सीहोर : भव्य शोभा यात्रा का सौ से अधिक स्थानों पर क्षेत्रवासियों ने किया स्वागत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 18 सितंबर 2024

सीहोर : भव्य शोभा यात्रा का सौ से अधिक स्थानों पर क्षेत्रवासियों ने किया स्वागत

  • कथा के विश्राम दिवस पर आस्था और उत्साह के साथ निकाली गई भव्य शोभा यात्रा
  •  मां और परमात्मा दोनों कभी अपने बच्चों से भेद नहीं करते : पंडित प्रदीप मिश्रा

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सीहोर। मां और परमात्मा दोनों कभी अपने बच्चों से भेद नहीं करते है, माताएं अपने बच्चों से जन्म से ही प्यार करती हैं और उनका समर्थन करती हैं। माताएं अपने बच्चों को अभिभावक देवदूत के समान मानती हैं। माताएं अपने बच्चों से खुद से ज़्यादा प्यार करती हैं। वह अपने बच्चों को खिलाने के लिए भूखी रह सकती हैं, फिर भी वह उनसे ज़्यादा खुश रहती हैं। एक मां ने अपने बेटे के माध्यम से हमें ये संदेश दिया है कि हर एक इंसान में परमात्मा रहते हैं, लेकिन हम भेदभाव करते हैं। इस भेदभाव को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। उक्त विचार शहर के बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल महिला मंडल के तत्वाधान में अग्रवाल पंचायती भवन में चल रही सात दिवसीय शिवमय श्रीमद भागवत कथा के विश्राम दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। बुधवार को विश्राम दिवस के अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की झांकी सजाई गई थी और भव्य शोभा यात्रा निकाली गई जिसका शहर के चरखा लाइन, बड़ा बाजार और खजांची लाइन में घर-घर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। कथा के अंत में अग्रवाल महिला मंडल के तत्वाधान में करीब 18 सालों से प्रसादी आदि में सहयोग करने वाले अपना केटरिंग के संचालक दीलिप प्रजापति और समिति के मनोज दीक्षित मामा का सम्मान भी पंडित श्री मिश्रा और मंडल की अध्यक्ष श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने किया।


पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि भगवान पर भरोसा और विश्वास करने वाला सदैव सुखी रहता है, भगवान का भजन करने वाला, जाप करने वाला कभी निर्धन नहीं हो सकता, सुदामा तो भगवान के मित्र थे, यदि संत नहीं बन सकते तो संतोषी बन जाओ। संतोष सबसे बड़ा धन है। सुदामा की मित्रता भगवान के साथ निस्वार्थ थी। उन्होंने कभी उनसे सुख, साधन या आर्थिक लाभ प्राप्त करने की कामना नहीं की, लेकिन सुदामा की पत्नी द्वारा पोटली में भेजे गए चावलों में भगवान श्रीकृष्ण से सारी हकीकत कह दी और प्रभु ने बिन मांगे ही सुदामा को सब कुछ प्रदान कर दिया। अपनी प्रगति और जीवन की गति को सुधारना है तो काम से तुमको लगन लगानी पड़ेंगी, तब जाकर ही प्रभु कृपा होगी। कर्मों के साथ प्रभु नाम स्मरण करने पर ही आप प्रगति का पथ पा सकते है। उन्होंने इंसान को अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने पर सुझाव देते हुए कहा कि इंसान को अर्जुन की भांति लक्ष्यार्थी बनना चाहिए। लक्ष्यहीन जीवन अर्थहीन है। बिना लक्ष्य के जीवन एक भटकाव है। इसलिए लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक है। लक्ष्य मनुष्य का न केवल भविष्य बदलता है अपितु उसके वर्तमान जीवन को भी संवरता है। जिस कार्य को अब तक प्राथमिकता दी जा रही थी, लक्ष्य बनाते ही वह प्राथमिकता बदल जाती है। भगवान श्री कृष्ण के ज्ञान से अर्जुन के मन में युद्ध से पूर्व पैदा होने वाली तमाम शंका धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं। भगवान ने अर्जुन से कहा कि ये युद्ध किसी के स्वार्थ का हिस्सा नहीं है बल्कि समाज के कल्याण हेतु इस युद्ध का होना अनिवार्य है। श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कर्मयोगी बनो पार्थ इसी में सबका कल्याण हैं। यदि तुम अपने कर्तव्य के पालन से भागोगे तो फिर अपने कर्तव्यों का पालन कौन करेगा। समस्त संसार मेरी इच्छा अनुसार चलता है, किंतु फिर भी मैं कर्म करता हूं। क्योंकि जिस दिन मैंने कर्म करना छोड़ दिया, तो ये कर्मचक्र रुक जाएगा और कोई भी इसका निर्वाह नहीं करेगा।


भव्य शोभा यात्रा निकाली गई, घर-घर श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की

अग्रवाल महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने बताया कि भागवत कथा के विश्राम दिवस पर भव्य रूप से शोभा यात्रा निकाली गई थी, जो क्षेत्र बड़ा बाजार, चरखा लाइन और खजांची लाइन होते हुए कथा स्थल पर पहुंची। शोभा यात्रा का घर-घर से पुष्प वर्षा कर और आरती उतारकर स्वागत किया गया।

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