- सुहाग बच्चों समेत पूरे परिवार के सुख-समृद्धि , संपंनता, और पुत्र रत्न प्राप्ति की कामना की
- सुयोग्य, संदर, मनोवांछित सुशील और स्वस्थ जीवन साथी की चाहत में कंवारी युवतियों ने भी रखा व्रत
इसके उपरांत पुरोहितों से कथा सुनीं। कथा के माध्यम से पति और पत्नी के बीच के रिश्ते के धार्मिक व अध्यात्मिक महत्वों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि केवल तीज व्रत कथा सुनने से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि पार्वती के पिता ने नारद मुनि को वचन दिया था कि पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से करूंगा। लेकिन पार्वती भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थी। इसपर उसकी सखियों ने उन्हें वन में ले जाकर तीज व्रत का अनुष्ठान करवाया, जिसके प्रभाव से पार्वती की शादी भगवान भोलेशंकर से हो सकी। मान्यताओं के अनुरूप महिलाएं रातजगा कर भगवान की वंदना भी की। इस व्रत की तैयारी काफी पहले से ही सुहागिनें कर रहीं थीं। पति की दीर्घायु होने की कामना को लेकर पूजा अर्चना में किसी प्रकार की कसर नहीं रह जाए, इसके लिए सभी तैयारी पूरी हो गई थी। पूजा अर्चना के साथ भगवान की गीत से वातावरण गुंजायमान हो रहा था। बता दें कि हिदू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व होता है। पति-पत्नी के संबंधों को प्रगाढ़ करने वाला यह त्योहार उनके संबंधों में मजबूती लाता है साथ ही उनके भीतर प्रेम और सम्मान के साथ एक दूसरे के प्रति समर्पण का भाव पैदा करता है।
मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति पर आए संकट टल जाते हैं। पति दीर्घायु होता है और दांपत्य जीवन चल रहीं परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। इस व्रत का सुहागिन महिलाओं को विशेष फल मिलता है। ग्रामीण अंचलों में भी सुखी दांपत्य जीवन, अखंड सौभाग्य, संतान प्राप्ति की कामना व पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलाएं व सुयोग्य वर पाने के लिए सुहागिन महिलाएं व कुंवारी कन्याओं ने महादेव व मां पार्वती का पूजन व व्रत आदि किया। व्रतियों ने सबसे पहले घर की अच्छे से साफ सफाई कर तोरण-मंडप से सजायें। उत्तर पूर्व दिशा में एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा बनाई। इसके बाद भगवान का मन ही मन आह्वान करते हुए महादेव पर भांग, धतूरा, अक्षत्, बेल पत्र, श्वेत फूल, गंध, धूप आदि अर्पित करते हुए माता पार्वती को 16 श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित की। उसके बाद प्रसाद आदि चढ़ाएं व तीज की कथा पढ़ी। इसके बाद शिव पार्वती की आरती गाएं।
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