफी भीड़ जमा रही। कथा श्रवण किया गया। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक पूजन और कथा श्रवण के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने से मेले जैसा दृश्य हो गया था। भारी भीड़ को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था काफी टाइट रही।
पुलिसकर्मियों ने बड़े सूझ बूझ के साथ लाइन लगवा कर लोगों को दर्शन पूजन कराया। लक्सा स्थित माता लक्ष्मी के दरबार को आकर्षक ढंग से सजाया गया। भोर से ही माँ के दर्शन पूजन का क्रम शुरू हो गया। बांस से बनी टोकरी अथवा थाल में फल और पूजन सामग्री लेकर पूजा स्थल पर पहुंची। जहां गोट बनाकर जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी। व्रती महिलाओं एवं मन्दिर के महन्त ने इस पूजन के बारे में विस्तार से बताया। लक्ष्मी मंदिर के महंत ने बताया कि आज सोरहिया मेले का आखिरी दिन है। रात 12 बजे तक माता का दर्शन चलेगा। माताएं अपने पुत्र के लिए यह निराजल व्रत रखती हैं। जिउतिया व्रत को लेकर सुबह से ही बाजारों में काफी चहल पहल रही। फलों की जमकर खरीददारी हुई। त्योहार के चलते शहर दिन भर जिउतिया के धागे को बेचने वाले घूमते हुए देखे गए। बाजारों में फलों में सेब, केला, आनार की खूब खरीददारी हुई। देर शाम तक पूजन के लिए महिलाओं की भीड़ रही है। शाम के समय पूजा कर घर वापस लौटने के बाद पास पड़ोस में प्रसाद वितरित किया।
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