यह कव्वाली शाम केवल मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता के लिए भी थी। ऐसे आयोजनों से लोगों में एकता और सामंजस्य का भाव बढ़ता है। मुस्कान ने स्पष्ट किया कि आज के समय में, जब समाज में कई समस्याएं हैं, ऐसे आयोजनों की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। इस महफिल ने न केवल लोगों को एकत्रित किया, बल्कि उन्हें एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। निजामी ब्रदर्स ने अपनी प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लिया, जिससे दर्शक झूमने लगे। उनकी कव्वालियों में सूफी संगीत और गहरे भावों का समावेश था, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। हर प्रस्तुति में एक अलग जादू था, जो श्रोताओं को गहराई में ले जाता था। इस महफिल में दिल्ली पुलिस के सहायक पुलिस आयुक्त विनोद नारंग, सहायक पुलिस आयुक्त संजय कुमार, महाबीर प्रसाद मिश्रा, माँ फाउंडेशन की ट्रस्टी सविता गुप्ता, ट्रस्टी नमिता अरोड़ा, ट्रस्टी राजकुमार त्यागी, दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आशुतोष पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार मणि आर्य, और वरिष्ठ पत्रकार विक्रम गोस्वामी जैसे गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। इन प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी महत्व दिया, जो यह दर्शाता है कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए हर स्तर पर सहयोग की आवश्यकता है।
माँ फाउंडेशन के चेयरपर्सन मुस्कान पांडेय ने कई सामाजिक योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है। उन्होंने बताया कि उनकी योजनाएं मुख्यतः महिलाओं के सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्र में हैं। मुस्कान ने कहा, "हमें अपने प्रयासों में निरंतरता बनाए रखनी है, ताकि हम समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें।" उनका यह दृष्टिकोण निश्चित रूप से समाज में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। महफिल-ए-शाम कव्वाली केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन का हिस्सा था। इस तरह के आयोजनों से समाज में जागरूकता बढ़ती है और वंचित वर्गों की आवाज़ को मजबूती मिलती है। मुस्कान पांडेय और उनकी टीम का प्रयास सराहनीय है, और यह स्पष्ट है कि माँ फाउंडेशन समाज के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। समाजसेविका मुस्कान पांडेय का नेतृत्व निश्चित रूप से समाज में एक नई दिशा प्रदान कर रहा है।
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