- शहर-शहर व घर-घर में सजा मां दुर्गा दरबार, शुरु हुए दुर्गा सप्तशती के पाठ
- कहीं रौद्र रूप, तो कहीं शेर पर सवार होकर दर्शन देगी मां भवानी, नौ दिनों तक चढ़ेगा गरबों का रंग
शारदीय नवरात्र के पहले दिन दुर्गा मंदिरों में भवानी शैल पुत्री की आराधना की गई। मां दुर्गा के प्रथम अवतार शैल पुत्री की पूजा के लिए मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंदिर में भक्तों की भीड़ को देखते हुए बैरिकेडिंग की गई है। वहीं दुर्गाकुंड, मां विशालाक्षी सहित शहर के सभी दुर्गा मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रबंध किए गए हैं। इस दौरान लोगों ने व्रत रखकर मां का पूजन अर्चन कर सुख समृद्धि की कामना की। नवरात्रि पर्व के मद्देनजर जिले के प्रमुख मंदिरों को काफी आकर्षक ढंग से सजाया गया है। इसके साथ ही कुछ मंदिरों पर भारी भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। इसके अलावा कुछ दुर्गापूजा पण्डालों में दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित की गई। जबकि कुछ में पंचमी व सप्तमी को विराजमान होगी। इस दौरान विधि विधान से पूजा की गई और देवी आराधना भी की गई। मच्छोदरी दुर्गा पण्डाल में महिलाओं ने शंखनाद किया और टाउनहाल में भी दुर्गा प्रतिमा की स्थापना हुई। देवी अब नौ दिनों तक भक्तों को आशीर्वाद देंगी। भक्तों ने पूजा के लिए पहले से ही सारी तैयारियां पूरी कर ली थी। पहले दिन पूजन अर्चन करने वाले भक्तों में अपूर्व उत्साह देखने को मिला। लोगों के उत्साह को देखते हुए उम्मीद है कि नौ दिनों तक होने वाली मां दुर्गा की पूजा धूमधाम से संपन्न होगी।
मां विंध्यवासिनी के दरबार में चार लाख भक्तों ने टेका मत्था
शारदीय नवरात्र की शुरूआत के साथ ही विंध्य कारीडोर में भक्तों का जमावड़ा देखने को मिला। भक्तों ने माता के दर्शन कर जयकारे लगाए। आंकड़ों पर गौर करें तो दोपहर के बाद तक लगभग दो लाख व सायंकाल तक चार लाख भक्तों ने दर्शन कर लिया था। मंदिर में भक्तों के आगमन के लिए चार द्वार बनाए गए हैं। भक्तों को कतारबद्ध करने के लिए स्थाई रेलिंग लगाई गई है। परिसर में सुरक्षा के लिहाज से 250 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। चारों द्वार पर राजस्थानी कारीगरों ने नक्काशी की है। मंदिर को गुलाबी पत्थरों से सजाया गया है और मंदिर का परिक्रमा मार्ग बनकर तैयार है। मंदिर परकोटा में यज्ञशाला, वीआईपी रूम, क्लाक रूम और कंट्रोल रूम के साथ साधना केंद्र बनाया गया है। तमाम व्यवस्थाएं देख भक्त जय माता दी का उद्घोष कर रहे हैं।
पहली बार श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में कलश स्थापना
श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर न्यास द्वारा संकल्पित नौ दिनों तक चलने वाली शारदीय नवरात्रि के महापर्व पर्व पर प्रत्येक दिवस पर कार्यक्रम की प्रस्तुति के उपलक्ष्य में गुरुवार को धाम में माता की अराधना हेतु मन्दिर प्रांगण में कलश की स्थापना की गयी। साथ ही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने काशी में स्थित शक्तिपीठ माता विशालाक्षी एवम् माता शैलपुत्री देवी की श्रृंगार सामग्री श्री विश्वनाथ धाम से अर्पित किया। काशी में ज्योतिर्लिंग तथा शक्तिपीठ सन्निकट स्थित हैं। इस सुयोग के दृष्टिगत न्यास द्वारा इस नवरात्रि से प्रारंभ कर प्रत्येक नवरात्रि पर्व पर देवी के समस्त सोलह श्रृंगार एवं पर्व वस्त्र का समर्पण ज्योतिर्लिंग पीठ से काशीपुराधिपति श्री विश्वनाथ महादेव द्वारा किया जाय। यह सनातन धर्म के शैवदृशाक्त मत की अभिन्नता के प्रकटीकरण का एक सुंदर दृष्टांत होगा। इसी क्रम में आज शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिवस के पावन पर्व पर श्री काशी विश्वनाथ धाम स्थित मन्दिर चौक मे विशेष सांस्कृतिक संध्या का समारोहपूर्वक आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम की मधुर बेला में प्रथम प्रस्तुति गायिका सुश्री दिव्या दुबे ने दी तथा दूसरी प्रस्तुति गायक श्री दीपक तिवारी, सह-कलाकार श्री नीरज, श्री मोती शर्मा, श्री शनि, श्री राहुल, श्री बबलू, रंजन दादा, श्री बबलू मिश्रा, श्री शेखर, श्री सुरेश, श्री शुभम के समूह की रही। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास निरंतर ऐसे ही भव्य, दिव्य एवं पवित्र सनातन आयोजन धाम परिसर में आयोजित कर सनातन परंपरा को अक्षुण्ण उल्लास से परिपूर्ण करने को प्रतिबद्ध है। न्यास समस्त सनातन मतावलंबियों से निरंतर पर्व आयोजन इत्यादि नवाचारों को और उपयोगी बनाने के संबंध में सुझाव हेतु सादर आमंत्रित करता है। श्री विश्वनाथ मंदिर के मानित व्यवस्थापक प्रो. विनय कुमार पाण्डेय ने कलश स्थापना कर पूजन अर्चन किया। आज से आरम्भ श्री दुर्गा शप्तशती पाठ नौ दिनो तक जारी रहेगा। नवमी को पूर्णाहुति होगी।
12 अक्तूबर को काशी विश्वनाथ धाम में होगी शस्त्र पूजा
चार अक्तूबर को रामलीला में धनुष यज्ञ का मंचन मंदिर चौक पर होगा। पांच अक्तूबर को राम द्वारा रावण वध का मंचन, छह अक्तूबर को बंगाली लोक नृत्य धुनुची का आयोजन होगा। सात अक्तूबर को 51 मातृशक्तियों द्वारा ललिता सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ किया जाएगा। आठ अक्तूबर को महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र पर नृत्य, नौ अक्तूबर को देवी मां का भजन, 10 अक्तूबर को माता के नौ स्वरूपों को दर्शाती नौ कन्याओं द्वारा दुर्गा सप्तशती का पाठ होगा। 11 अक्तूबर को प्रातःकाल नीलकंठ मंदिर के समीप यज्ञ कुंड पर हवन औरशाम को भजन व नृत्य का आयोजन होगा। दशमी तिथि पर 12 अक्तूबर को सुबह सांकेतिक रूप से शस्त्र पूजा मंदिर प्रांगण में की जाएगी। शाम को शास्त्रीय युद्ध कला का प्रदर्शन मंदिर चौक पर होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें