- संस्थान-उद्योग बैठक के दौरान 10 समझौता ज्ञापन (MoUs) पर हस्ताक्षर
इस अवसर पर श्री विनय कुमार सिन्हा, महाप्रबंधक, नाबार्ड ने उद्यमियों को प्रोत्साहित करते हुए सुलभता, पहुँच, विस्तार क्षमता, नवाचार, जलवायु स्थिरता और आर्थिक व्यवहार्यता जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर विशेष जोर देते हुए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि कोई भी नई तकनीक या व्यवसाय तभी सफल हो सकता है जब वह व्यापक रूप से सुलभ हो, जिससे सभी वर्गों के लोग उसे अपना सकें। साथ ही, उसकी पहुंच इतनी होनी चाहिए कि ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों के किसान भी इसका लाभ उठा सकें। इस अवसर पर, मुजफ्फरपुर स्थित भा.कृ.अनु.प.-राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विकास दास ने किसानों के कृषि उत्पादों के विक्रय मूल्य और ग्राहक मूल्य के बीच के अंतर को कम करने के लिए उद्यमियों को कौशल आधारित प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। भा.कृ.अनु.प.--महात्मा गांधी समेकित कृषि अनुसंधान संस्थान, मोतिहारी के निदेशक डॉ. के.जी. मंडल ने आईसीएआर संस्थानों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग का प्रसार करने के लिए समेकित कृषि की सलाह दी।
अटारी पटना निदेशक डॉ. अंजनी कुमार ने प्रौद्योगिकी को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए मूल्य संवर्धन का सुझाव दिया। संजय गांधी डेयरी प्रौद्योगिकी संस्थान के डीन डॉ. उमेश सिंह ने पूर्वी क्षेत्र में दूध की उपलब्धता और आवश्यकता के बीच के अंतर को कम करने के लिए टिकाऊ प्रौद्योगिकी की आवश्यकता पर चर्चा की। साथ ही, श्री डी.पी. त्रिपाठी, निदेशक, बामेती ने किसानों की समृद्धि के लिए तकनीकों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस कार्यक्रम के दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना और विभिन्न उद्यमों के बीच 10 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। नई प्रौद्योगिकियों में टमाटर की ग्राफ्टिंग तकनीक और उच्च वर्षा आधारित बहु-स्तरीय फसल प्रणाली के समझौते भारतीय लोक कल्याण संस्थान, रांची और महाराष्ट्र प्रबोधन सेवा मंडल, नासिक के साथ किए गए। साथ हीं कृषि स्टार्टअप्स के अंतर्गत इकोलाइफ इंडिया लिमिटेड द्वारा हर्बल चाय मिश्रण तकनीक का समझौता, बालों से अमीनो एसिड उर्वरक का समझौता आदि भी शामिल हैं।
इस अवसर पर, एक नवोन्मेषी उद्यमी श्री श्रवण कुमार ने अपनी सफलता की कहानी बताते हुए संस्थान के साथ अपने जुड़ाव के बारे में बताया | उन्होंने संस्थान से विभिन्न बागवानी फसलों की नर्सरी बनाने का ज्ञान प्राप्त किया और वर्तमान में लगभग 10 करोड़ रुपये के कुल वार्षिक कारोबार के साथ अपनी फर्म सफलतापूर्वक चला रहे हैं। रांची की एक महिला उद्यमी, अलबीना एक्का ने बताया कि संस्थान से उन्हें जो सहयोग मिला, उससे उन्हें हर्बल दवा तैयार करने और विपणन में मदद मिली और साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उद्यम से उन्हें सालाना 10 लाख रुपये का लाभ होता है। कार्यक्रम के दौरान एक महिला किसान द्वारा ग्राफ्टेड टमाटर तकनीक का प्रदर्शन मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा, और यह नई तकनीक पूर्वी क्षेत्र में रोग मुक्त टमाटर की खेती को बढ़ावा देने और आने वाले वर्षों में टमाटर की भारी पैदावार लाने की उम्मीद जगाती है। डॉ. ए. के.सिंह, प्रमुख, कृषि प्रणाली का पहाड़ी एवं पठारी अनुसंधान केंद्र, रांची द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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