उड़ना चाहती हूं, पर लोग रोक देते हैं,
आगे बढ़ना चाहती हूं, पर लोग रोक देते हैं,
अपने पर यक़ीन हो तो कई रास्ते निकलते हैं,
हवा की ओट लेकर भी चिराग़ जलते हैं,
उम्मीद हो तो हर मुश्किल में खड़े हो जाएंगे,
पीछे छोड़ लोगों की बातों को,
एक मुकाम पर डट जाएंगे,
रंग छूटा नहीं लोगो की सोच का,
पिंजरा टूटा नहीं लोगो की सोच का,
आज भी वहीं पर अटकी है,
लड़कियां बनी है सिर्फ घर के काम के लिए,
ये सोच अभी भी गड़ी है लोगों के दिमाग में,
मगर मुझे उम्मीद है, मैं पहुंचूंगी किसी मुकाम पर॥
रितिका
चौरसों, उत्तराखंड
चरखा फीचर्स
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