"लड्डू प्रभुता पर सुप्रीम ब्रेक, कहा भगवान को राजनीति से बाहर रखें" - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 2 अक्टूबर 2024

"लड्डू प्रभुता पर सुप्रीम ब्रेक, कहा भगवान को राजनीति से बाहर रखें"

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बैंगलोर (विजय सिंह) ,2 अक्टूबर। तिरुपति के लड्डुओं पर सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी चंद्रबाबू नायडू का जायका बेस्वाद करती प्रतीत हो रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर कड़ा प्रहार किया और बिना सत्यापन के एक वृहत धार्मिक मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बयान देने के लिए उनकी आलोचना की। सुप्रीम कोर्ट ने चंद्रबाबू के बयान पर आक्रोश जताते हुए "भगवान को राजनीति से बाहर रखने" की हिदायत दी।


एन.चंद्रबाबू नायडू ने अपने अब तक की राजनीतिक छवि में अकस्मात बदलाव करते हुए तिरुपति बालाजी को ही प्रत्यक्ष "राजनीति" में लाने की कोशिश की,जाहिर था कि एनडीए घटक को राजनीति का नया मुद्दा मिल गया I भाजपा ने भी दोनों हाथों में तिरुपति के लड्डू मिलने की उम्मीद से इस मुद्दे को गति देने की कोशिश की, जो शायद आने वाले दिनों में समान विचारधारा वाले घटकों के एकीकरण में सहायक हों पाते I महत्वपूर्ण यह भी है कि, नायडू के गठबंधन सहयोगी और एक समय के  कांग्रेस समर्थक पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस नेता और तेलुगु फिल्म सुपरस्टार चिरंजीवी के भाई पवन कल्याण ने भी तिरुपति लड्डू मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने 11 दिनों की तपस्या की घोषणा की और वक्फ बोर्ड की तरह "सनातन धर्म बोर्ड" की मांग की तथा मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की भाजपा की सदियों पुरानी मांग को अपना समर्थन दिया।ताजा दौर में पवन कल्याण दक्षिण से हिंदुत्व राजनीति के दमदार चेहरे माने जाते हैं I दक्षिण एक ऐसा इलाका है जहां भाजपा को कर्नाटक के अलावा अन्य राज्यों में पांव जमाने में अनुकूल स्थिति नहीं मिल पा रही है, हालांकि  क्षेत्रीय दलों की मदद से वह आंध्र प्रदेश में पहुंच बनाने में कुछ हद तक सफल हुए हैं I सुप्रीम कोर्ट ने चंद्रबाबू नायडू पर कड़ा रुख अपनाया और बिना सत्यापन के तिरुपति लड्डू पर संदेह  के दावों को उठाने के लिए उन पर टिप्पणी करने के साथ ही तेलुगु देशम पार्टी के नेता से देवताओं को राजनीति से दूर रखने के लिए कहा। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से इस दावे को समय से पहले सार्वजनिक करने के लिए पूछा कि क्या  वाईएसआरसीपी की पिछली सरकार ने तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर मंदिर में लड्डू बनाने के लिए जानवरों की चर्बी वाले घटिया घी का इस्तेमाल किया था ?


सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि जब इस तरह के दावे को साबित करने के लिए कोई निर्णायक सबूत नहीं था, तो नायडू को इस मुद्दे पर सार्वजनिक बयान देने की क्या जरूरत थी, जबकि राज्य द्वारा पहले ही जांच का आदेश दिया जा चुका था। अदालत ने पूछा कि क्या सीएम के पास इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई प्रमाण है  कि लड्डू तैयार करने के लिए जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है। जस्टिस विश्वनाथन ने पाया कि रिपोर्ट के मुताबिक घी का नमूना पहले ही अस्वीकृत कर दिया गया था। न्यायाधीश ने पूछा, "तो फिर प्रेस के पास जाने की क्या जरूरत थी, जब आप खुद ही जांच के आदेश देते हैं और जांच करवा कर सच्चाई सामने ला सकते हैं।"

 

"कम से कम देवताओं को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए," लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से स्पष्ट है कि करोड़ों लोगों की आस्था के शिखर श्री तिरुपति बालाजी मंदिर की सर्वोच्च गरिमा का मान ध्यान में रखते हुए नायडू के जल्दबाजी में किए गए "राजनीतिक टिप्पणी" को आस्था की मर्यादा के मद्देनजर प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है।


पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी भी इसी तर्ज पर तर्क दे रहे हैं, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम से पूछताछ में कायम रखा और तिरुपति लड्डू प्रसादम के दूषित होने के दावों और आरोपों को खारिज कर दिया। राजनीतिक विश्लेषक इस बात से चकित हैं कि आंध्र प्रदेश में एनडीए में भाजपा के गठबंधन सहयोगियों, तेलुगु देशम पार्टी और पवन कल्याण की जन सेना ने जन भावनाओं को आकर्षित करने  के लिए इतने भावनात्मक व संवेदनशील मुद्दे को ही क्यों चुना ! गौरतलब है कि  हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।

 

