नीलम बताती हैं कि 'इस प्रोजेक्ट को एक चेन की तरह चलाया जा रहा है. जहां एक किशोरी कंप्यूटर सीखने के बाद गांव की दस अन्य किशोरियों को सिखाने का काम करती हैं. जिसके बाद वह दस किशोरियां गांव की अन्य दस किशोरियों को प्रशिक्षित करेंगी. इस तरह धीरे धीरे किशोरियों के माध्यम से ही अन्य किशोरियां कंप्यूटर सीखने लगेंगी. वहीं इस प्रोजेक्ट से जुड़ी किशोरियों को लेखन और कविताओं के माध्यम से अपने विचारों को अभिव्यक्त करना भी सिखाया जाता है. वह गांव के विभिन्न सामाजिक मुद्दों और उससे जुड़ी समस्याओं पर आलेख भी लिखती हैं. जिन्हें चरखा के माध्यम से देश की तीन प्रमुख भाषाओं के समाचारपत्रों और वेबसाइट पर प्रकाशित कराया जाता है. साथ ही उन्हें इन मुद्दों पर संबंधित अधिकारियों से मिलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाता है. इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य किशोरियों का आत्मविश्वास बढ़ाना और उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करना है ताकि वह अपने सपनों को पूरा कर सकें. चरखा द्वारा किये जा रहे यह प्रयास ग्रामीण क्षेत्र की किशोरियों का आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ता पहला और सार्थक कदम कहा जा सकता है.
तानिया आर्या
चौरसो, उत्तराखंड
(चरखा फीचर्स)
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