आखिर कब तक हम चुप रहेंगे?
आखिर क्यों हम चुप रहेंगे?
तुम जुल्म करते रहोगे तो,
अब शांत हम भी नहीं बैठेंगे,
आजादी तो हमें मिली भी नहीं,
ना हमे कभी दी गई,
हमेशा चुप रहने को कहा गया,
अगर ;बोला होता कि तुम भी लड़ो,
हर चीज का हमे भी अधिकार दिया होता,
तो आज हम भी आज़ाद होतीं,
क्यों चुप रहें हम अब,
जुल्म तो हमारे साथ हो रहा है,
कानून होने के बावजूद भी,
इनको सबक क्यों नहीं मिल रहा है?
आखिर वो माँ कब तक रोएगी,
अब तो वो भी जीना छोड़ देगी॥
दीपा लिंगाड़िया
गरुड़, उत्तराखंड
चरखा फीचर्स
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