पूजा गिल कहती हैं कि इसके बाद मेरी शादी अमृतसर के मनवीर सिंह से हुई और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे पति भी वही विचार रखेंगे जैसा मैंने सोचा था और हमने फैसला किया कि हम एक संस्था बनाएंगे। जो उन महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करेगी जो उनकी हकदार हैं और हमने आज से 5 साल पहले एनजीओ "द बानी फाउंडेशन" का गठन किया जिसमें हम लोगों ने जरूरतमंदों की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश की जिसके वो हकदार थे हमने उन अनेक बेटियों के शादियाँ की जिनके माता-पिता उनका विवाह नहीं कर सकते थे, उस शुभ कार्य ने हमें इस उद्देश्य का अवसर दिया, जिससे हमारे दोनों पति और पत्नी का जीवन ऐसा हो गया जैसे हमने कुछ ऐसा मिल गया हो जो हमने कभी खो दिया था वह हमें फिर से मिल गए, जिससे हमें बहुत सुकून मिला और हमने भगवान से प्रार्थना की कि हे भगवान, आपने जो हमारी सेवा लगाई है हमे इसी सेवा में लगे रहें और आपका हाथ हमारे सिर पर हमेशा बना रहे और हमेशा भलाई के लिए कार्य करते रहे। पूजा गिल ने अपने ससुराल परिवार के बारे में बताया कि अगर मेरे पति मनवीर गिल और उनका पूरा परिवार मेरे साथ नहीं होता तो मेरे लिए ये सब करना मुश्किल हो जाता. मनवीर भी जानवरों की बहुत सेवा करते हैं विशेषकर गौ माता की उनकी इच्छा है कि मैं लगभग 4-5 किलों में गौशाला बनाऊं और उनकी सेवा करूं क्योंकि आजकल हम देखते हैं कि कैसे लोग जानवरों को आवारा छोड़ देते हैं और कोई उनकी देखभाल भी नहीं करते है ! अंत में मैं उस समाज के लोगों से यही कहना चाहूंगा कि उन्हें किसी का भी भला करके मानवता की सेवा करनी चाहिए और सबके भले की प्रार्थना करनी चाहिए, क्योंकि लोगों की प्रार्थनाएं भगवान तक जरूर पहुंचेंगी और यही मेरी सच्ची प्रार्थना भी है विश्वास है।
अमृतसर। (अशोक कुमार निर्भय) किरत करो वंड छको की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है और समाज में ऐसे भी लोग हैं जो अपनी नेक कमाई से अपना दशवंत निकालना नहीं भूलते और वह दशवंत जरूरतमंदों के लिए रख देते हैं और जितना वास्तव में आवश्यक है। आज हम उस शख्सियत की बात कर रहे हैं भले ही उनकी जन्म भूमि हरियाणा है लेकिन वह पंजाब के लोगों की सेवा करना अपना धर्म ही नहीं फर्ज भी समझती है और उस शख्सियत का नाम है पूजा गिल। समाज सेविका पूजा गिल का जन्म डायला कलां में हुआ जो कि हरियाणा में है। पूजा गिल को बचपन से ही था कि मैं लोगों की सेवा करूं पूजा गिल ने अपनी प्राथमिक शिक्षा हरियाणा में की और ग्रेजुएशन खालसा कॉलेज अमृतसर से किया। पूजा गिल ने बातचीत के दौरान बताया कि जब मैं अमृतसर में पढ़ रही थी तो खालसा कॉलेज से हम लोगों का एक ग्रुप अमृतसर के पिंगलवाड़ा आया करता था और उस वक्त मैं भी उनके साथ आया करती थी लेकिन जब मैं यहां आई तो देखा कि यह स्थान एक मंदिर है जब मैं वहां के बच्चों, युवाओं और बड़ों की हालत देखती थी तो मैं यह कहती थी कि यह किसी गुरुद्वारे से कम नहीं है पिंगलवाड़ा संस्था, जो यह सोचकर उनकी सेवा कर रही है कि ये वे लोग हैं जिनके परिवार हैं और फिर भी उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को यहीं छोड़ दिया है कि अगला जीवन लोगों के लिए है, मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरा जीवन सेवा में बदल गया है। पूजा ने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ मैं भगत पूरन सिंह चैरिटेबल ऑर्गेनाइजेशन में रोजाना आने लगी, जिसके बाद मुझे पिंगलवाड़ा स्थित मानांवाला कार्यालय में समाज से उपेक्षित लोगों की सेवा करने का मौका मिला।
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