फ़िल्म की कई कहानियों में पहली कहानी रोहित से कोयल की शादी की है। रोहित कोयल का साथ छोड़कर दुबई चला जाता है। दहेज के लोभी की यह स्टोरी दिल को छू जाती है। किन्नर के रोल में प्रवीण हिंगोनिया ने जो एक्टिंग की है वह एकदम नेचुरल प्रतीत होती है। दूसरी कहानी "क्यों" रुहाना की ज़िंदगी की स्टोरी है। दिल्ली बस गैंग रेप से प्रेरित इस स्टोरी में रूहाना का गैंग रेप और मर्डर कर दिया जाता है। मुख्य आरोपी जग्गू (प्रवीण हिंगोनिया) को फांसी हो जाती है। यह कहानी एक सोशल मैसेज देती है। संवाद है कि दुनिया मे मर्द औरत की वजह से आता है क्यों वो उसकी इज़्ज़त से खेलता है। औरत जननी है, रेप करके उसका जीवन विभत्स नहीं करना चाहिए।
तीसरी कहानी "नॉट फिट द बिल" मुम्बई नगरिया में एक्टर बनने का सपना लेकर आए पुरुषोत्तम लाल मिश्रा (प्रवीण हिंगोनिया) की है। मिश्रा जी फ़िल्म में राजेश शर्मा से मिलते हैं और कहते हैं कि मैं नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसा कैरेक्टर आर्टिस्ट बनना चाहता हूं। राजेश शर्मा कहते हैं वह तो हीरो है। मिश्रा जी का जवाब होता है कि लगता तो कैरेक्टर आर्टिस्ट ही है ना। फिर राजेश शर्मा समझाते हैं कि पॉज़िटिव सोचो, निगेटिव मत सोचो। यस में बिलीव करो, सब अच्छा होगा। इस कहानी में हास्य भरपूर है और प्रवीण हिंगोनिया ने बढ़िया एक्टिंग का प्रदर्शन किया है। अगली स्टोरी "खिलौना" घरेलू हिंसा की कहानी है। थेरेपी सेंटर में कार्यरत महिला एक महिला को समझाती है कि रोना सबसे अच्छी थेरेपी है। सुसाइड कायर करते हैं। घरेलू हिंसा सहना ठीक नही है।" उस महिला ने फोन करके बताया था कि उसका पति विवेक बस उसे मारता रहता है। फ़िल्म ये मैसेज देती है कि औरतों पर उठने वाले हाथ को रोकना मर्दानगी है। वैवाहिक जीवन मे मेंटल टार्चर खतरनाक होता है। बहुत हो गया स्टॉप टू द डॉमेस्टिक वायलेंस। एक और कहानी "मैं भगत सिंह बनना चाहता हूं" में एक सरदार के रोल में प्रवीण हिंगोनिया ने प्रभावित किया है। कई साल से दिलेर लापता है, उसकी मां परेशान रहती है। उसे जासूसी के लिए पाकिस्तान भेज दिया जाता है। जहां उसे पकड़ लिया जाता है। बचपन से वह भगत सिंह बनना चाहता था। यह कहानी भी दिल को टच करती है। "समय चक्र"ऑटो ड्राइवर प्रवीण हिंगोनिया की कहानी है, जिसकी मां बहुत बीमार है। बहु बोलती है, तेरी मां के इलाज में लाखों खर्च हो गए। दिल दहला देने वाली स्टोरी है।
"व्हाट हैपेन्ड इन सुहागरात" शादी के दूसरे दिन होने वाली तलाक की कहानी है।
दोनों शादी के सिस्टम से नफरत करते हैं। दोनों के मां बाप ने शादी के लिए जोर दिया। दोनों ने सुहागरात में अपने अतीत को याद किया। दोनों ने बताया कि उनके मां बाप हमेशा झगड़ते थे। घरेलू हिंसा की वजह से दोनों के मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ा। घरेलू हिंसा से बचने के लिए उन्होंने तलाक लेने का फैसला लिया। एक कहानी "हैप्पी मैरिज एनिवर्सरी" शादी की सालगिरह पर हुए चौंकाने वाले खुलासे की स्टोरी है। फ़िल्म की आखरी स्टोरी "संतान" बाप बेटे के रिश्ते और इमोशंस पर बड़ी मनमोहक कहानी है, जो आपकी पलकों को नम कर सकती है।
फ़िल्म समीक्षा ; नवरस कथा कोलाज'
निर्माता, लेखक, निर्देशक : प्रवीण हिंगोनिया
कलाकार : प्रवीण हिंगोनिया, शीबा चड्ढा, राजेश शर्मा, अल्का अमीन, अतुल श्रीवास्तव, पारितोष त्रिपाठी, शाजी चौधरी, दयानंद शेट्टी, रेवती पिल्लई, सुनीता जी, महेश शर्मा, प्राची सिन्हा, अमरदीप झा, श्रेया झा, जय शंकर त्रिपाठी, ईशान शंकर और स्वर हिंगोनिया
निर्माता ; एसकेएच पटेल
सह निर्माता : अभिषेक मिश्रा
रेटिंग : 3.5 स्टार्स
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