राजनीतिक विश्लेषक व वरिष्ठ पत्रकार लक्षमण कुची भी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनके उप-मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर सवाल खड़ा करते हुए बचकाना करार देते हैं I बयानों में अंतराल के साथ लगाए गए आरोप, घटनाओं का कालक्रम स्पष्ट रूप से नायडू और उनके डिप्टी पवन कल्याण के दावों की अस्पष्टता को उजागर करता है I कथित तौर पर तमिलनाडु की एक फर्म द्वारा आपूर्ति किया गया दूषित घी जुलाई महीने के नमूनों  में पाया गया था, इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री  या पूर्व टीटीडी अध्यक्ष को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इसके अलावा, टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी, चंद्रबाबू नायडू द्वारा मुख्यमंत्री बनने के बाद नियुक्त किए गए संगठन के प्रमुख ने खुद मुख्यमंत्री नायडू के आरोप  का खंडन करते हुए कहा कि दूषित घी का उपयोग तिरुपति लड्डू प्रसादम बनाने के लिए नहीं किया गया था। स्पष्ट रूप से, उनके डिप्टी पवन कल्याण की प्रतिक्रिया, जिन्होंने 11 दिवसीय तपस्या कार्यक्रम की घोषणा करके एक सक्रिय हिंदुत्व अभियान शुरू किया, ने तिरुपति मंदिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग को शामिल करने के लिए लड्डू प्रसादम विवाद को व्यापक रूप से विस्तारित किया। यह भाजपा के आसपास के तंत्र की पसंदीदा मांग रही है, जो मंदिरों के प्रशासन और मंदिरों के स्वामित्व वाले धन पर नियंत्रण चाहती है।


 विहिप और अन्य हिंदुत्व संगठनों द्वारा बड़ी संख्या में रैलियां और यात्राएं की जा रही हैं, वे अपनी मांग के लिए समर्थन जुटाने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए भारत के कई कस्बों और शहरों में विरोध मार्च निकाल रहे हैं, जो इसका हवाला देकर कुछ निर्णय ले सकती है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी आंध्र प्रदेश की जोड़ी - नायडू और पवन कल्याण के लिए एक चेतावनी की तरह आई है, जिसने कम समय में अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी जगन मोहन रेड्डी को लोकसभा में हार के कुछ ही महीनों के भीतर एक नया राजनीतिक  जीवन दे दिया है I कुल मिलाकर इस मुद्दे ने वर्तमान में, पवन कल्याण की सक्रियता और एक संवेदनशील धार्मिक मुद्दे पर नायडू की "अति जल्दबाजी " ने आंध्र प्रदेश और दुनिया भर में तिरुपति भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के करोड़ों भक्तों की भावनाओं को प्रभावित किया है Iअब  यह आंध्र के सत्तारूढ़ युगल के लिए पचाने की क्षमता से अधिक निगल पाने का मामला बन गया है।


जाहिर है, पूरे तिरुपति लड्डू मामले में सुप्रीम कोर्ट की पड़ताल और  इसकी तह तक जाना कुछ ऐसा कालखंड है जिसकी चंद्रबाबू  नायडू और उनकी टीम ने कल्पना नहीं की थी। शायद शानदार सफलता और अपने प्रतिद्वंद्वी की पराजय से उत्साहित होकर, नायडू व पवन ने जगनमोहन रेड्डी को पूरी तरह से राजनीतिक वनवास में भेजने का प्रयास किया परंतु समय ने जगनमोहन रेड्डी  का राजनीतिक उद्धार कर दिया I राजनीति में अपना वजूद बनाये रखने के लिए विरोधियों को राजनीतिक पटखनी देना सामान्य प्रक्रिया है  लेकिन इस खेल में जो "उपकरण" इस्तेमाल किया गया  वह "जंग मुक्त" नहीं था, शायद तभी सुप्रीम कोर्ट को टिप्पणी करनी पड़ी कि  "भगवान को राजनीति से दूर रखें"। भाजपा और उनके सहयोगी दल सामान्यतः हिंदुत्व और सनातन विचारधारा को प्रमुखता के साथ आगे बढ़ाते रहे हैं और इसमें कुछ भी असहज नहीं है लेकिन हरेक विषय  की अपनी गरिमा है ,जरूरी नहीं कि हर मुद्दे पर जनता भी वही सोचे, जिस सोच से आपने मुद्दे को उठाया है।


सोशल मीडिया पर भी गंभीर उपयोगकर्ताओं की राय में काफी भिन्नता नजर आ रही है I  आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के पूर्व मीडिया सलाहकार अमर देवुलापल्ली इसे मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा की गई एक बड़ी गलती मानते हैं। उन्होंने कहा कि जगन को हिंदू विरोधी ठहराने की जल्दबाजी में श्री नायडू ने झूठ बोला कि घी में मिलावट है और इस मामले में पूर्ववर्ती जगन सरकार की दोषी है। दरअसल, चुनावी वादों को पूरा न करने पर जनता के गुस्से को नायडू भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। हमने इस संदर्भ में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू से प्रतिक्रिया लेनी चाही, मगर संपर्क नहीं हो पाया।

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