- सि़द्धांतहीन मतदान सिद्धांतहीन राजनीति का जनक : डॉ. गदिया
डॉ. गदिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि सिद्धांतहीन मतदान सिद्धांतहीन राजनीति का जनक है। प्रजातंत्र की सफलता इससे नहीं बल्कि लोकमत परिष्कार से ही संभव है। जातीय आधार पर सिद्धांतहीन राजनीति देश के विकास के लिए खतरनाक साबित होगी। आज धनबल और जाति के आधार पर चुनावों में टिकट के बंटवारे होने लगे हैं जोकि समाज एवं देशहित में नहीं है। इससे तानाशाही उग्र होगी, वैमनस्य बढ़ेगा। हम हर मोर्चे पर विफल हो जाएंगे। कहीं हम बंगलादेश जैसे हालात न पैदा कर दें। इसलिए हम नफरत की राजनीति को दूर करें। मतदान के लिए अपने सोच का परिष्कार करें, सोच-समझकर मतदान करें। तभी देश का उत्तरोत्तर विकास होगा। डॉ. गदिया ने पूंजीवाद, साम्यवाद और एकात्म मानवदर्शन पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों का भी विस्तार से उल्लेख किया। बताया कि व्यक्ति से समाज, समाज से राष्ट्र और राष्ट्र से विश्व बनता है। इनके समन्वय से ही नीति का निर्धारण होता है। अगर नीति अच्छी है तो राजनीति की अच्छी स्थापना होती है। इसके लिए लोकमत परिष्कृत होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि एकात्म मावनदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान देशभर में लोकमत परिष्कार कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है। ताकि लोग चुनावों में सक्रिय भागीदारी कर सकें। कार्यक्रम में कार्यक्रम के संयोजक डॉ. लोकेश शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व लाइब्रेरियन बीके शर्मा ने भी विषय पर आधारित अपने विचार व्यक्त किये। इस दौरान कार्यक्रम में सहभागी बनने वाले शिक्षकों को अभिनंदन पत्र प्रदान किये गये। अंत में मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।
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