इस संबंध में मंदिर के व्यवस्थापक श्री मेवाड़ा ने बताया कि कुल चार नवरात्रि का वर्णन है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं। एक गुप्त नवरात्रि माघ और दूसरी आषाढ़ के महीने में पड़ती है। इस समय शारदीय नवरात्रि का पावन अवसर चल रहा है इस साल भी यहां पर पंडित श्री शर्मा और श्री दुबे के मार्गदर्शन में श्रद्धालुओं के द्वारा नियमित रूप से आहुतियां दी जाएगी। गुरुवार की सुबह यहां पर मौजूद श्रद्धालु फूलों से माता का श्रृंगार किया और उसके पश्चात यज्ञ में देवी का आह्वान कर आहुतियां दी। पंडित श्री शर्मा ने बताया कि पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा के लिए समर्पित होता है। मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं। माता के नाम का अर्थ भी पर्वत की बेटी ही है, अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण करने वाली माता शैलपुत्री की साधना करने पर कुंडली से जुड़ा चंद्र दोष और उससे होने वाली सारी परेशानियां दूर होती हैं। मां की पूजा से व्यक्ति के जीवन में उनके नाम की तरह स्थिरता बनी रहती है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को सुबह देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाएगी।
सीहोर। प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी शहर के विश्रामघाट मां चौसट योगिनी मरीह माता मंदिर में शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इसके पहले दिन यहां पर उपस्थित आधा दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं ने पंडित उमेश दुबे के मार्गदर्शन में गुरुवार की सुबह दुर्गा सप्त शती के पाठ के साथ श्रद्धालुओं ने दी आहुतियां दी। यहां पर हर रोज यज्ञ के साथ आहुतियां दी जाएगी। गुरुवार को नवरात्रि के प्रथम दिवस मंदिर के व्यवस्थापक गोविन्द मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा, अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा, जिला संस्कार मंच के मनोज दीक्षित मामा आदि ने पूजा अर्चना की।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें